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रैपिड फायर

ज़ाइक्लोन बी

  • 04 Sep 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू 

3 सितंबर, 1941 को नाज़ियों ने पोलैंड के ऑशविट्ज़ यातना शिविर में यहूदियों को मारने के लिये पहली बार ज़ाइक्लोन बी का प्रयोग किया। 

  • ऑशविट्ज़ नाज़ी जर्मनी का एक यातना शिविर था जिसमें लगभग दस लाख यहूदियों की व्यवस्थित तरीके से हत्या की गई थी। 
    • यहूदियों को भूखा रखा गया, उनसे तब तक कार्य करवाया गया जब तक उनकी मृत्यु नहीं हो गई और ज़ाइक्लोन बी जैसी ज़हरीली गैसों का प्रयोग करके गैस चैंबर के परिसर में मार दिया गया। 

ज़ाइक्लोन बी का परिचय : 

  • ज़ाइक्लोन बी हाइड्रोजन साइनाइड (HCN) का व्यावसायिक नाम है। 
  • इसे जर्मनी में वर्ष 1920 के दशक की शुरुआत में कीटनाशक और कृंतकनाशक के रूप में विकसित किया गया था। 
  • इसे नीले रंग के छर्रों के रूप में उत्पादित किया गया था, जो वायु  के संपर्क में आने पर बेहद ज़हरीली गैस में बदल जाते थे। 
  • इस वातावरण में साँस लेने से लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन का आदान-प्रदान अवरुद्ध हुआ और कोशिकीय श्वसन बाधित हो गया जिससे पीड़ितों के आंतरिक दम घुटने की स्थिति उत्पन्न हो गई।
  • ज़ाइक्लोन बी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कुख्यात हो गया था। वर्ष 1916 में फ्राँस और वर्ष 1918 में इटली एवं संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इसका प्रयोग किया था।

और पढ़ें: होलोकॉस्ट और द्वितीय विश्व युद्ध

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