संविधान हत्या दिवस | 16 Jul 2024

स्रोत: पीआईबी

हाल ही में 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में घोषित किया जाना, उस मार्मिक अवधि की याद दिलाता है जब भारत के संविधान का, विशेष रूप से वर्ष 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान,दमन किया गया था।

  • भारतीय प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह दिन उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि देगा, जिन्होंने आपातकाल की ज़्यादतियों को झेला। यह नागरिकों को उनके अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा में संविधान के महत्त्व के बारे में शिक्षित करने के साधन के रूप में कार्य करता है।
  • 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की अवधि आपातकाल की अवधि थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में महत्त्वपूर्ण कार्यकारी और विधायी परिवर्तन लागू करने के लिये संविधान में विशेष प्रावधानों का उपयोग किया था।
    • आपातकाल की घोषणा से सत्ता का केंद्रीकरण होता है, जिससे संघ को राज्य सरकारों को निर्देश देने की अनुमति मिलती है, जिससे वे केंद्र के पूर्ण नियंत्रण में आ जाते हैं, जिससे प्रभावी रूप से एकात्मक प्रणाली का निर्माण होता है।
    • भारत ने तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की है। सर्वप्रथम वर्ष 1962 से वर्ष 1968 तक भारत-चीन युद्ध के दौरान, दूसरी बार वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान और तीसरी बार वर्ष 1975 से वर्ष 1977 तक राजनीतिक अस्थिरता के कारण आपातकाल की घोषणा की गई थी।

 संविधान में आपातकालीन प्रावधान:

अनुच्छेद

विषय-वस्तु

अनुच्छेद-352

आपातकाल की उद्घोषणा 

अनुच्छेद-353

आपातकाल की उद्घोषणा का प्रभाव

अनुच्छेद-354

आपातकाल की उद्घोषणा लागू होने पर राजस्व के वितरण से संबंधित प्रावधानों का अनुप्रयोग

अनुच्छेद-355

बाह्य आक्रमण और आंतरिक अशांति से राज्यों की रक्षा करना संघ का कर्त्तव्य

अनुच्छेद-356

राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति में प्रावधान

अनुच्छेद-357

अनुच्छेद 356 के तहत जारी उद्घोषणा के तहत विधायी शक्तियों का प्रयोग

अनुच्छेद-358

आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 19 के प्रावधानों का निलंबन

अनुच्छेद-359

आपातकाल के दौरान भाग III द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्तन का निलंबन

अनुच्छेद-360

वित्तीय आपातकाल के संबंध में प्रावधान

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