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T+0 और त्वरित निपटान चक्र

  • 29 Dec 2023
  • 4 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा निधियों एवं प्रतिभूतियों के लिये वैकल्पिक T+0 (उसी दिन) तथा तत्काल निपटान चक्र के लिये एक नई प्रणाली प्रस्तावित की गई है। यह प्रणाली द्वितीयक बाज़ारों में इक्विटी नकदी खंड के लिये मौजूदा T+1 (एक दिन का ट्रेड प्लस) निपटान चक्र का पूरक होगी।

  • SEBI यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस जैसे व्यापक रूप से उपयोग किये जाने वाले तात्कालिक भुगतान विकल्पों को अपनाकर स्टॉक ट्रेडिंग में लचीलेपन के लिये आधुनिक निवेशकों की इच्छाओं को बेहतर ढंग से समायोजित करना चाहता है।

प्रतिभूति बाज़ार में निपटान चक्र क्या है?

  • निपटान चक्र में T:  वित्तीय बाज़ारों के भीतर निपटान चक्रों में "T" उस दिन को संदर्भित करता है जिस दिन लेनदेन या व्यापार होता है।
    • इस संदर्भ में "T" लेनदेन की तारीख का प्रतिनिधित्व करता है। निपटान चक्र, जिसे "T+n" के रूप में दर्शाया जाता है, लेन-देन की तारीख (T) के बाद के दिनों की संख्या निर्दिष्ट करता है जिसके द्वारा व्यापार का निपटान या समापन होता है।
  • निपटान चक्र का विकास: SEBI ने निपटान चक्र को वर्ष 2002 में T+5 से छोटा करके T+3 और उसके बाद वर्ष 2003 में T+2 कर दिया।
    • वर्तमान में भारत में निधियों और प्रतिभूतियों का निपटान T+1 चक्र पर होता है, जिसे वर्ष 2021 तक चरणबद्ध किया गया तथा जनवरी 2023 तक पूर्ण रूप से लागू किया गया।
  • नए निपटान चक्रों के लिये SEBI के प्रस्तावित चरण:
    • चरण 1: T+0 निपटान चक्र:
      • दोपहर 1:30 बजे तक के ट्रेड/व्यापारों के लिये एक वैकल्पिक T+0 निपटान चक्र की कल्पना की गई है, जिसका लक्ष्य उसी दिन शाम 4:30 बजे तक फंड और प्रतिभूतियों का निपटान करना है।
    • चरण 2: त्वरित निपटान चक्र:
      • इसका लक्ष्य अपराह्न 3:30 बजे तक व्यापार के साथ, फंड/निधि और प्रतिभूतियों सहित, एक वैकल्पिक किंतु तात्कालिक व्यापार-दर-व्यापार निपटान करना है।
    • SEBI ने बाज़ार पूंजीकरण के आधार पर शीर्ष 500 सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों के लिये तीन किश्तों (200, 200,100) में T+0 निपटान चक्र के प्रारंभिक रोलआउट का प्रस्ताव दिया है।
      • यह पहल बदलते भारतीय प्रतिभूति बाज़ार के अनुरूप है, जो बढ़ती संख्या, मूल्यन/भाव तथा प्रतिभागियों पर आधारित है।
  • लाभ: 
    • ग्राहक: यह विक्रेताओं के लिये प्रतिभूतियों के लिये धन के त्वरित भुगतान को सक्षम बनाता है तथा भुगतान हेतु बेहतर लचीलेपन की प्रस्तुति करता है।
    • प्रतिभूति बाज़ार पारिस्थितिकी तंत्र: त्वरित भुगतान से बाज़ार पारिस्थितिकी तंत्र की दक्षता एवं तरलता को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
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