SAIME पहल | 02 Jan 2023

सुंदरबन में झींगा पालन की नई पहल से मैंग्रोव के पुनरोद्धार की उम्मीद है। 

SAIME पहल: 

  • सतत् झींगा पालन हेतु समुदाय-आधारित पहल (Sustainable Aquaculture In Mangrove Ecosystem- SAIME) के तहत पश्चिम बंगाल में किसानों ने 30 हेक्टेयर क्षेत्र में झींगा पालन की शुरुआत की है। 
    • इसके अतिरिक्त मैंग्रोव के पुनरोद्धार का भी  कार्य किया जा रहा है।
  • वर्ष 2019 में शुरू हुई सतत् झींगा पालन हेतु समुदाय-आधारित पहल (SAIME) की परिकल्पना अब विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों- नेचर एन्वायरनमेंट एंड वाइल्डलाइफ सोसाइटी (NEWS) और ग्लोबल नेचर फंड (GNF), नेचरलैंड, बांग्लादेश एन्वायरनमेंट एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (BEDS) द्वारा की जा रही है। 
  • झींगा पालन और मैंग्रोव पारिस्थितिकी आपस में जुड़े हुए हैं
    • मत्स्य पालन, विशेष रूप से झींगा पालन सुंदरबन के लोगों के प्रमुख व्यवसायों में से एक है, यह नदियों और निचले द्वीपों का एक जटिल नेटवर्क है तथा दिन में दो बार ज्वार की लहरों का सामना करता है।
  • भारत की विशेष पारिस्थितिकी तंत्र के लगभग 15,000 से 20,000 हेक्टेयर क्षेत्र में झींगा पालन किया जाता है।  

सुंदरवन डेल्टा का महत्त्व:

  • बंगाल की खाड़ी में गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के डेल्टा पर स्थित सुंदरबन विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन क्षेत्र है।
  • सुंदरबन जीवों के कई समूहों का प्राकृतिक आवास क्षेत्र है और जीव प्रजातियों की एक बड़ी संख्या आहार, प्रजनन एवं आश्रय के लिये इस पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर है।
  • सुंदरबन का 40% भाग भारत में और शेष भाग बांग्लादेश में स्थित है। सुंदरबन को वर्ष 1987 (भारतीय क्षेत्र) एवं 1997 (बांग्लादेशी क्षेत्र) में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था। 
  • जनवरी 2019 में रामसर कन्वेंशन के तहत सुंदरबन आर्द्रभूमि, भारत को ‘अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि’ के रूप में मान्यता दी गई।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. वर्ष 2004 की सुनामी ने लोगों को यह महसूस करा दिया कि गरान (मैंग्रोव) तटीय आपदाओं के विरुद्ध विश्वसनीय सुरक्षा बाड़े का कार्य कर सकते हैं। गरान सुरक्षा बाड़े के रूप में किस प्रकार कार्य करते हैं? (2011)

(a) गरान अनूप होने से समुद्र और मानव बस्तियों के बीच एक ऐसा बड़ा क्षेत्र खड़ा हो जाता है जहाँ लोग न तो रहते हैं, न जाते हैं।
(b) गरान भोजन और औषधि दोनों प्रदान करते हैं जिनकी ज़रूरत प्राकृतिक आपदा के बाद लोगों को पड़ती है।
(c) गरान के वृक्ष घने वितान के लंबे वृक्ष होते हैं जो चक्रवात और सुनामी के समय उत्तम सुरक्षा प्रदान करते हैं।
(d) गरान के वृक्ष अपनी सघन जड़ों के कारण तूफान और ज्वार-भाटे से नहीं उखड़ते।

उत्तर: (d) 


प्रश्न. मैंग्रोवों के रिक्तीकरण के कारणों पर चर्चा कीजिये और तटीय पारिस्थितिकी का अनुरक्षण करने में इनके महत्त्व को स्पष्ट कीजिये। (मेन्स- 2019) 

स्रोत: द हिंदू