नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

बिहार का तारापुर नरसंहार

  • 18 Feb 2022
  • 3 min read

हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री ने 90 वर्ष पहले बिहार के मुंगेर ज़िले के तारापुर शहर (अब उपखंड) में पुलिस द्वारा मारे गए 34 स्वतंत्रता सेनानियों की याद में 15 फरवरी को "शहीद दिवस" ​​​​के रूप में मनाने की घोषणा की है। 

  • 1919 में अमृतसर के जलियाँवाला बाग में हुए हत्याकांड के बाद तारापुर हत्याकांड ब्रिटिश पुलिस द्वारा किया गया सबसे बड़ा नरसंहार था।

तारापुर नरसंहार:

  • 15 फरवरी, 1932 को युवा स्वतंत्रता सेनानियों के एक समूह ने तारापुर थाना भवन में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने की योजना बनाई।
  • पुलिस को इस योजना की जानकारी थी और मौके पर कई अधिकारी मौजूद थे।
  • 4,000 की भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, जिसमें नागरिक प्रशासन का एक अधिकारी घायल हो गया।
  • पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में भीड़ पर अंधाधुंध फायरिंग की। लगभग 75 राउंड फायरिंग के बाद मौके पर  34 शव मिले, हालाँकि इससे भी बड़ी संख्या में मौतों का दावा किया जा रहा था।
  • मृतकों में से सिर्फ 13 लोगों की ही पहचान की गई।

विरोध की वजह:

  • 23 मार्च, 1931 को लाहौर में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांँसी दिये जाने के कारण पूरे देश में शोक और आक्रोश की लहर दौड़ गई।
  • गांधी-इरविन पैक्ट निरस्त होने के बाद महात्मा गांधी को वर्ष 1932 की शुरुआत में गिरफ्तार कर लिया गया था।
    • इस समझौते द्वारा गांधीजी ने लंदन में एक गोलमेज़ सम्मेलन (काॅन्ग्रेस ने पहले गोलमेज़ सम्मेलन का बहिष्कार किया था) में भाग लेने के लिये सहमति व्यक्त की और सरकार राजनीतिक कैदियों को रिहा करने पर सहमत हो गई।
  • काॅन्ग्रेस को एक अवैध संगठन घोषित किया गया और नेहरू, पटेल तथा राजेंद्र प्रसाद को भी जेल में डाल दिया गया।
  • मुंगेर में स्वतंत्रता सेनानी श्रीकृष्ण सिंह, नेमधारी सिंह, निरापद मुखर्जी, पंडित दशरथ झा, बासुकीनाथ राय, दीनानाथ सहाय और जयमंगल शास्त्री को गिरफ्तार किया गया था।
  • काॅन्ग्रेस नेता सरदार शार्दुल सिंह कविश्वर द्वारा सरकारी भवनों पर तिरंगा फहराने का आह्वान तारापुर में गूँज उठा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow