पार्किंसंस रोग के प्रबंधन हेतु सेंसर | 29 Aug 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (IASST) के वैज्ञानिकों नेपार्किंसंस रोग प्रबंधन हेतु L-डोपा के स्तर की सटीक निगरानी करने के लिये एक किफायती, पोर्टेबल स्मार्टफोन-आधारित फ्लोरोसेंस टर्न-ऑन सेंसर प्रणाली विकसित की है।
- पार्किंसंस रोग का कारण न्यूरॉन कोशिकाओं में निरंतर कमी है, जिससे हमारे शरीर में डोपामाइन (न्यूरोट्रांसमीटर) के स्तर में कमी आती है।
- L-डोपा (L-dopa) एक रसायन है, जो डोपामाइन में रूपांतरित हो जाता है, एक एंटी-पार्किंसंस दवा के रूप में कार्य करता है और डोपामाइन की कमी को पूरा करने में मदद करता है।
- हालाँकि पार्किंसंस की प्रगतिशील प्रकृति के कारण L-डोपा की खुराक बढ़ाने की आवश्यकता होती है, जिसके गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जबकि अपर्याप्त खुराक से पार्किंसंस के लक्षण फिर से शुरू हो सकते हैं।
- सेंसर को रेशम के कोकून से प्राप्त सिल्क-फाइब्रोइन प्रोटीन की एक परत को विघटित ग्राफीन ऑक्साइड नैनोकणों पर कोटिंग करके बनाया जाता है।
- यह संयोजन सेंसर को रक्त, स्वेद/पसीने या मूत्र में L-डोपा का पता लगाने के लिये फ्लोरोसेंस टर्न-ऑन (चमकने/दीप्त होने) में मदद करता है।
- शोधकर्त्ताओं ने एक स्मार्टफोन-आधारित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तैयार किया है, जो 5V स्मार्टफोन चार्जर के माध्यम से 365nm लाइट एमिटिंग डायोड (LED) से जुड़ता है और पूरे सेटअप को बाह्य प्रकाश को अवरुद्ध करने के लिये एक अंधेरे कमरे में रखा जाता है।
- सेंसर पर LED को प्रकाशित करने और स्मार्टफोन से इमेज लेकर यह डिवाइस रंग/वर्ण परिवर्तनों को कैप्चर करता है।
- मोबाइल ऐप का प्रयोग करके इमेज से RGB (लाल, हरा और नीला) मूल्यों का उपयोग L-डोपा सांद्रता का मूल्यांकन करने के लिये किया जाता है, जो इसे दूरस्थ क्षेत्रों में त्वरित परीक्षण के लिये आदर्श बनाता है।
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