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रॉकेट में हीलियम की भूमिका

  • 20 Sep 2024
  • 3 min read

स्रोत: द हिंदू 

हीलियम रिसाव से प्रभावित प्रणोदन प्रणाली की खराबी के कारण, बोइंग के स्टारलाइनर पर सवार नासा के दो अंतरिक्ष यात्री अधिक समय के लिये अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर ही रहेंगे।

  • हीलियम रिसाव से प्रभावित पिछले मिशनों में इसरो का चंद्रयान 2 और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का एरियन 5 शामिल हैं। 
  • हीलियम (He):
    • यह हाइड्रोजन के बाद दूसरी सबसे हल्की रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और निष्क्रिय गैस है, जिसका परमाणु क्रमांक 2 है
    • हीलियम एक स्थिर, अप्रतिक्रियाशील उत्कृष्ट गैस है। हानिकारक न होने के बावजूद, इसे साँस के माध्यम से नहीं लिया जा सकता क्योंकि क्योंकि यह श्वसन के लिये आवश्यक ऑक्सीजन को विस्थापित कर देता है। 
    • यह क्रायोजेनिक्स के लिये उपयोगी है, क्योंकि इसका क्वथनांक बहुत कम (-268.9 डिग्री सेल्सियस) होता है, जिससे यह काफी कम  तापमान में भी गैसीय अवस्था में रहती है।
    • इससे रॉकेट के भार और ऊर्जा की ज़रूरत को कम करने में मदद मिलती है, जिससे ईंधन की खपत और इंजन की लागत कम हो जाती है।
  • रॉकेटरी अनुप्रयोग:
    • टैंकों पर दबाव डालकर ईंधन का निरंतर प्रवाह बनाए रखता है।
    • अधिक निम्न तापमान पर रॉकेट ईंधन और ऑक्सीडाइज़र के भंडारण के लिये शीतलन प्रणालियों में सहायता करता है।
    • ईंधन के उपयोग के दौरान टैंकों में रिक्त स्थान को भरता है, जिससे दाब स्थिर रहता है।
    • हीलियम का उपयोग औद्योगिक वेल्डिंग, रिसाव की पहचान प्रणालियों आदि में भी किया जाता है।
  • यूरोपीय अंतरिक्ष के एरियन 6 जैसे कुछ प्रक्षेपणों ने आर्गन और नाइट्रोजन जैसी अन्य अक्रिय गैसों के साथ प्रयोग किया है, जो सस्ते विकल्प हो सकते हैं। हालाँकि, हीलियम अंतरिक्ष उद्योग में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली गैस बनी हुई है

और पढ़ें….क्रायोजेनिक्स, ISS में फँसे अंतरिक्ष यात्री।

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