प्रारंभिक परीक्षा
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) का पुनः प्रवर्तन
- 29 Oct 2024
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स्रोत: द हिंदू
हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) में सुधार कर इसे पुनः प्रवर्तित करने की सूचना दी गई।
नवीन मिशन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- राष्ट्रीय पांडुलिपि प्राधिकरण: केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय पांडुलिपि प्राधिकरण नामक एक स्वायत्त निकाय की स्थापना करने की योजना की जा रही है।
- वर्तमान में NMM इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का एक भाग है।
- NMM की उपलब्धियाँ: इस मिशन के अंतर्गत वर्ष 2003 से 2024 तक 52 लाख पांडुलिपियों का मेटाडेटा तैयार किया गया, 3 लाख से अधिक पुस्तकों का डिजिटलीकरण किया गया जिनमें से एक तिहाई को सफलतापूर्वक अपलोड कर दिया गया।
- संबंधित चिंताएँ: कुल अपलोड की गई 1.3 लाख पांडुलिपियों में से केवल 70,000 ही सार्वजानिक रूप से उपलब्ध हैं।
- पांडुलिपियों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा निजी स्वामित्व में है तथा इनके स्वामियों द्वारा इसे सार्वजनिक रूप से सुलभ बनाने हेतु प्रदान किया जाने वाला प्रोत्साहन बहुत सीमित है।
- भविष्य का रोडमैप:
- विदेशों में प्राचीन भारतीय अध्ययन से संबंधित विभागों में पीठों की स्थापना करना।
- विदेशों में पांडुलिपियों के विक्रय और निजी स्वामित्व से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और विधिशास्त्रियों को शामिल करने के सुझाव।
- ब्राह्मी से इतर और अल्प ज्ञात लिपियों के संरक्षण की कार्यनीति।
पांडुलिपि
- परिभाषा: पांडुलिपि कागज़, छाल, धातु, ताड़ के पत्ते अथवा किसी अन्य सामग्री पर कम से कम 75 वर्ष पहले हस्त लिखित संयोजन को कहते हैं जिसका वैज्ञानिक, ऐतिहासिक अथवा सौंदर्यपरक महत्त्व हो|
- अपवर्जन: लिथोग्राफ और मुद्रित खंड पांडुलिपि नहीं होती हैं।
- लिपि परिवर्तनशीलता: प्रायः एक भाषा विभिन्न लिपियों में लिखी होती है। उदाहरण के लिये संस्कृत उड़िया लिपि, ग्रंथ लिपि, देवनागरी लिपि और कई अन्य लिपियों में लिखी जाती है।
- ऐतिहासिक अभिलेखों से भिन्नता: पांडुलिपियाँ ऐतिहासिक रिकॉर्डों जैसे शिलालेखों, फरमानों, राजस्व अभिलेखों से भिन्न होती है जो इतिहास में घटनाओं अथवा प्रक्रियाओं के संबंध में सीधी सूचना प्रदान करते हैं| पांडुलिपियों में ज्ञान निहित होता है|
- पांडुलिपियों में दर्शन, विज्ञान, साहित्य एवं कला का ज्ञान निहित है।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: 18वीं शताब्दी में अवध के नवाब ने पादशाहनामा की शानदार प्रस्तुति वाली पांडुलिपि को इंग्लैंड के किंग जॉर्ज III को भेंट में दे दिया|
- 7वीं शताब्दी के चीनी यात्री ह्वेन त्सांग भारत से कई पांडुलिपियाँ अपने साथ ले गया।
- ब्रिटिश रुचि: विलियम जोन्स, सी.पी. ब्राउन, जॉन लेडेन, कोलिन मैकेंज़ी, चार्ल्स विल्किंस, एच.एच. विल्सन और एच.टी. कोलब्रुक ने भारतीय पांडुलिपियों के अध्ययन और संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- कैटलॉग बनाने के प्रारंभिक प्रयास: भारतीय पांडुलिपियों का कैटलॉग बनाने का प्रयास वर्ष 1803 में ही एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के चौथे अध्यक्ष एच.टी. कोलब्रुक के प्रयासों से शुरू हुआ।
NMM से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: यह भारत के पांडुलिपियों के विशाल संग्रह को संरक्षित और प्रलेखित करने के लिये संस्कृति मंत्रालय की एक पहल है।
- इसे भारत की विशाल पांडुलिपीय संपदा को अनावृत करने, प्रलेखन करने, संरक्षित करने और उसे उपलब्ध कराने के लिये वर्ष 2003 में लॉन्च किया गया था।
- कार्यान्वयन मंत्रालय: संस्कृति विभाग इस मिशन का कार्यान्वयन करता है, जबकि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) मिशन का केंद्रक अभिकरण है।
- उद्देश्य: यह पांडुलिपियों के संरक्षण और उनमें निहित ज्ञान के प्रसार के लिये समर्पित है तथा अपने आदर्श वाक्य "भविष्य के लिये अतीत का संरक्षण" की दिशा में कार्य कर रहा है।
- कार्यक्षेत्र और संग्रह: भारत में अनुमानतः पाँच मिलियन पाण्डुलिपियाँ हैं जो संभवतः विश्व का सबसे बड़ा संकलन है।
- 70% पांडुलिपियाँ संस्कृत में हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय इतिहास के संदर्भ में अलेक्जेंडर री, ए.एच. लॉन्गहर्स्ट, रॉबर्ट सेवेल, जेम्स बर्गेस और वाल्टर इलियट किस गतिविधि से जुड़े थे? (2023) (a) पुरातात्त्विक उत्खनन उत्तर: (a) प्रश्न. इनमें से किस मुगल सम्राट ने सचित्र पांडुलिपियों से ध्यान हटाकर चित्राधार (एल्बम) और वैयक्तिक रूपचित्रों पर अधिक ज़ोर दिया? (2019) (a) हुमायूँ उत्तर: (c) |