आर्कटिक में रूस-चीन की सहभागिता | 30 Aug 2022
हाल ही में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने रूस की सेना के निर्माण और आर्कटिक क्षेत्र में चीनी हित को चेतावनी दीी।
- विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार चीन ने आर्कटिक क्षेत्र में रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी को गहरा किया है।
सहभागिता के संबंध में चिंताएँ:
- रूसी सैन्य बल निर्माण:
- रूस ने एक नई आर्कटिक कमान की स्थापना की है और सैकड़ों नए और पूर्व सोवियत-युग के आर्कटिक सैन्य स्थल खोले हैं, जिनमें हवाई क्षेत्र और गहरे पानी के बंदरगाह शामिल हैं।
- नए ठिकानों, नए हथियार प्रणालियों के साथ महत्त्वपूर्ण रूसी सैन्य निर्माण तथा हाइपरसोनिक मिसाइलों सहित अपने सबसे उन्नत हथियारों के लिये परीक्षण स्थल के रुप में आर्कटिक क्षेत्र का उपयोग करना।
- रूस ने एक नई आर्कटिक कमान की स्थापना की है और सैकड़ों नए और पूर्व सोवियत-युग के आर्कटिक सैन्य स्थल खोले हैं, जिनमें हवाई क्षेत्र और गहरे पानी के बंदरगाह शामिल हैं।
- चीन का दावा:
- चीन ने खुद को आर्कटिक का निकटवर्ती-राष्ट्र घोषित कर दिया है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा आइसब्रेकर बनाने की योजना में जुटा है और आर्कटिक के उत्तरी क्षेत्र में ऊर्जा, अवसंरचना और अनुसंधान परियोजनाओं पर अरबो डॉलर खर्च कर रहा है।
- जलवायु परिवर्तन:
- जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक बर्फ पिघल रही है, जिससे यहाँ अधिक जलमार्ग खुलने की उम्मीद है, जिसके कारण इस क्षेत्र में अधिक रूचि रखी देखी जा सकती है।
- इन चैनलों का उन राष्ट्रों द्वारा प्रयोग किया जा सकता है जो नए शिपिंग मार्गों का पता लगाने में जुटे हैं, जिनकी जानकारी से लंबी और महँगी यात्राएँ छोटी तथा सस्ती की जा सकती हैं, और यह वाणिज्यिक क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लाएगा।
- जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक बर्फ पिघल रही है, जिससे यहाँ अधिक जलमार्ग खुलने की उम्मीद है, जिसके कारण इस क्षेत्र में अधिक रूचि रखी देखी जा सकती है।
- जबकि चीन आर्कटिक राष्ट्र नहीं है, रूस के साथ उसकी गहरी रणनीतिक साझेदारी और आर्कटिक में बढ़ते सहयोग ने अमेरिका को चिंतित कर दिया है, जिसका मानना है कि उनके बढ़ते सहयोग अमेरिकी मूल्यों एवं हितों के खिलाफ है।
आर्कटिक में राष्ट्रों के बीच सहयोग:
- आठ आर्कटिक राष्ट्र - अमेरिका, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और रूस हैं।
- ये आर्कटिक परिषद का हिस्सा हैं, जो अंतर सरकारी मंच है जिसका गठन इस क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये किया गया था।
- अब तक तीन बार आर्कटिक देशों ने कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौतों पर बातचीत की है। जो हैं -
- आर्कटिक में वैमानिकी और समुद्री खोज एवं बचाव पर सहयोग पर समझौता (हस्ताक्षरित 2011),
- आर्कटिक में समुद्री तेल प्रदूषण की तैयारी और प्रतिक्रिया (Preparedness and Response) पर सहयोग पर समझौता (हस्ताक्षरित 2013),
- अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाने पर समझौता (हस्ताक्षरित 2017)।
भारत के लिये आर्कटिक क्षेत्र की प्रासंगिकता:
- परिचय:
- आर्कटिक क्षेत्र में भारत के हित वैज्ञानिक, पर्यावरणीय, वाणिज्यिक और साथ ही रणनीतिक हैं।
- भारत वर्ष 2013 में आर्कटिक परिषद का पर्यवेक्षक बना और पर्यवेक्षक के रूप में इसकी सदस्यता वर्ष 2018 में अगले पाँच वर्षों के लिये नवीनीकृत की गई है।
- राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार, भारत के ध्रुवीय अनुसंधान कार्यक्रम के लिये नोडल एजेंसी है, जिसमें आर्कटिक अध्ययन शामिल है।
- भारत का विदेश मंत्रालय आर्कटिक परिषद को बाहरी इंटरफ़ेस प्रदान करता है।
- अनुसंधान स्टेशन:
- आर्कटिक के साथ भारत का जुड़ाव वर्ष 1920 में पेरिस में स्वालबार्ड संधि पर हस्ताक्षर के साथ हुआ।
- भारत ने जुलाई 2008 में नॉर्वे के स्वालबार्ड में ‘हिमाद्री’ नाम से एक शोध केंद्र खोला।
- इसने वर्ष 2014 से कोंग्सफजॉर्डन फोजर्ड में IndARC नामक एक मल्टी-सेंसर मूर्ड ऑब्जर्वेटरी भी तैनात की है।
- भारत पर प्रभाव:
- आर्कटिक पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के वायुमंडलीय, समुद्र विज्ञान और जैव-भू-रासायनिक चक्रों को प्रभावित करता है।
- इसके अलावा आर्कटिक जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रति संवेदनशील है।
- समुद्री बर्फ/बर्फ छत्र के पिघलने से समुद्र तथा वातावरण के गर्म होने से प्रभाव प्रकट हो रहेे हैं।
- यह लवणता के स्तर को कम करेगा, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भूमि और महासागरों के बीच बढ़ते तापमान के अंतर, उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के सूखा और उच्च अक्षांशों पर वर्षा में वृद्धि करेगा।
- आर्कटिक पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के वायुमंडलीय, समुद्र विज्ञान और जैव-भू-रासायनिक चक्रों को प्रभावित करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रिलिम्स: Q. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2014)
उपरोक्त में से कौन 'आर्कटिक परिषद' के सदस्य हैं? (a) 1, 2 और 3 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही है। Q. आर्कटिक की बर्फ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों के पिघलने से पृथ्वी पर मौसम के प्रतिमानों (Patterns) और मानवीय गतिविधियों पर अलग-अलग प्रभाव कैसे पड़ता है? व्याख्या कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2021) |