कश्मीरी कारीगरों के लिये WCC द्वारा कार्यक्रम का आयोजन | 06 Aug 2024

स्रोत: द हिंदू

विश्व शिल्प परिषद (World Craft Council- WCC) द्वारा कश्मीर के कारीगरों के लिये उन शहरों के साथ ज्ञान विनिमय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिन्होंने सदियों पहले यहाँ के शिल्प सौंदर्य को प्रभावित किया था। इससे पूर्व जून 2024 में WCC ने श्रीनगर को विश्व शिल्प शहर का नाम दिया था।

  • यह कदम समान संस्कृति और विशेषज्ञता वाले कारीगरों को एक साथ संगठित करेगा, ताकि वे सांस्कृतिक एवं तकनीकी दोनों रूप से एक-दूसरे से लाभान्वित हो सकें।
  • WCC-इंटरनेशनल की स्थापना वर्ष 1964 में हुई थी और श्रीमती कमलादेवी चट्टोपाध्याय इसके संस्थापक सदस्यों में से एक थीं जिन्होंने WCC की पहली आम सभा में भाग लिया था। WCC का मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में शिल्पकला की स्थिति को सुदृढ़ करना है।

कश्मीर के महत्त्वपूर्ण शिल्प:

  • कश्मीर के 7 शिल्पों - कानी शॉल, पश्मीना, सोज़नी, पेपर-मैची, अखरोट की लकड़ी की नक्काशी, खतमबंद और हाथ से बुने कालीनों को भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाणन प्राप्त हुआ है।
  • श्रीनगर के शिल्प के विषय में:
    • भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट- कश्मीर (INTACH-कश्मीर) की वर्ष 2024 की रिपोर्ट के अनुसार श्रीनगर दक्षिण एशिया के प्राचीन शहरों में से एक है, जिसका लगभग 1,500 वर्षों पुराना इतिहास है।
      • INTACH की स्थापना वर्ष 1984 में नई दिल्ली में भारत में विरासत जागरूकता और संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। आज, INTACH को विश्व के सबसे बड़े विरासत संगठनों में से एक माना जाता है।
    • यह शहर 'कश्मीरी' ब्रांड और पैस्ले मोटिफ के लिये विश्व स्तर पर जाना जाता है। 
    • ईरान के कारीगरों ने पाँच शताब्दियों पहले ज़ांजान और फिलिग्री जैसे शिल्पों की शुरुआत की थी।
    • श्रीनगर की कालीन परंपरा 14वीं शताब्दी के अंत में सूफी संत सैय्यद अली हमदानी के साथ शुरू हुई। 
    • वर्ष 2021 में श्रीनगर शहर को शिल्प और लोक कलाओं के लिये यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क (UNESCO Creative City Network- UCCN) के हिस्से के रूप में मान्यता दी गई थी।

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