शृंकफ्लेशन | 30 Mar 2022

लागत में जारी वृद्धि के कारण कई कंपनियाँ ‘शृंकफ्लेशन’ (Shrinkflation) का अभ्यास कर रही हैं।

शृंकफ्लेशन क्या है?

  • शृंकफ्लेशन किसी उत्पाद के स्टिकर मूल्य को बनाए रखते हुए उसके आकार को कम करने की पद्धति है।
  • लाभांश को चुपके से बढ़ाने या इनपुट लागत में वृद्धि के सापेक्ष लाभ को बनाए रखने के लिये प्रति दी गई मात्रा के अनुसार कीमतों में वृद्धि करना (मुख्य रूप से खाद्य और पेय उद्योग में) कंपनियों द्वारा नियोजित एक रणनीति है।
  • व्यवसाय एवं शैक्षणिक अनुसंधान में शृंकफ्लेशन को पैकेज डाउनसाइज़िंग (पैकेज के आकार को छोटा करना) के रूप में भी जाना जाता है।
  • सामान्य रूप से बहुत कम प्रचलित यह शब्द समष्टि अर्थशास्त्र की उस स्थिति को संदर्भित कर सकता है जहाँ कीमत स्तर में वृद्धि का अनुभव करने के बावजूद अर्थव्यवस्था में संकुचन हो रहा है।
    • मैक्रोइकॉनॉमिक्स/समष्टि अर्थशास्त्र समग्र रूप से एक राष्ट्रीय या क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के व्यवहार का अध्ययन है।
    • यह अर्थव्यवस्था में व्याप्त घटनाओं जैसे- उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की कुल मात्रा, बेरोज़गारी के स्तर तथा कीमतों के सामान्य व्यवहार को समझने से संबंधित है।
  • आजकल शृंकफ्लेशन उत्पादकों के बीच लोकप्रिय एक सामान्य अभ्यास है। डाउनसाइज़िंग से गुज़रने वाले उत्पादों की संख्या में प्रत्येक वर्ष वृद्धि होती है।
    • यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाज़ारों में बड़े उत्पादक मुनाफे को कम किये बिना अपने उत्पादों की प्रतिस्पर्द्धी कीमतों को बनाए रखने के लिये इस रणनीति पर भरोसा करते हैं।
  • ऐसे समय में शृंकफ्लेशन के चलते ग्राहकों में निर्माता के ब्रांड के संबंध में प्रायः निराशा होती है और उपभोक्ता की भावना भी प्रभावित हो सकती है।

Shrinkflation

शृंकफ्लेशन के प्रमुख कारण:

  • उत्पादन की उच्च लागत: शृंकफ्लेशन का प्राथमिक कारण सामान्यतः उत्पादन में लगातार हो रही वृद्धि है।
    • सामग्री या कच्चे माल, ऊर्जा मदों और श्रम की लागत में वृद्धि से उत्पादन लागत में वृद्धि होती है तथा बाद में उत्पादकों के लाभांश में कमी आती है।
    • खुदरा मूल्य के टैग को समान रखते हुए उत्पादों के वज़न या मात्रा को कम करने से निर्माता के लाभांश में सुधार हो सकता है।
    • इस समय औसत उपभोक्ता मात्रा में मामूली कमी पर ध्यान नहीं देगा। इस प्रकार विक्रय की मात्रा प्रभावित नहीं होगी।
  • प्रबल बाज़ार प्रतिस्पर्द्धा: बाज़ार में अत्यधिक/तीव्र प्रतिस्पर्द्धा भी शृंकफ्लेशन का कारण बन सकती है। 
    • खाद्य और पेय उद्योग आमतौर पर एक अत्यंत प्रतिस्पर्द्धी उद्योग है, क्योंकि उपभोक्ता विभिन्न प्रकार के उपलब्ध विकल्पों का उपयोग करने में सक्षम हैं।
    • इसलिये निर्माता उन विकल्पों को तलाशते हैं जो उन्हें ग्राहकों को पक्ष में बनाए रखने के साथ ही लाभांश को बनाए रखने में सक्षम बनाते हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. भारत में मुद्रास्फीति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?

(a) भारत में मुद्रास्फीति का नियंत्रण केवल भारत सरकार का उत्तरदायित्व है।
(b) मुद्रास्फीति के नियंत्रण में भारतीय रिज़र्व बैंक की कोई भूमिका नहीं है।
(c) घटा हुआ मुद्रा परिचलन (मनी सर्कुलेशन), मुद्रास्फीति के नियंत्रण में सहायता करता है।
(d) बढ़ा हुआ मुद्रा परिचलन, मुद्रास्फीति के नियंत्रण में सहायता करता है।

उत्तर: (c)

  • मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना भारत सरकार और आरबीआई दोनों की ज़िम्मेदारी है।
  • मुद्रा आपूर्ति को कम करके मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सकता है क्योंकि लोगों के पास खर्च करने के लिये कम पैसा होता है।
  • बढ़ी हुई मुद्रा आपूर्ति मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद नहीं करती है, बल्कि यह मुद्रास्फीति में वृद्धि करती है।

स्रोत: वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम