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सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना

  • 31 Dec 2024
  • 2 min read

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

हाल ही में भारत ने ब्रह्मपुत्र पर विश्व के सबसे बड़े जलविद्युत बाँध को चीन द्वारा मंजूरी दिये जाने पर चिंता जताई, जिससे भारत की सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना की योजना को बढ़ावा मिला।

  • परिचय:
    • यह अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग ज़िले में सियांग नदी (ब्रह्मपुत्र नदी की एक प्रमुख सहायक नदी) के पास स्थित है।
    • सियांग नदी, तिब्बत में कैलाश पर्वत के निकट यारलुंग त्सांगपो के नाम से निकलती है, तथा पूर्व की ओर 1,000 किलोमीटर से अधिक तक बहती है। 
      • असम में यह दिबांग एवं लोहित नदियों के साथ मिलकर ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है।
      • यह अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करने से पहले नामचा बरवा चोटी के चारो ओर एक घोड़े की नाल के आकार का मोड़ बनाती है।
  • भारत के लिये सामरिक महत्त्व:
    • इसका उद्देश्य यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र) पर चीन की जलविद्युत परियोजनाओं को प्रतिसंतुलित (जिससे भारत की जल सुरक्षा प्रभावित हो सकती है) करना है।
    • इससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा (विशेषकर चीन द्वारा ऊपरी इलाकों में जल छोड़े जाने के कारण) कम हो सकता है। 
    • इस परियोजना की स्थापित क्षमता 11,000 मेगावाट होगी, जिससे यह जलविद्युत की प्रमुख स्रोत बन जाएगी।
    • इससे वर्ष भर नदी जल का प्रवाह सुनिश्चित होने से कृषि को समर्थन मिलेगा।
    • हालाँकि, ऊपरी सियांग एवं सियांग ज़िलों की अदी जनजाति के कई निवासियों के समक्ष प्रस्तावित परियोजना के कारण अपनी कृषि भूमि एवं घरों को खोने का डर बना हुआ है।

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