विश्व रेबीज़ दिवस, 2024 | 30 Sep 2024
स्रोत: द हिंदू
विश्व रेबीज़ दिवस प्रतिवर्ष 28 सितंबर को मनाया जाता है जिसका उद्देश्य इस प्राणघातक रोग के बारे में पूर्व की गलत धारणाओं पर चिंतन करने और साथ ही इसकी रोकथाम और नियंत्रण के लिये टीकों एवं आधुनिक कार्यनीतियों को उन्नत करने हेतु किये जा रहे निरंतर प्रयासों पर प्रकाश डालना है।
रेबीज़ क्या है?
- परिचय:
- यह एक टीका निवार्य, वायरल ज़ूनोटिक रोग है।
- यह रोग राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस के कारण होता है , जो उन्मत्त पशुओं (कुत्ते, बिल्ली, बंदर इत्यादि) की लार में मौजूद होता है।
- मानव में इसका संचरण मुख्य रूप से संक्रमित कुत्तों के काटने से होता है तथा समय पर टीकाकरण से पूर्णतया इसका निवारण किया जा सकता है।
- इसके प्रथमतः नैदानिक लक्षण दिखने के बाद, रेबीज़ लगभग 100% प्राणघातक होता है। कार्डियो-श्वसन विफलता के कारण मृत्यु हमेशा चार दिन से दो सप्ताह के भीतर होती है।
- इसकी इन्क्युबेशन अवधि प्रायः 2 से 3 माह होती है किंतु यह 1 सप्ताह से 1 वर्ष तक या कभी-कभी इससे भी अधिक हो सकती है।
- लक्षण: रेबीज़ के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं और कुछ दिनों विद्यमान रह सकते हैं।
- शामिल लक्षण: बुखार, सिरदर्द, मतली, उल्टी, चिंता, अति सक्रियता, निगलने में कठिनाई, अत्यधिक लार आना, मतिभ्रम, अनिद्रा (नींद विकार)।
विश्व रेबीज़ दिवस (WRD) के बारे में हमें क्या जानना चाहिये?
- परिचय:
- इसकी शुरुआत प्रथमतः वर्ष 2007 में की गई थी। यह लुई पाश्चर की पुण्यतिथि का प्रतीक है, जिन्होंने पहला रेबीज़ टीका विकसित किया था।
- लुई पाश्चर एक फ्राँसीसी रसायनज्ञ, फार्मासिस्ट और सूक्ष्म जीवविज्ञानी थे, जो टीकाकरण, सूक्ष्मजीव किण्वन और पाश्चरीकरण के सिद्धांतों की खोजों के लिये प्रसिद्ध थे।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2030 तक कुत्तों से संचरित होने वाले रेबीज़ को समाप्त करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
- इसकी शुरुआत प्रथमतः वर्ष 2007 में की गई थी। यह लुई पाश्चर की पुण्यतिथि का प्रतीक है, जिन्होंने पहला रेबीज़ टीका विकसित किया था।
- विषय:
- विश्व रेबीज़ दिवस 2024 का विषय है 'ब्रेकिंग रेबीज बाउंड्रीज़'।
- यह वन हेल्थ दृष्टिकोण पर ज़ोर देता है, जो मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण क्षेत्रों के बीच सहयोग पर आधारित है।
भारत में रेबीज़ संबंधी तथ्य क्या हैं?
- भारत में रेबीज़:
- 2021 में, भारत में रेबीज़ से 59,000 लोगों की मृत्यु हुई, जो विश्व में हुई कुल मृत्यु का 35% है, इनमें से 96% मृत्यु कुत्तों के काटने के कारण हुई।
- भारत में कुत्तों से संचरित होने वाले रेबीज़ के निवारण की लागत लगभग 8.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
- रेबीज़ की रोकथाम के लिये नए रेबीज़ इम्युनोग्लोबुलिन (रेबीज़ Ig) टीके का उपयोग किया जाता है।
- कुत्ता जनित रेबीज़ उन्मूलन के लिये भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPRE):
- 2030 तक रेबीज़ को समाप्त करने के लिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा 2023 में इस योजना की शुरुआत की गई। जिसमें शामिल तत्त्व निम्नवत है:
- जागरूकता: रेबीज़ के बारे में जन जागरूकता का उत्थापन करना।
- निगरानी: निगरानी और स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करना।
- टीकाकरण: मनुष्यों और कुत्तों के लिये रोगनिरोधी टीकाकरण।
- कुत्तों की संख्या का प्रबंधन
- रेबीज़ वैक्सीन के स्टॉक की वास्तविक समय पर निगरानी और लाभार्थियों का रिकॉर्ड दर्ज करना।
- 2030 तक रेबीज़ को समाप्त करने के लिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा 2023 में इस योजना की शुरुआत की गई। जिसमें शामिल तत्त्व निम्नवत है:
रेबीज़ के उपचार हेतु भारत की पहल
- राष्ट्रीय रेबीज़ नियंत्रण कार्यक्रम (NRCP)
- पशु जन्म नियंत्रण (ABC) कार्यक्रम
- एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण
- रेबीज़ नियंत्रण नीतियों को सुदृढ़ करने और अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन और OIE के बीच सहयोग।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. निम्नलिखित रोगों पर विचार कीजिये: (2014) 1. डिप्थीरिया ऊपर दिये गए रोगों में से कौन-सा/सी रोग का भारत में उन्मूलन किया गया है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न. ‘पुन:संयोजित (रीकॉम्बिनेंट) वेक्टर वैक्सीन’ से संबंधित हाल के विकास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |