प्रारंभिक परीक्षा
ज्वालामुखी विस्फोट और आयनमंडलीय विक्षोभ
- 22 Oct 2024
- 6 min read
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक नए अध्ययन से टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट और भारतीय उपमहाद्वीप पर भूमध्यरेखीय प्लाज़्मा बुलबुले (EPB) के निर्माण के बीच संबंध का पता चला है।
- टोंगा ज्वालामुखी दक्षिण प्रशांत महासागर में एक पनडुब्बी ज्वालामुखी है।
अध्ययन की मुख्य बातें क्या हैं?
- ज्वालामुखी विस्फोट और अंतरिक्ष की जलवायु: टोंगा विस्फोट से आयनमंडलीय विक्षोभ उत्पन्न हुआ, जिससे अंतरिक्ष में जलवायु परिघटनाएँ बढ़ी हैं, जो उपग्रह संकेतों को प्रभावित करती हैं।
- वायुमंडलीय गुरुत्व तरंगें: विस्फोट से प्रबल वायुमंडलीय गुरुत्व तरंगें उत्पन्न हुईं, जो ऊपरी वायुमंडल में फैल गईं, जिससे EPB के निर्माण के लिये अनुकूल आयनमंडलीय परिस्थितियाँ उत्पन्न हो गईं।
- वायुमंडलीय गुरुत्व तरंगें तब निर्मित होती हैं जब उत्प्रवाह वायु को ऊपर की ओर दबाव देती है, जबकि गुरुत्वाकर्षण उसे वापस नीचे आकर्षित करता है।
- प्लाज़्मा अस्थिरता: प्लाज़्मा बुलबुले, शाम के समय आयनमंडलीय पूर्व दिशा में विद्युत क्षेत्र में वृद्धि का पता चला, जो विस्फोट के कारण आयनमंडलीय विक्षोभ का संकेत देता है।
भूमध्यरेखीय प्लाज़्मा बुलबुले (EPB) से संबंधित मुख्य बातें क्या हैं?
- EPB: यह आयनमंडलीय परिघटना है, जो प्लाज़्मा अस्थिरता के माध्यम से उत्पन्न होती हैं, विशेष रूप से भूमध्यरेखीय आयनमंडल में।
- EPB आयनमंडल में क्षीण प्लाज़्मा के वे क्षेत्र हैं, जो सूर्यास्त के बाद चुंबकीय भूमध्य रेखा के पास निर्मित होते हैं।
- EPB भूमध्यरेखीय आयनमंडल में उत्पन्न होते हैं, लेकिन पृथ्वी के भूमध्य रेखा से 15° उत्तर और दक्षिण तक वैश्विक आयनमंडल को प्रभावित करते हुए फैल सकते हैं।
- रेडियो तरंग संचरण पर प्रभाव: जैसे ही रेडियो तरंगें आयनमंडल से होकर गुजरती हैं, EPB से संबंधित अनियमितताएँ उन्हें बिखेर सकती हैं, जिससे सिग्नल में गिरावट आ सकती है।
- यह उन संचार प्रणालियों के लिये एक प्रमुख चिंता का विषय है जो उच्च आवृत्ति रेडियो तरंगों पर निर्भर हैं, जैसे उपग्रह संचार और जी.पी.एस. आदि।
- मौसमी और क्षेत्रीय परिवर्तनशीलता: EPB शीत अयनांत (21 या 22 दिसंबर) के दौरान सबसे अधिक होते हैं और ग्रीष्म अयनांत (21 जून) के दौरान सबसे कम होते हैं।
टोंगा ज्वालामुखी से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- स्थान: यह पश्चिमी दक्षिण प्रशांत महासागर में, टोंगा साम्राज्य के मुख्य बसे हुए द्वीपों के पश्चिम में स्थित है।
- भूविज्ञान: यह टोफुआ आर्क के साथ 12 पुष्टिकृत पनडुब्बी ज्वालामुखियों में से एक है, जो बड़े टोंगा-केरमाडेक ज्वालामुखी आर्क का एक भाग है।
- टोंगा-केरमाडेक आर्क का निर्माण इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट के नीचे प्रशांत प्लेट के क्षेपण के परिणामस्वरूप हुआ।
- यह रिंग ऑफ फायर का एक हिस्सा है ।
- पनडुब्बी ज्वालामुखी: यह जल के नीचे स्थित ज्वालामुखी है, जिसमें दो छोटे निर्जन द्वीप, हंगा-हापाई और हंगा-टोंगा शामिल हैं।
आयनमंडल:
- यह क्षोभमंडल या समतापमंडल की तरह एक अलग परत नहीं है। इसके बजाय आयनमंडल मेसोस्फीयर, थर्मोस्फीयर और एक्सोस्फीयर को ओवरलैप करता है।
- यह वायुमंडल का एक सक्रिय भाग है तथा यह सूर्य से अवशोषित ऊर्जा के आधार पर बढ़ता और संकुचित होता है।
- यह एक विद्युत चालक क्षेत्र है, जो रेडियो संकेतों को पृथ्वी पर वापस भेजने में सक्षम है।
- इस प्रकार बनने वाले विद्युत आवेशित परमाणुओं और अणुओं को आयन कहा जाता है, जिससे आयनमंडल को यह नाम मिला है।
और पढ़ें: टोंगा ज्वालामुखी का मौसम पर प्रभाव
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त में से कौन-से पृथ्वी के पृष्ठ पर गतिक परिवर्तन लाने के लिये ज़िम्मेदार हैं? (a) केवल 1, 2, 3 और 4 उत्तर: (d) |