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SEBI द्वारा IPO कंपनियों के लिये प्रमोटर की परिभाषा का विस्तार

  • 20 Jun 2024
  • 2 min read

स्रोत: बिज़नेस लाइन

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने इनिशियल पब्लिक ऑफर (Initial public offering- IPO) के लिये बाज़ार में उतरने वाली कंपनियों हेतु प्रमोटरों की परिभाषा का विस्तार किया है।

  • नए दिशा-निर्देशों के तहत, संयुक्त 10% हिस्सेदारी वाले संस्थापक जो प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक (Key Managerial Personnel- KMP) या निदेशक भी हैं, सभी को प्रमोटर माना जाएगा।
    • कंपनी बोर्ड में या KMP के रूप में प्रमोटर के तत्काल संबंधी या कंपनी में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 10% से अधिक हिस्सेदारी रखने वाले को भी प्रमोटर के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
    • हालाँकि एक बार जब कोई व्यक्ति प्रमोटर समूह का हिस्सा बन जाता है, तो लिस्टिंग ऑब्लीगेशंस एंड डिस्क्लोज़र रिक्वायरमेंट्स (LODR) विनियमन के नियम 31A के कारण उसे सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में अवर्गीकृत करना आसान नहीं होता है।
      • वर्गीकरण-विमुक्ति का अर्थ है किसी प्रमोटर या विशिष्ट वर्गीकरण की स्थिति या लेबल को आधिकारिक रूप से हटाना।
  • वर्तमान SEBI नियमों के अनुसार, प्रमोटर वह व्यक्ति होता है जो कंपनी के मामलों को नियंत्रित करता है या अधिकांश निदेशकों की नियुक्ति कर सकता है या प्रस्ताव दस्तावेज़ में उसका नाम इस रूप में दर्ज होता है। 
  • IPO एक इनिशियल पब्लिक ऑफर है, जिसमें किसी निजी कंपनी के शेयर पहली बार जनता के लिये उपलब्ध कराए जाते हैं।
    • IPO किसी कंपनी को सार्वजनिक निवेशकों से इक्विटी पूंजी जुटाने की अनुमति देता है।

और पढ़ें: प्रमोटरों को ‘पर्सन इन कंट्रोल’ में बदलने का प्रस्ताव: SEBI, सेबी

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