सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विशेष लोक अदालत का आयोजन | 01 Aug 2024

स्रोत: द हिंदू 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी 75वीं वर्षगाँठ (हीरक जयंती) के उपलक्ष्य में लंबे समय से लंबित विवादों को हल करने के लिये एक सप्ताह तक चलने वाला विशेष लोक अदालत अभियान शुरू किया है। 

  • इस पहल का उद्देश्य लंबित मामलों से निपटना और त्वरित न्याय प्रदान करना है।
  • इस पहल में सर्वोच्च न्यायालय की पहली सात पीठें शामिल हैं, जिसमें मुख्य न्यायाधीश पाँच सदस्यीय पैनल का नेतृत्व करते हैं, जिसमें प्रमुख न्यायाधीश और कानूनी पेशेवर शामिल हैं। 
  • कवर किये गए मामले: इसमें वैवाहिक विवाद, संपत्ति विवाद, मोटर दुर्घटना दावे, भूमि अधिग्रहण, मुआवज़ा और सेवा एवं श्रम मुद्दे शामिल हैं। 
    • लंबित मामलों वाले नागरिकों को सौहार्दपूर्ण और त्वरित समाधान के लिये भाग लेने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है। 
  • इस अभियान में विवाद समाधान को सुविधाजनक बनाने के लिये एक अनौपचारिक, प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान का उपयोग किया जाता है, जिससे यह प्रक्रिया जनता के लिये अधिक सुलभ और कुशल हो जाती है। 
  • लोक अदालत गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित अनौपचारिक, स्वैच्छिक और सुलहनीय विवाद समाधान मंच हैं, जिन्हें विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत वैधानिक समर्थन प्राप्त है।
    • यह वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) प्रणाली का एक घटक है जो आम लोगों को अनौपचारिक, सस्ता और शीघ्र न्याय प्रदान करता है।

और पढ़ें: सर्वोच्च न्यायालय की हीरक जयंती

बुरहानपुर के 3 प्राचीन स्मारक के संदर्भ में उच्च न्यायालय का निर्णय | 01 Aug 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने घोषणा की कि बुरहानपुर में स्थित तीन प्राचीन स्मारक, जिनमें बीबी साहिबा की मस्जिद (बीबी की मस्जिद) भी शामिल है, वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं हैं।

विवादित स्थल कौन-कौन से हैं?

  • शाह शुजा स्मारक: यह स्मारक मुगल सम्राट शाहजहाँ के बेटे शाह शुजा की पत्नी बेगम बिलकिस का मकबरा है। इसे खरबूजा महल के नाम से जाना जाता है, यह पत्थर से बना है जिसका शैल मोर्टार से प्लास्टर किया गया है और चित्रों से सजाया गया है।
  • नादिर शाह का मकबरा: आठ मेहराबों पर बना यह विशाल मकबरा, जिसे गलती से 'नादिर शाह' का मकबरा बता दिया गया, वास्तव में यह फारुकी वंश के दसवें सुल्तान मुहम्मद शाह फारुकी द्वितीय (974-84/1566-76 ई.) का मकबरा है।
  • बीबी साहिबा की मस्जिद (बीबी की मस्जिद): गुजरात के सुल्तान मुज़फ्फर शाह द्वितीय की बेटी रानी बेगम रोकैया ने लगभग 1529 ई. के आस-पास इसे पूरा करवाया था। इसे 15वीं शताब्दी के दौरान बुरहानपुर के उत्तरी भाग में घनी आबादी के कारण बनवाया गया था।

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण का तर्क क्या था?

  • ASI ने तर्क दिया कि विचाराधीन स्थल प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत प्राचीन और संरक्षित स्मारक हैं।
    • प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 11 के अनुसार, आयुक्त (Commissioner) स्मारक का संरक्षक होता है और सभी उचित समय पर देखभाल और निरीक्षण के लिये उस तक पहुँच रखता है।
      • जब तक अधिनियम की धारा 14 के तहत संरक्षकता नहीं छोड़ी जाती, तब तक स्मारक को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता।
    • ASI ने बल देते हुए कहा कि एक बार जब संपत्ति को प्राचीन और संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया जाता है, तो उसे वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता।
  • ASI के अनुसार, वक्फ बोर्ड द्वारा वर्ष 2013 में की गई घोषणा एक भौतिक अवैधता थी, क्योंकि एक बार संरक्षित स्मारक बन जाने के बाद संपत्तियों को वक्फ के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने क्या निर्णय सुनाया?

  • न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि शाह शुजा स्मारक, नादिर शाह का मकबरा और बुरहानपुर में बीबी साहिबा की मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति का हिस्सा नहीं हैं।
    • निर्णय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इन संपत्तियों को वक्फ अधिनियम के लागू होने से बहुत पहले ही प्राचीन स्मारक घोषित कर दिया गया था और इसलिये इन्हें मौजूदा वक्फ संपत्तियों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
  • न्यायमूर्ति के अनुसार, वक्फ बोर्ड द्वारा इन स्थानों को वक्फ संपत्ति घोषित करना और याचिकाकर्त्ता को उन्हें छोड़ने का निर्देश देना एक भौतिक अवैधता है।  
  • निहितार्थ: यह निर्णय प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत प्राचीन स्मारकों के संरक्षण को सुदृढ़ करता है।
    • यह स्पष्ट करता है कि पहले से ही सरकारी स्वामित्व और संरक्षण में मौजूद संपत्तियों को वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्तियों के रूप में पुनर्वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। 
    • यह ASI द्वारा इन ऐतिहासिक स्थलों के निरंतर देखभाल और संरक्षण को सुनिश्चित करता है।

नोट: 

राज्य/संघ शासित प्रदेश (UT) वक्फ बोर्ड, वक्फ अधिनियम 1995 के तहत प्रत्येक राज्य/संघ शासित प्रदेश में स्थापित संगठन हैं, जो उस राज्य/संघ शासित प्रदेश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिये हैं।

  • राज्य/संघ शासित प्रदेश वक्फ बोर्ड मुसलमानों के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन से संबंधित है।
  • केंद्रीय वक्फ परिषद अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना वक्फ अधिनियम, 1954 में दिये गए प्रावधान के अनुसार वक्फ बोर्डों के कामकाज से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार के सलाहकार निकाय के रूप में वर्ष 1964 में की गई थी।

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण  

  • संस्कृति मंत्रालय के तहत ASI, पुरातात्त्विक अनुसंधान और राष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
  • राष्ट्रीय महत्त्व के प्राचीन स्मारकों और पुरातात्त्विक स्थलों एवं अवशेषों की देखभाल ASI का प्रमुख दायित्व है।
    • इसके अलावा, यह प्राचीन स्मारक और प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्त्वीय स्थल तथा अवशेष, अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार देश में सभी पुरातात्त्विक गतिविधियों को नियंत्रित करता है। यह पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी नियंत्रित करता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्ज़ेंडर कनिंघम को ‘भारतीय पुरातत्त्व के जनक’ के रूप में भी जाना जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

Q. भारत के सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. फतेहपुर सीकरी स्थित बुलंद दरवाज़ा तथा खानकाह के निर्माण में सफेद संगमरमर का प्रयोग हुआ था। 
  2. लखनऊ स्थित बड़ा इमामबाड़ा और रूमी दरवाज़ा के निर्माण में लाल-बलुआ पत्थर एवं संगमरमर का प्रयोग हुआ था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (b)