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सम्मक्का-सरक्का मेदाराम जथारा

  • 22 Feb 2024
  • 2 min read

स्रोत: पी.आई.बी. 

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने देश के सबसे बड़े जनजातीय त्योहार, सम्मक्का सरलम्मा जथारा या मेदाराम जथारा के शुभारंभ पर शुभकामनाएँ दीं।

  • मेदाराम जथारा (मुख्य रूप से कोया जनजाति द्वारा मनाया जाता है) विश्व की सबसे बड़ी जनजातीय धार्मिक मंडली है जिसे द्विवार्षिक (दो वर्ष में एक बार) रूप से आयोजित किया जाता है, जिसमें मेदाराम में 'माघ' (फरवरी) के महीने में पूर्णिमा के दिन इस चार दिवसीय महोत्सव पर लगभग 10 मिलियन लोग एकत्रित होते हैं।
    • मेदाराम तेलंगाना के एतुरनगरम वन्यजीव अभयारण्य में एक दूरस्थ स्थान है।
  • मेदाराम जथारा जनजातीय देवी-देवताओं सम्मक्का और सरलम्मा की वीरता की याद दिलाता है, जिन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
    • यह एक ऐसा त्योहार है जिसका कोई वैदिक या ब्राह्मण प्रभाव नहीं है।
  • लोककथा:
    • बाघों के बीच एक नवजात शिशु के रूप में पाई गई सम्मक्का बड़ी होकर एक आदिवासी मुखिया बन गई और उसने पगिदिद्दा राजू (काकतीय सामंती प्रधान) से विवाह किया, जिनकी दो पुत्रियाँ, सरक्का व नागुलम्मा तथा जम्पन्ना नाम का एक पुत्र था।
  • जथारा के दौरान लोग देवी-देवताओं को अपने शारीरिक भार के बराबर मात्रा में गुड़ के रूप में बांगरम (स्वर्ण) चढ़ाते हैं और जम्पन्ना वागु (धारा) में पवित्र स्नान करते हैं।
  • जम्पन्ना वागु, गोदावरी नदी की एक सहायक नदी है, जिसका नाम आदिवासी योद्धा जम्पन्ना के नाम पर रखा गया है, जो काकतीय सेना के विरुद्ध युद्ध में उनके रक्त से लाल हो गई थी। उनके बलिदान के सम्मान में और उनके जैसी वीरता प्राप्त करने के लिये कोया जनजाति के लोग यहाँ स्नान करते हैं।

और पढ़ें: मेदाराम जथारा महोत्सव

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