बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली का द्वितीय चरण का सफल परीक्षण | 26 Jul 2024
स्रोत : द हिंदू
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अपने चरण-II बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जो लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल खतरों से बचाव में भारत की उन्नत क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
- चरण-II प्रणाली 5,000 किलोमीटर तक की दूरी तक की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोक सकती है, जिससे भारत की सामरिक सुरक्षा मज़बूत होगी।
- 2,000 किलोमीटर तक की दूरी तक की मिसाइलों को रोकने में सक्षम चरण-I की BMD पहले ही तैनात की जा चुकी है।
- चरण-II मिसाइल एक दो-चरणीय ठोस प्रणोदन वाली ज़मीन से प्रक्षेपित की जाने वाली प्रणाली है, जिसे अंतः से लेकर निम्न बाह्य-वायुमंडलीय अवरोधन हेतु डिज़ाइन किया गया है।
- परीक्षण में लंबी दूरी के सेंसर, कम विलंबता संचार और उन्नत इंटरसेप्टर मिसाइलों सहित नेटवर्क-केंद्रित युद्ध हथियार प्रणाली का प्रदर्शन किया गया।
- कारगिल युद्ध के बाद वर्ष 2000 में शुरू किये गए भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन से आने वाले मिसाइल खतरों से बचाना है।
- यह पृथ्वी एयर डिफेंस और एडवांस्ड एयर डिफेंस जैसी इंटरसेप्टर मिसाइलों के साथ बहुस्तरीय दृष्टिकोण अपनाता है। हाल के प्रयासों में वैश्विक सहयोग के माध्यम से क्षमताओं को बढ़ाने और रूसी S-400 ट्रायम्फ जैसी प्रणालियों को हासिल करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- DRDO चरण 1 और 2 में क्रमशः 2000 किमी और 5000 किमी तक की रेंज वाली मिसाइलों का मुकाबला करने के लिये एक स्वदेशी बहु-स्तरीय नेटवर्क विकसित कर रहा है।
- इस नेटवर्क में आने वाली मिसाइलों का पता लगाने और उन पर नज़र रखने के लिये निगरानी रडार भी शामिल हैं।
- भारत की बैलिस्टिक मिसाइलें अग्नि, K-4 (SLBM), प्रहार, धनुष, पृथ्वी और त्रिशूल हैं।
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