मधुमक्खियों को खतरा | 17 Jan 2025

स्रोत: डाउन टू अर्थ

साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, मिट्टी में मौजूद कीटनाशक अवशेष 70% से अधिक मधुमक्खी प्रजातियाँ, जो परागण के लिये आवश्यक है, के लिये खतरा उत्पन्न करते हैं।

  • अध्ययन का निष्कर्ष: वर्तमान कीटनाशक जोखिम आकलन मुख्य रूप से शहद निर्मित करने वाली मधुमक्खियों पर केंद्रित है, जिसमे मिट्टी में छत्ता (Nest) बनाने वाली मधुमक्खियों पर पड़ने वाले प्रभाव को शामिल नही किया गया है। 
    • सायन्ट्रानिलिप्रोले जैसे कीटनाशक मधुमक्खियों के अस्तित्व और प्रजनन की सफलता को कम करके उन्हें नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे भावी पीढ़ियों के लिये खतरा उत्पन्न हो जाता है।
  • मधुमक्खियों का महत्त्व: मधुमक्खियाँ कई खाद्य फसलों के परागण के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, जो खाद्य सुरक्षा में प्रत्यक्ष रूप से योगदान देती हैं। खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार विश्व के खाद्य उत्पादन का एक तिहाई हिस्सा उन पर निर्भर करता है।
  • विस्तृत क्षेत्र में रहने वाली मधुमक्खियाँ कीटनाशकों के प्रभाव को कम करने के लिये सामाजिक विषहरण विधियों का उपयोग करती हैं, जो विष को नियंत्रित करने के लिये सामूहिक व्यवहार हैं। मधुमक्खियों कीटनाशकों के संपर्क में आने के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। 
  • परागण: किसी पौधे के परागकोष से परागकणों का उस पौधे के वर्तिकाग्र तक पहुंचना है. यह प्रक्रिया, निषेचन और बीजों के निर्माण में मदद करती है। 
  • परागणकर्त्ताओं में कमी का प्रभाव: आवास की क्षति, कीटनाशकों और जलवायु परिवर्तन के कारण मधुमक्खियों की आबादी में कमी से उन पौधों को खतरा है जो परागण के लिये मधुमक्खियों पर निर्भर हैं, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा, मधुमक्खी पालन (या मधुमक्खी पालन) और जैवविविधता प्रभावित हो रही है।

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