प्रारंभिक परीक्षा
तीन हिमालयी औषधीय पौधे IUCN रेड लिस्ट में शामिल
- 10 Dec 2022
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चर्चा में क्यों?
हिमालय में पाए जाने वाली तीन औषधीय पादप प्रजातियों (मेइज़ोट्रोपिस पेलिटा, फ्रिटिलारिया सिरोहोसा, डैक्टाइलोरिज़ा हैटागिरिया) को हाल ही में हुए मूल्यांकन के बाद संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में शामिल किया गया है।
- हिमालयी क्षेत्र में किया गया आकलन दर्शाता है कि वनोन्मूलन , निवास स्थान का नुकसान, वनाग्नि, अवैध व्यापार और जलवायु परिवर्तन कई प्रजातियों के लिये एक गंभीर खतरा हैं। नवीनतम आँकड़ों से इस क्षेत्र में संरक्षण संबंधी प्रयास किये जाने की उम्मीद है।
इन प्रजातियों की मुख्य विशेषताएँ?
- मेइज़ोट्रोपिस पेलिट (Meizotropis pellita):
- परिचय:
- इसे आमतौर पर पटवा के रूप में जाना जाता है, यह वर्ष भर पाई जाने वाली झाड़ी(shrub) है जो विशेष रूप से उत्तराखंड के लिये स्थानिक है।
- IUCN में सूचीबद्ध:
- अध्ययन में कहा गया है कि इन प्रजातियों को उनके सीमित क्षेत्र (10 वर्ग किमी से कम) के आधार पर 'गंभीर रूप से लुप्तप्राय' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- वनोन्मूलन , निवास स्थान का नुकसान, वनाग्नि के कारण ये प्रजातियाँ खतरे में है।
- महत्त्व:
- प्रजातियों की पत्तियों से निकाले गए आवश्यक तेल में मज़बूत एंटीऑक्सिडेंट होते हैं और यह दवा उद्योगों में सिंथेटिक एंटीऑक्सिडेंट के लिये एक आशाजनक प्राकृतिक विकल्प हो सकता है।
- फ्रिटिलारिया सिरोसा:
- परिचय:
- इसे आमतौर पर हिमालयन फ्रिटिलरी के रूप में जाना जाता है यह एक बारहमासी बल्बनुमा जड़ी बूटी है।
- IUCN में सूचीबद्ध:
- गिरावट की दर, बहुत पुरानी पीढ़ी, कम अंकुरण क्षमता, उच्च व्यापार मूल्य, व्यापक कटाई दबाव और अवैध व्यापार को ध्यान में रखते हुए प्रजातियों को 'सुभेद्य' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- महत्त्व:
- चीन में प्रजातियों का उपयोग ब्रोन्कियल विकारों और निमोनिया के इलाज़ के लिये किया जाता है। यह पौधा एक मज़बूत कफ निस्सारक और पारंपरिक चीनी चिकित्सा में दवाओं का स्रोत भी है।
- डैक्टाइलोरिजा हटागिरिया (Dactylorhiza hatagirea):
- परिचय:
- यह आमतौर पर सलामपांजा के रूप में जाना जाता है, यह हिंदूकुश और अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, नेपाल और पाकिस्तान के हिमालयी क्षेत्रों के लिये एक बारहमासी कंद प्रजाति है।
- IUCN में सूचीबद्ध:
- यह निवास स्थान की क्षति, पशुधन चराई, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारण खतरे में है तथा इन प्रजातियों को 'लुप्तप्राय' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- महत्त्व:
- पेचिश, जठरशोथ, जीर्ण ज्वर, खाँसी और पेट दर्द को ठीक करने के लिये आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और चिकित्सा की अन्य वैकल्पिक प्रणालियों में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) और वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:(a) केवल 1 उत्तर: (b) |