वह पुणे, महाराष्ट्र में खानाबदोश जनजातियों और समुदायों के उत्थान के लिये काम कर रहे एक सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक हैं।
सामाजिक कार्य
वे 'क्रांतिवीर चापेकर स्मारक समिति चिंचवाड़' के ट्रस्टी और 'पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम' के संस्थापक हैं।.
पुनर्उत्थान समरसता गुरुकुलम कक्षा I से X तक के छात्रों के लिये शैक्षणिक और कौशल आधारित शिक्षा के माध्यम से एक सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने के लिये समर्पित है।
उन्होंने पूर्व-अपराधी और खानाबदोश जनजातियों और समुदायों के उत्थान के लिये एक परियोजना - भटके विमुक्त विकास परिषद का आयोजन किया।
इसने विभिन्न प्रकार के समुदायों और जनजातियों को संगठित किया; उनका सामूहीकरण किया और युवा पुरुषों तथा महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया।
श्री गिरीश प्रभुने विभिन्न संगठनों के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने सामाजिक कार्य के क्षेत्र में कई पुरस्कार प्राप्त किये।