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ग्रेट बैरियर रीफ के जल का गर्म होना

  • 10 Aug 2024
  • 9 min read

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों ?

पिछले दशक में ग्रेट बैरियर रीफ में समुद्र का तापमान 400 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गया। वर्ष 2016 से वर्ष 2024 के बीच रीफ को बड़े पैमाने पर प्रवाल विरंजन की घटनाओं का सामना करना पड़ा।

ग्रेट बैरियर रीफ (GBR)

  • ग्रेट बैरियर रीफ विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति तंत्र है। यह ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड तट से दूर कोरल सागर में स्थित है। 
  • यह 2,300 किलोमीटर तक फैला है और लगभग 3,000 अलग-अलग भित्तियों व 900 द्वीपों से निर्मित है। ग्रेट बैरियर रीफ 400 प्रकार के प्रवाल और 1,500 प्रजातियों की मछलियों का आवास स्थान है। 
  • यह डुगोंग और बड़े ग्रीन टर्टल जैसी संकटग्रस्त प्रजातियों का भी आवास स्थान है।
  • ग्रेट बैरियर रीफ यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और इसे वर्ष 1981 में अंकित किया गया था। 
  • ग्रेट बैरियर रीफ का व्यापक सामूहिक विरंजन पहली बार वर्ष 1998 में दर्ज किया गया था और यह घटना वर्ष 2002, वर्ष 2016, वर्ष 2017, वर्ष 2020, वर्ष 2022 तथा वर्ष 2024 में फिर से हुई है।

इस शोध के क्या निष्कर्ष हैं?

  • प्रवाल विरंजन: ऑस्ट्रेलिया के पूर्वोत्तर तट पर 300 से अधिक भित्ति के हवाई सर्वेक्षणों से पता चला है कि उथले जल में विरंजन हो रहा है, जिससे रीफ का दो-तिहाई हिस्सा प्रभावित हो रहा है।
  • बढ़ते खतरे: भले ही ग्लोबल वार्मिंग को पेरिस समझौते के लक्ष्य के तहत रखा जाए, लेकिन विश्व में 70% से 90% प्रवाल खतरे में पड़ सकते हैं।
  • कम विविधता: विरंजन घटनाओं की अनुक्रिया के रूप में पिछले चौथाई सदी में प्रवाल भित्तियाँ विकसित हो रही हैं। जैसे-जैसे अधिक ग्रीष्म-सहिष्णु प्रवाल कम गर्मी-सहिष्णु प्रजातियों की जगह ले रहे हैं, प्रजातियों की संख्या में अवांछित ह्रास और विश्व की सबसे बड़ी रीफ द्वारा कवर किये गए क्षेत्र में क्षरण के बारे में वास्तविक चिंता बढ़ती जा रही है।

प्रवाल भित्तियाँ क्या हैं?

  • परिचय :
    • कोरल रीफ मुख्य रूप से कोरल पॉलीप्स द्वारा निर्मित समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र हैं जिनका प्रकाश संश्लेषक शैवाल ज़ूजैन्थेला (Zooxanthellae) — के साथ सहजीवी संबंध होता है।
    • ज़ूजैन्थेला प्रवाल को पोषक तत्त्व और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जबकि प्रवाल इन्हें आश्रय प्रदान करते हैं। यह पारस्परिकता प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और अस्तित्व के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • प्रकार:
    • हाइड्रोकोरल (फायर प्रवाल): ये भित्ति निर्माण करने वाले हाइड्रॉइड हैं जिनमें एक कठोर कैल्केरियस एक्सोस्केलेटन (बाह्य संरचना) और स्टिंग कोशिकाएँ होती हैं जो छूने पर जलन उत्पन्न कर सकती हैं।
    • ऑक्टोकोरल (नर्म प्रवाल): इसमें सी-फैन्स और सी-व्हिप्स शामिल हैं, जो मुख्यतः मांसल पादप की भांति विकसित होते हैं और ये कैल्शियम कार्बोनेट की कठोर संरचना नहीं बनाते हैं।
    • एंटीपैथेरियन (काले प्रवाल): वे एक प्रकार के 'सॉफ्ट/नर्म' प्रवाल हैं जिन्हें उनके जेट-ब्लैक या डार्क ब्राउन चिटिन स्केलेटन से पहचाना जाता है।
  • भौगोलिक विस्तार:
    • प्रवाल विश्व भर के महासागरों में उथले और गहरे दोनों जल क्षेत्र में पाए जा सकते हैं। हालाँकि, शैवाल के साथ सहजीवी संबंध पर निर्भर रहने वाले रीफ-बिल्डिंग प्रवाल को प्रकाश संश्लेषण के लिये प्रकाश प्रवेश वाले उथले, साफ जल की आवश्यकता होती है।
      • शैल प्रवाल को उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय तापमान की भी आवश्यकता होती है, जो 30 डिग्री उत्तर और दक्षिण अक्षांशों के बीच एक बैंड में मौजूद हैं।
    • भारत में प्रमुख प्रवाल भित्ति संरचनाएँ मन्नार की खाड़ी, पाक खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप द्वीप समूह हैं।
  • महत्व:
    • ये विश्व के महासागरों के केवल 1% हिस्से को कवर करते हैं, लेकिन विश्व की कम से कम 25% समुद्री प्रजातियों के लिये आवास प्रदान करते हैं।
    • प्रवाल भित्ति औषधीय अनुसंधान के लिये मूल्यवान हैं, कैंसर, गठिया, संक्रमण और अन्य बीमारियों के उपचार के लिये भित्ति जीवों से कई औषधियाँ विकसित की गई हैं।
    • प्रवाल भित्ति लहरों, तूफानों और बाढ़ के प्रभाव को कम करके तटरेखाओं का संरक्षण करते हैं तथा समुद्र तट के निर्माण में योगदान करते हैं, समुद्र तटों के समीप अधिकांश रेत टूटे हुए प्रवाल कंकालों से बनी है।
    • प्रवाल भित्तियाँ स्पंज जैसे महत्त्वपूर्ण फिल्टर फीडरों का भी निवास क्षेत्र हैं, जो महासागरों से विषाक्त पदार्थों व प्रदूषकों का निस्यंदन/फिल्टर करते हैं और बड़ी मात्रा में पौधों को पोषण देते हैं जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं तथा ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
  • प्रवाल विरंजन:
    • जब समुद्र के बढ़ते तापमान या प्रदूषण जैसे कारकों के कारण प्रवाल तनाव में होते हैं, तो शैवाल प्रवाल ऊतकों को छोड़ देते हैं। 
    • शैवाल के बिना, कोरल अपना रंग खो देते हैं, सफेद या बहुत पीले हो जाते हैं और बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। 
    • शैवाल के समाप्त होने से कोरल की खाद्य आपूर्ति बाधित होती है जिससे प्रवाल विरंजन या कोरल ब्लीचिंग होता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. विश्व की सर्वाधिक प्रवाल भित्तियाँ उष्णकटिबंधीय सागर जलों में मिलती हैं।
  2. विश्व की एक तिहाई से अधिक प्रवाल भित्तियाँ ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस के राज्य-क्षेत्रों में स्थित हैं।
  3. उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की अपेक्षा, प्रवाल भित्तियाँ कहीं अधिक संख्या में जंतु संघों का परपोषण करती हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न.  निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं? (2014)

  1. अंडमान और नोकोबार द्वीप समूह
  2. कच्छ की खाड़ी
  3. मन्नार की खाड़ी
  4. सुंदरबन

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)

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