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श्वेत फॉस्फोरस युद्ध सामग्री

  • 20 Oct 2023
  • 9 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस   

हाल ही में वैश्विक मानवाधिकार संगठनों- एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने इज़रायल रक्षा बलों (Israel Defense Forces- IDF) पर अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून (IHL) का उल्लंघन करते हुए गाज़ा और लेबनान में श्वेत फॉस्फोरस हथियारों का उपयोग करने का आरोप लगाया है।

श्वेत फॉस्फोरस:

  • परिचय: 
    • श्वेत फॉस्फोरस एक पायरोफोरिक अर्थात् स्वत: ज्वलनशील है जो ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर प्रज्वलित होता है, जिससे गाढ़ा, हल्का धुआँ और साथ ही 815 डिग्री सेल्सियस की तीव्र उष्मा उत्पन्न होती है।
      • पायरोफोरिक पदार्थ वे होते हैं जो वायु के संपर्क में आने पर स्वतः बहुत तेज़ी से (5 मिनट से कम समय में) प्रज्वलित हो जाते हैं।
  • वैश्विक स्थिति: 
    • रसायनों के वर्गीकरण और लेबलिंग के विश्व स्तर पर सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण के तहत श्वेत फॉस्फोरस को पायरोफोरिक ठोस (श्रेणी 1, जिसमें ऐसे रसायन शामिल हैं जो वायु के संपर्क में आने पर "सहज" प्रज्वलित हो उठते हैं) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो रासायनिक खतरे के वर्गीकरण और संचार को मानकीकृत करने के लिये विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त दृष्टिकोण है।
  • सैन्य उपयोग:
    • श्वेत फॉस्फोरस तोप के गोले, बम और रॉकेट में प्रयुक्त होता है। इस रसायन में भिगोए गए फेल्ट (कपड़ा) वेजेज़ के माध्यम से भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
    • इसका प्राथमिक सैन्य उपयोग एक स्मोकस्क्रीन के रूप में होता है, जिसका उपयोग थल सेना द्वारा दुश्मन से अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिये किया जाता है। धुआँ दृश्य अस्पष्टता का कार्य करता है। श्वेत फॉस्फोरस इन्फ्रारेड ऑप्टिक्स और आयुध ट्रैकिंग प्रणाली को भी नुकसान पहुँचा सकता है।   
    •  श्वेत फॉस्फोरस का उपयोग आग लगाने वाले हथियार के रूप में भी किया जा सकता है। अमेरिकी सेना ने वर्ष 2004 में इराक में फालुजा की दूसरी लड़ाई के दौरान छिपे हुए लड़ाकों को अपना स्थान छोड़ने के लिये मज़बूर करने हेतु श्वेत फॉस्फोरस हथियारों का इस्तेमाल किया था।
  • घातकता: 
    • यह बेहद ज्वलनशील होने के कारण हड्डियों तक को जला सकता है, इससे लोगों में श्वसन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं तथा आधारभूत अवसंरचना व फसलों को नुकसान पहुँच सकता है, साथ ही वायु के संपर्क में आने से उग्र अग्नि की वजह से पशुधन की मौत/हानि हो सकती है। 

ग्लोबली हार्मोनाइज़्ड सिस्टम ऑफ क्लासिफिकेशन एंड लेबलिंग ऑफ केमिकल्स (GHS):

  • 1970 और 1980 के दशक में कई गंभीर औद्योगिक दुर्घटनाओं के बाद GHS की रूपरेखा तैयार की गई जो हार्मोनाइज़्ड केमिकल लेबल (पिक्टोग्राम) तथा सेफ्टी डेटा शीट की अपनी प्रणाली के माध्यम से श्रमिकों को रासायनिक खतरों/जोखिमों से बचाने में मुख्य भूमिका निभाता है।
  • वर्ष 1992 के रियो पृथ्वी शिखर सम्मेलन के एजेंडा 21 के अध्याय 19 के अनुसरण में संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2003 में GHS के पहले आधिकारिक संस्करण का समर्थन किया

फॉस्फोरस बम का इतिहास एवं विधिक प्रास्थिति: 

  • इतिहास: 
    • आयरिश राष्ट्रवादियों द्वारा 19वीं सदी के अंत में सर्वप्रथम श्वेत/ह्वाइट फास्फोरस बम का इस्तेमाल किया गया, जिसे "फेनियन फायर" के रूप में जाना जाने लगा (फेनियन शब्द आयरिश राष्ट्रवादियों को संदर्भित करता है)।
    • तब से इन बमों का प्रयोग विश्व में कई संघर्षों में किया गया है, जिसमें लंबे समय तक चलने वाला नागोर्नो-काराबाख संघर्ष तथा नॉर्मंडी पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आक्रमण शामिल हैं।
  • विधिक प्रास्थिति:
    • श्वेत फॉस्फोरस बम का उपयोग पूर्ण रूप से प्रतिबंधित (blanket ban) नहीं है, हालाँकि इनका उपयोग IHL के तहत विनियमित है।
    • इसे रासायनिक हथियार नहीं माना जाता है क्योंकि इनके प्रमुख घटकों में ऊष्मा और धूम्र शामिल हैं। परिणामस्वरूप इसके अनुप्रयोग को कतिपय पारंपरिक हथियारों (CCW) के अभिसमय के प्रोटोकॉल III द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो आग लगाने वाले हथियारों को संबोधित करता है।
      • सर्वप्रथम, यह बड़ी आबादी वाले क्षेत्रों में सतह से लॉन्च किये जाने वाले तापदीप्त बमों के उपयोग पर रोक लगाता है। हालाँकि यह सतह से लॉन्च किये गए सभी तापदीप्त बमों के उपयोग को सीमित नहीं करता है।
      • दूसरा, बहुउद्देशीय हथियार जिनमें श्वेत फास्फोरस बम शामिल है को आमतौर पर "स्मोकिंग" एजेंट के रूप में माना जाता है, इन्हें प्रोटोकॉल की तापदीप्त बमों की परिभाषा से बाहर रखा जा सकता है क्योंकि इसमें ऐसे बम शामिल हैं जो "मुख्य रूप से आग लगाने तथा लोगों को जलाने के लिये डिज़ाइन किये गए" हैं।

 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: 'रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. यह नाटो और डब्ल्यूएचओ के साथ कार्य करने के संबंध में यूरोपीय संघ का एक संगठन है।
  2. यह नए हथियारों के उपयोग को रोकने हेतु रासायनिक उद्योगों की निगरानी करता है।
  3. यह रासायनिक हथियारों के खतरों के खिलाफ राज्यों (पार्टियों) को सहायता और सुरक्षा प्रदान करता है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ तथा ‘वासेनार व्यवस्था’ के नाम से ज्ञात बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत को सदस्य बनाए जाने का समर्थन करने का निर्णय लिया है। इन दोनों व्यवस्थाओं के बीच क्या अंतर है? (2011)

  1. ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ एक अनौपचारिक व्यवस्था है जिसका लक्ष्य निर्यातक देशों द्वारा रासायनिक तथा जैविक हथियारों के प्रगुणन में सहायक होने के जोखिम को न्यूनीकृत करना है, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ OECD के अंतर्गत गठित औपचारिक समूह है जिसके समान लक्ष्य हैं।
  2. ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ के सहभागी मुख्यतः एशियाई, अफ्रीकी और उत्तरी अमेरिका के देश हैं, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ के सहभागी मुख्यतः यूरोपीय संघ और अमेरिकी महाद्वीप के देश हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)

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