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सुपरचार्ज्ड बायोटेक राइस

  • 22 Aug 2022
  • 7 min read

हाल ही में चाइनीज़ एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज़ के वैज्ञानिकों ने प्रदर्शित किया है कि कैसे एक ट्रांसक्रिप्शनल रेगुलेटर अनाज की पैदावार को बढ़ा सकता है और चावल के तैयार होने की अवधि को कम कर सकता है।

  • सुपरचार्ज्ड बायोटेक चावल की पैदावार में 40 फीसदी की वृद्धि करता है।

 रिपोर्ट की मुख्य बातें:

  • सुपरचार्ज्ड चावल:
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि चाइनीज़ चावल की एक किस्म के ज़ीन की दूसरी प्रति से उसकी उपज में 40 फीसदी तक की वृद्धि हुई है।
    • चावल के पौधे को OsDREB1C नामक एकल जीन की दूसरी प्रति से जुड़ने से लाभ होता है क्योंकि यह प्रकाश संश्लेषण और नाइट्रोज़न के उपयोग को बढ़ाता है, फलने-फूलने की गति में वृद्धि करता है तथा नाइट्रोजन को अधिक प्रभावी ढंग से अवशोषित करता है, जिससे बड़े पैमाने पर अधिक मात्रा में अनाज का उत्पादन होता है।
      • इस परिवर्तन से पौधे को अधिक उर्वरक अवशोषित करने में मदद मिलती है, प्रकाश संश्लेषण को बढ़ावा मिलता है, और पौधे का विकास तेज़ी होता है। ये सभी अधिक फसल पैदावार में मदद कर सकते हैं।
    • इसके लिये शोधकर्त्ताओं ने फिर से उसी 'देशी/मूल' जीन को जोड़ा, न कि कोई विदेशी जीन (जैसा कि BT कपास या BT सोयाबीन के मामले में किया गया)। इस तकनीक का वर्णन करने के लिये जेनेटिक मॉड्यूलेशन सबसे अच्छा शब्द है।
      • जीन मोड्यूलेशन अंतर्निहित सेलुलर डीएनए में आनुवंशिक परिवर्तन किये बिना अस्थायी रूप से जीन अभिव्यक्ति के स्तर को बदलने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
      • यह एक आनुवंशिक संशोधन (GM) नहीं है और न ही किसी अन्य दाता से तत्त्वों को ले जाने वाले ट्रांसजेनिक पौधे का परिणाम है।
  • भारत के संदर्भ में महत्त्व:
    • यह रिपोर्ट भारत के लिये विशेष रूप से प्रासंगिक है, जिसका उद्देश्य चावल के उत्पादन और विपणन में अपनी वैश्विक स्थिति को बनाए रखना है।
    • भारत दुनिया भर में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। इसने वर्ष 2021-22 के दौरान 150 से अधिक देशों को 18.75 मिलियन मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया, जिससे 6.11 बिलियन डॉलर की आय हुई।
      • उत्पादन की दृष्टि से वियतनाम दूसरे स्थान पर है।
    • आने वाले वर्षों में बढ़ती मांग को देखते हुए भारत को चावल के उत्पादन और निर्यात को बढ़ाने के लिये नई रणनीति बनानी चाहिये तथा विश्व में चावल के सबसे बड़े उत्पादक एवं निर्यातक के रूप में अपनी भूमिका को विस्तारित करने के लिये यह आँकड़ा 18.75 मिलियन टन से कहीं अधिक होना चाहिये।
    • कुछ शीर्ष चावल शोधकर्त्ता आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ पूरे भारत में कई प्रयोगशालाओं में आनुवंशिक इंजीनियरिंग पर काम कर रहे हैं।

चावल की खेती के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण बिंदु

Major_Rice_Producing_States

  • यह एक खरीफ फसल है जिसके लिये उच्च तापमान (25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर) और उच्च आर्द्रता की आवश्यकता होती है एवं वार्षिक वर्षा 100 सेमी से अधिक होनी चाहिये।
  • चावल उत्तर और उत्तर-पूर्वी भारत के मैदानी इलाकों, तटीय क्षेत्रों एवं डेल्टा क्षेत्रों में उगाया जाता है।
  • चावल उत्पादन के लिये गहरी चिकनी और दोमट मृदा आदर्श मानी जाती है।
  • चावल के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं- पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब।
    • अधिक चावल की उपज वाले राज्य हैं- पंजाब, तमिलनाडु, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और केरल।
      • दक्षिणी राज्यों और पश्चिम बंगाल में जलवायु की स्थिति के चलते एक कृषि वर्ष में चावल की दो या तीन फसलों की खेती की जाती है।
    • असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में एक वर्ष में चावल की तीन फसलें उगाई जाती हैं; ये हैं 'औस', 'अमन और 'बोरो'।
  • यह अधिकांश भारतीय लोगों की मुख्य खाद्य फसल है।
  • भारत दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में कुल फसली क्षेत्र का लगभग एक-चौथाई चावल की खेती के अंतर्गत आता है।
  • चावल की खेती का समर्थन करने के लिये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, हाइब्रिड चावल बीज उत्पादन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना कुछ सरकारी पहलें हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न: निम्नलिखित फसलों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. कपास
  2. मूँगफली
  3. चावल
  4. गेहूँ

इनमें से कौन-सी खरीफ फसलें हैं?

(a) केवल 1 और 4
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 3
(d) केवल 2, 3 और 4

उत्तर: (c)

स्रोत: द हिंदू

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