प्रारंभिक परीक्षा
टी हॉर्स रोड
- 26 Feb 2025
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत में चीन के राजदूत ने तिब्बत से होकर चीन को भारत से जोड़ने वाले प्राचीन टी हॉर्स रोड पर प्रकाश डाला तथा चीन और भारतीय उपमहाद्वीप के बीच होने वाले विनिमय को सुविधाजनक बनाने में इसकी वर्षों पुरानी भूमिका उजागर किया।
टी हॉर्स रोड क्या है?
- परिचय:
- टी हॉर्स रोड, जिसे प्रायः दक्षिणी सिल्क रोड के रूप में जाना जाता है, कारवाँ मार्गों का एक नेटवर्क और व्यापार की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण मार्ग है जिससे सदियों से चीन, तिब्बत और भारत के बीच कनेक्टिविटी सुनिश्चित हुई।
- मार्ग:
- यह दक्षिण-पश्चिम चीन (युन्नान और सिचुआन) से शुरू होकर तिब्बत, नेपाल और भारत से होते हुए अंततः कोलकाता तक विस्तृत है।
- प्रमुख केंद्र:
- लिजिआंग और डाली (युन्नान, चीन): चाय प्रसंस्करण और व्यापार केंद्र।
- ल्हासा (तिब्बत): चाय और तिब्बती वस्तुओं जैसे अश्वों का एक प्रमुख अभिसरण बिंदु।
- कलिम्पोंग और कोलकाता (भारत): यह यूरोप और एशिया में निर्यात से पहले अंतिम व्यापार गंतव्य अथवा पड़ाव है।
- प्रमुख मार्ग:
- मार्ग 1: याआन (चेंग्दू के पास) से शुरू होकर, कांगडिंग, ल्हासा से होकर नेपाल और भारत तक विस्तारित होता है।
- मार्ग 2: मध्य युन्नान में शुरू हुआ, लिजिआंग, झोंगडियन और डेकिन से गुजरते हुए, भारत में विस्तार करने से पहले ल्हासा पहुँचा।
- उत्पत्ति एवं विकास:
- टी हॉर्स रोड तांग राजवंश (618-907 CE) के समय का है और शुरू में चीन से तिब्बत और भारत तक चीनी, कपड़ा और चावल नूडल्स के व्यापार की सुविधा प्रदान करता था, जबकि घोड़े, स्वर्ण, केसर और औषधीय जड़ी-बूटियों का व्यापार विपरीत मार्ग में होता था।
- अंततः यह व्यापार चाय और घोड़ों के इर्द-गिर्द केंद्रित हो गया, जिसके कारण इस मार्ग का नाम "टी हॉर्स रोड" रखा गया।
- सोंग राजवंश (960-1279 ई.) ने व्यापार को औपचारिक रूप दिया, तथा चीन की सेना के लिये तिब्बती घोड़ों और तिब्बत के लिये चीनी चाय के आदान-प्रदान को विनियमित किया।
- 13 वीं शताब्दी में मंगोल विस्तार ने घोड़ों की आपूर्ति के लिये इस मार्ग के महत्त्व को और बढ़ा दिया।
- टी हॉर्स रोड का पतन:
- किंग राजवंश का अंत (1912): राजनीतिक अस्थिरता के कारण व्यापार मार्गों पर नियंत्रण कमज़ोर हो गया।
- बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण: आधुनिक परिवहन नेटवर्क ने पारंपरिक मार्गों को अप्रचलित बना दिया है।
- द्वितीय विश्व युद्ध और आर्थिक बदलाव: यद्यपि सैन्य रसद के लिये इसे कुछ समय के लिये पुनर्जीवित किया गया, लेकिन औद्योगिक उत्पादन और मशीनीकृत परिवहन के कारण इसमें गिरावट आई।
- आधुनिक चीन की स्थापना (1949): भूमि सुधार और सड़क निर्माण ने पारंपरिक पोर्टिंग प्रणाली को अनावश्यक बना दिया।
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