लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

विश्व खाद्य पुरस्कार 2022

  • 07 May 2022
  • 4 min read

हाल ही में विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन ने विश्व खाद्य पुरस्कार 2022 की विजेता संयुक्त राज्य अमेरिका की डॉ सिंथिया रोसेनज़विग के नाम की घोषणा की।

  • रोसेनज़विग को उनके शोध ‘जलवायु और खाद्य प्रणालियों के बीच संबंधों को समझने तथा भविष्य में दोनों कैसे बदलेंगे एवं इसका पूर्वानुमान’ के लिये पुरस्कार हेतु चुना गया।
  • वर्ष 2021 में प्रमुख पोषण विशेषज्ञ डॉ. शकुंतला हरक सिंह थिल्स्टेड ने पुरस्कार जीता और वर्ष 2020 में भारतीय अमेरिकी मृदा वैज्ञानिक डॉ. रतन लाल ने पुरस्कार जीता।

World-Food-Prize

विश्व खाद्य पुरस्कार:

  • उद्देश्य:  
    • विश्व खाद्य पुरस्कार विश्व में भोजन की गुणवत्ता, मात्रा या उपलब्धता में सुधार कर उन्नत मानव विकास करने वाले व्यक्तियों की उपलब्धियों को मान्यता देने हेतु प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सम्मान है।
  • शामिल विषय क्षेत्र:
    • यह एक वार्षिक पुरस्कार है जो विश्व खाद्य आपूर्ति में योगदान देने वाले किसी भी क्षेत्र, जैसे- पौधे, पशु और मृदा विज्ञान,खाद्य विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, पोषण एवं ग्रामीण विकास आदि को मान्यता देता है। 
  • पात्रता:
    • इसकी पात्रता जाति, धर्म, राष्ट्रीयता या राजनीतिक मान्यताओं की परवाह किये बिना सभी व्यक्तियों के लिये खुली है।
  • नकद पुरस्कार:
    • पुरस्कार विजेता को 2,50,000 अमेरिकी डॉलर के नकद पुरस्कार के अलावा प्रसिद्ध कलाकार और डिजाइनर, शाऊल बास द्वारा डिज़ाइन की गई एक मूर्ति प्रदान की जाती है।
  • पुरस्कार की प्रस्तुति:
    • यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष अक्तूबर में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य दिवस (16 अक्तूबर) पर या उसके आसपास प्रस्तुत किया जाता है।
    • इसे विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें 80 से अधिक कंपनियाँ, व्यक्ति आदि दानकर्त्ताओं के रूप में शामिल हैं।
    • वर्ल्ड फूड प्राइज़ फाउंडेशन अमेरिका के डेस मोइनेस (Des Moines) में स्थित है।
  • पृष्ठभूमि:
    • वैश्विक कृषि में अपने काम के लिये वर्ष 1970 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ. नॉर्मन ई. बोरलॉग ने विश्व खाद्य पुरस्कार पुरस्कार की कल्पना की थी।
    • विश्व खाद्य पुरस्कार (जनरल फूड्स कॉरपोरेशन द्वारा प्रायोजित) की शुरुआत वर्ष 1986 में की गई थी।
    • इसे "खाद्य और कृषि के लिये नोबेल पुरस्कार" (Nobel Prize for Food and Agriculture) के रूप में भी जाना जाता है।
    • डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन जिन्हें भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है, वर्ष 1987 में इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे।

स्रोत: द हिंदू 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2