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रैपिड फायर

सरदार उधम सिंह

  • 31 Jul 2024
  • 2 min read

31 जुलाई को सरदार उधम सिंह का शहीदी दिवस मनाया गया। ध्यातव्य है कि सरदार उधम सिंह जिन्हें 31 जुलाई, 1940 को लंदन में फाँसी दी गई थी, को जलियाँवाला बाग नरसंहार के लिये न्याय पाने के भारत के अटूट संकल्प का प्रतीक माना जाता है।

  • 26 दिसंबर, 1899 को पंजाब के सुनाम में जन्मे उधम सिंह सिख धर्म और क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़े थे, जिसमें कोमागाटा मारू घटना एवं गदर पार्टी विद्रोह शामिल था, जिसने उनके ब्रिटिश उपनिवेशवाद विरोधी रुख को आकार दिया।
  • उधम सिंह वर्ष 1919 के जलियाँवाला बाग नरसंहार से बहुत प्रभावित हुए थे, जिसमें ब्रिटिश सैनिकों ने सैकड़ों निहत्थे भारतीयों को मार डाला था।
  • उधम सिंह ने पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ'डायर जिसने जलियाँवाला नरसंहार का आदेश दिया था, की हत्या करके नरसंहार का बदला लेने की कसम खाई।
  • वर्ष 1924 में, उधम सिंह औपनिवेशिक शासन को उखाड़ फेंकने के लिये गदर पार्टी में शामिल हो गए। वर्ष 1927 में, उन्हें अवैध रूप से आग्नेयास्त्र रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और पाँच साल की जेल की सज़ा सुनाई गई।
    • वर्ष 1940 में, उधम सिंह ने लंदन के कैक्सटन हॉल में एक बैठक के दौरान माइकल ओ'डायर की सफलतापूर्वक हत्या कर दी। यह कृत्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक प्रभावी प्रत्युत्तर था।
  • उधम सिंह पर मुकदमा चलाया गया व उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई और लंदन के पेंटनविले जेल में फाँसी दे दी गई।
    • उत्तराखंड के एक ज़िले, उधम सिंह नगर का नाम वर्ष 1995 में उनके नाम पर श्रद्धांजलि के रूप में रखा गया।

और पढ़ें: जलियाँवाला बाग हत्याकांड

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