प्रारंभिक परीक्षा
उप-नैदानिक क्षय रोग
- 19 Aug 2024
- 8 min read
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत में उप-नैदानिक (Subclinical) ट्यूबरकुलोसिस चिंता का विषय है। इसकी पहचान एवं उपचार में प्रगति के बावज़ूद इस प्रकार की टीबी की घटनाओं की दर में गिरावट धीमी बनी हुई है।
उप-नैदानिक क्षय रोग क्या है?
- परिभाषा: इस प्रकार के टीबी संक्रमण में व्यक्ति के शरीर में रोग के विशिष्ट लक्षण (जैसे कि लगातार खाँसी आना) प्रदर्शित नहीं होते हैं।
- इससे सक्रिय टीबी की तुलना में इसका पता लगा पाना मुश्किल होता है।
- पहचान: इसकी पहचान अक्सर छाती के एक्स-रे या आणविक परीक्षणों जैसी इमेजिंग तकनीकों के माध्यम से होती है, क्योंकि नियमित लक्षण-आधारित परीक्षण के माध्यम से इसके बारे में पता नहीं चल पाता है।
- व्यापकता: राष्ट्रीय टीबी व्यापकता सर्वेक्षण (2019-2021) के अनुसार कुल मामलों में उप-नैदानिक टीबी की हिस्सेदारी 42.6% थी।
- लक्षणविहीन उप-नैदानिक टीबी वाले व्यक्ति बैक्टीरिया संक्रमण को दूसरों में फैला सकते हैं।
- भारत सहित टीबी की व्यापकता वाले अन्य देशों में उप-नैदानिक टीबी संक्रमण व्यापक स्तर पर मिलता है। इसका पता न चल पाने से इस बीमारी का संक्रमण जारी रहता है।
- वियतनाम जैसे देशों ने लक्षणों से इतर एक्स-रे एवं आणविक परीक्षणों का उपयोग करके पूरी आबादी की जाँच करके टीबी के प्रसार को सफलतापूर्वक कम किया है।
- भारत में इसी तरह की व्यापक परीक्षण प्रणाली हेतु मोबाइल इकाइयों एवं सामुदायिक भागीदारी सहित रणनीतिक बदलावों की आवश्यकता होगी।
- प्रभाव: इस प्रकार की टीबी से टीबी की घटनाओं में गिरावट की दर धीमी रह सकती है, क्योंकि इसका पता लगाना मुश्किल होने के कारण समय पर इसका इलाज नहीं हो पाता है।
क्षय रोग:
- परिचय: यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है, जिससे मुख्य रूप से फेफड़े प्रभावित होते हैं। संक्रमित लोगों के खाँसने, छींकने या थूकने से यह रोग वायु के माध्यम से फैलता है।
- लक्षण: लंबे समय तक खाँसी, सीने में दर्द, कमज़ोरी, थकान, वजन कम होना, बुखार और रात में पसीना आना।
- मधुमेह, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली एवं कुपोषण के साथ तंबाकू के सेवन से टीबी रोग के जोखिम में वृद्धि हो सकती है।
- रोकथाम: चिकित्सा सहायता लेना, संक्रमण की संभावना पर जाँच कराना, अतिशीघ्र उपचार कराना। बेसिल कैलमेट-गुएरिन (BCG) वैक्सीन फेफड़ों के अलावा अन्य अंगों में होने वाली टीबी को रोकने में सहायक (लेकिन फेफड़ों में नहीं) है।
- व्यापकता और उपचार: वैश्विक आबादी में लगभग 25% टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित है। इनमें से 5-10% संक्रमण, सक्रिय टीबी में बदल जाते हैं।
- टीबी का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है, जिनमें आमतौर पर आइसोनियाज़िड, रिफैम्पिसिन, पाइराज़िनामाइड, एथमब्यूटोल और स्ट्रेप्टोमाइसिन शामिल हैं।
- मल्टीड्रग-रेज़िस्टेंट टीबी (MDR-TB) का कारण पहली पंक्ति की दवाओं के प्रति बैक्टीरिया का प्रतिरोधी हो जाना है, इसका इलाज दूसरी पंक्ति की दवाओं से किया जा सकता है।
- MDR-TB एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है। वर्ष 2022 के अनुसार इससे प्रभावित कुल 5 में से केवल 2 लोगों को ही उपचार मिल पाया।
- टीबी और एचआईवी: एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) से पीड़ित लोगों में टीबी होने की संभावना 16 गुना अधिक होती है। एचआईवी से पीड़ित लोगों में टीबी मृत्यु का प्रमुख कारण है।
- उचित उपचार के बिना टीबी से पीड़ित एचआईवी-नेगेटिव 60% लोग और टीबी से पीड़ित लगभग सभी एचआईवी-पॉजिटिव लोगों की मृत्यु होना निश्चित है।
- प्रभाव: टीबी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में वयस्कों को असमान रूप से प्रभावित करता है, इन क्षेत्रों में 80% से अधिक मामलों में मृत्यु होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार सबसे अधिक संख्या दक्षिण-पूर्व एशियाई और अफ्रीकी क्षेत्रों में है।
- वर्ष 2022 में टीबी से कुल 1.3 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई (जिसमें एचआईवी से पीड़ित 1,67, 000 लोग शामिल हैं)। विश्व भर में कोविड-19 के बाद टीबी दूसरा सबसे बड़ा संक्रामक रोग है।
- टीबी से संबंधित पहलें:
- भारत:
- वर्ष 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिये राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP)।
- टीबी रोगियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) प्रदान करना।
- टीबी-मुक्त पंचायत पहल: टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाने, स्टिग्मा को समाप्त करने और सेवा में सुधार लाने हेतु 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को लाभान्वित करने के लिये प्रारंभ की गई।
- प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (PMTBMBA)
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वैश्विक:
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विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा संचालित वैश्विक क्षय रोग कार्यक्रम टीबी मुक्त विश्व के लक्ष्य की दिशा में कार्य करता है, ताकि इस रोग के कारण होने वाली मृत्यु, बीमारी और पीड़ा शून्य हो सके
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टीबी को समाप्त करने की वैश्विक योजना वर्ष 2023-2030, संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप वर्ष 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में टीबी को समाप्त करने की योजना है।
- SDG 3 का उद्देश्य देश की समग्र आबादी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले प्रमुख लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करके रोकथाम योग्य बीमारियों और समय से पहले मृत्यु से अनावश्यक पीड़ा को रोकना है।
- वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट।
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- भारत:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग टैटू गुदवाने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) |