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विक्रमशिला विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार

  • 28 Mar 2025
  • 6 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना के दस वर्ष बाद, बिहार में शिक्षा के एक अन्य प्राचीन केंद्र विक्रमशिला को पुनर्जीवित करने के प्रयास चल रहे हैं, जिसके तहत भागलपुर ज़िले के अंतीचक गाँव में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिये भूमि आवंटित की गई है।

नालंदा विश्वविद्यालय

  • स्थापना: 5 वीं शताब्दी ई. में गुप्त वंश के दौरान, संभवतः कुमारगुप्त प्रथम के अधीन।
  • विरासत: विश्व के सबसे प्राचीन आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक; इसमें बौद्ध दर्शन, तर्कशास्त्र, चिकित्सा और खगोल विज्ञान सहित विभिन्न विषय पढ़ाए जाते थे।
  • विक्रमशिला से संबंध: नालंदा और विक्रमशिला दोनों को पाल राजाओं द्वारा संरक्षण दिया गया था और दोनों में विद्वानों और ज्ञान का आदान-प्रदान होता था।
  • पुनरुद्धार: नालंदा विश्वविद्यालय को वर्ष 2014 में एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में पुनः स्थापित किया गया।

विक्रमशिला विश्वविद्यालय के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: बिहार के भागलपुर में स्थित विक्रमशिला महाविहार की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने 8 वीं शताब्दी के अंत और 9 वीं शताब्दी के प्रारंभ के बीच की थी। 
    • उस काल में यह नालंदा के साथ-साथ अस्तित्व में था और विकसित हुआ।
  • मुख्य विशेषताएँ: विक्रमशिला एकमात्र विश्वविद्यालय था जो तांत्रिक और गुप्त विद्याओं में विशेषज्ञता रखता था। यह तांत्रिकवाद के युग के दौरान फला-फूला, जब बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म दोनों में गुप्त विज्ञान और जादू को अध्ययन के विषय के रूप में शामिल किया गया था।
    • धर्मपाल के शासनकाल के दौरान, विक्रमशिला का सर्वोच्च विकास हुआ और नालंदा के कार्यों को भी यहाँ से नियंत्रित किया जाता था।
    • विक्रमशिला में धर्मशास्त्र, दर्शन, व्याकरण, तत्त्वमीमांसा और तर्कशास्त्र जैसे विषयों की भी शिक्षा दी जाती थी।
    • इस विश्वविद्यालय से कई प्रख्यात विद्वानों नें शिक्षा ग्रहण की, जिनमें अतीसा दीपांकर भी शामिल हैं, जिन्होंने तिब्बत में बौद्ध धर्म की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • पतन: नालंदा की तरह विक्रमशिला का भी पतन 13वीं शताब्दी में हिंदू धर्म के उत्थान और बौद्ध धर्म के पतन सहित बख्तियार खिलजी के आक्रमण के कारण हुआ।
    • इसके अवशेषों में एक बृहद स्तूप, मठवासी कक्ष और एक पुस्तकालय शामिल हैं जहाँ ग्रंथों की प्रतिलिपि बनाई गई और उनका अनुवाद किया गया।

Vikramshila University

पाल राजवंश

  • गोपाल द्वारा स्थापित पाल वंश ने 8वीं से 12वीं शताब्दी की अवधि में बिहार और बंगाल पर शासन किया।
    • "पाल" एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "संरक्षक"। इसे सम्राटों के नामों में जोड़ा गया, जिससे साम्राज्य का नाम "पाल" पड़ा।
  • गोपाल के शासनकाल में कन्नौज और उत्तर भारत पर नियंत्रण के लिये पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूट वंश  के बीच त्रिपक्षीय संघर्ष हुआ।
  • पाल महायान बौद्ध धर्म के धर्मपरायण संरक्षक थे।
  • उनके संरक्षण में एक विशिष्ट पाल कला शैली विकसित हुई, जो पाषाण और धातु की उत्कृष्ट मूर्तियों के लिये जानी जाती है।
    • पाल शैली मुख्य रूप से काँस्य मूर्तियों और तालपत्र चित्रों के माध्यम से प्रसारित हुई, जो बुद्ध और अन्य देवताओं से संबंधित थीं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के इतिहास की निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिये: (2020)

  1. राजा भोज के अधीन प्रतिहारों का उदय 
  2. महेन्द्रवर्मन-प्रथम के अधीन पल्लव प्रभाव की स्थापना 
  3. परांतक-I द्वारा चोल प्रभाव की स्थापना 
  4. गोपाल के द्वारा पाल वंश की स्थापना

उपर्युक्त घटनाओं का सबसे प्रारंभिक समय से सही कालानुक्रमिक क्रम क्या है?

(a) 2 - 1 - 4 - 3
(b) 3 - 1 - 4 - 2
(c) 2 - 4 - 1 - 3
(d) 3 - 4 - 1 - 2

उत्तर: (c)

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