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विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस

  • 27 Sep 2022
  • 5 min read

विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष 26 सितंबर को पर्यावरण के स्वास्थ्य के संदर्भ में विश्व स्तर पर जागरूकता का प्रसार करने के लिये मनाया जाता है।

  • इस दिन को मनाने के पीछे केंद्रीय विचार यह है कि मानव स्वास्थ्य का पर्यावरण के स्वास्थ्य के साथ अपरिवर्तनीय संबंध है।

विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस:

  • पृष्ठिभूमि:
    • यह दिन पहली बार वर्ष 2011 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एन्वायरनमेंटल हेल्थ (IFEH) द्वारा मनाया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में लोगों का कल्याण करना है।
      • IFEH पर्यावरण के स्वास्थ्य के संरक्षण और उसमें सुधार हेतु ज्ञान के विकास एवं प्रसार के लिये पूरी तरह से समर्पित है।
  • थीम:
    • इस वर्ष का विषय 'सतत् विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन के लिये पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ बनाना' है।
  • महत्त्व:
    • यह आवश्यक है दुनिया समझे कि पर्यावरण, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के बीच अभिन्न संबंध है। इसलिये सभी समुदायों के स्वस्थ जीवन हेतु हरित पुनर्प्राप्ति में निवेश करना आवश्यक है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्तमान में सामना की जा रही परिस्थितियों का लाभ उठाने के उद्देश्य से "कोविड-19 की स्वस्थ पुनर्प्राप्ति के लिये घोषणापत्र" जारी किया।
    • इसके लिये मानव जाति के लिये पर्यावरण पर ध्यान देना तथा संतुलन बनाने की कोशिश करना और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने "COVID-19 की स्वस्थ पुनर्प्राप्ति के लिये घोषणापत्र" जारी किया।
    • इसका उद्देश्य उस गति-शक्ति का लाभ उठाना है जिसका हम दुनिया भर में सामना कर रहे हैं।
    • पर्यावरणीय स्वास्थ्य SDGs के कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दिलचस्प है कि पर्यावरणीय स्वास्थ्य 7 SDG, 19 योजनाओं और SDG के 30 संकेतकों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।

भारत का पर्यावरणीय स्वास्थ्य:

  • वर्तमान स्थिति:
    • पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2022 में भारत 18.9 के मामूली स्कोर के साथ 180 देशों की सूची में सबसे अंतिम स्थान पर है।
      • भारत सूची में म्याँमार (179वें), वियतनाम (78वें), बांग्लादेश (177वें) और पाकिस्तान (176वें) से पीछे है।
  • संबंधित पहलें:
    • नगर वन उद्यान योजना: इस योजना का उद्देश्य स्वस्थ पर्यावरण को समायोजित करने के लिये नगर निगम या श्रेणी-1 के शहरों (200 से अधिक संख्या वाले प्रत्येक शहर) में कम-से-कम एक शहरी वन विकसित करना है।
    • राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP): इस पहल की शुरुआत देश में आर्द्रभूमि के संरक्षण और उपयोग के लिये की गई थी।
    • हरित कौशल विकास कार्यक्रम: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने युवाओं के बीच पर्यावरण के संरक्षण  के लिये आवश्यक कौशल विकसित करने हेतु जून 2017 में हरित कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया।
    • मृदा बचाओ आंदोलन: विश्व पर्यावरण दिवस 2022 पर प्रधानमंत्री ने 'मृदा बचाओ आंदोलन' की शुरुआत की। यह पहल मृदा को रसायन मुक्त बनाने, मृदा में रहने वाले जीवों को बचाने, मृदा की नमी बनाए रखने, जल की उपलब्धता बढ़ाने और जंगलों की कमी के कारण मृदा के निरंतर क्षरण को रोकने पर केंद्रित है।
    • भारत ने 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का लक्ष्य रखा है और 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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