क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी | 18 Oct 2023
स्रोत: द हिंदू
भारत के RCEP से बाहर होने के चार वर्ष बाद पड़ोसी देश श्रीलंका और बांग्लादेश क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी:
- परिचय:
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP), आसियान सदस्यों और मुक्त व्यापार समझौते (FTA) भागीदारों के बीच एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक समझौता है।
- RCEP विश्व का सबसे बड़ा व्यापारिक ब्लॉक है। इसे सदस्य देशों के बीच आर्थिक एकीकरण, व्यापार उदारीकरण और सहयोग को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- RCEP वार्ता वर्ष 2012 में शुरू हुई थी। इस पर आधिकारिक तौर पर नवंबर 2020 में हस्ताक्षर किये गए थे, जो क्षेत्रीय व्यापार के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय है। इसे 1 जनवरी, 2022 को लागू किया गया।
- सदस्य देश:
- 15 सदस्य देश, जैसे चीन, जापान, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और आसियान राष्ट्र (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम)।
- कवरेज़ क्षेत्र:
- RCEP वार्ता में शामिल हैं: वस्तुओं में व्यापार, सेवाओं में व्यापार, निवेश, आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग, बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्धा, विवाद निपटान, ई-कॉमर्स, छोटे और मध्यम उद्यम (SME) एवं अन्य मुद्दे।
- RCEP के उद्देश्य:
- सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश को सुगम बनाना।
- व्यापार में टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना या समाप्त करना।
- आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय आपूर्ति शृंखलाओं को बढ़ाना।
- RCEP के लाभ:
- यह आर्थिक विकास और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देता है।
- व्यापार प्रक्रियाओं और विनियमों को सुव्यवस्थित करता है।
- विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करता है।
- प्रतिस्पर्धात्मकता और नवीनता को बढ़ाता है।
- व्यापार की मात्रा:
- RCEP के सदस्य राष्ट्र वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 30% से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- व्यापारिक गुट विश्व की लगभग एक-तिहाई आबादी को कवर करता है।
- इसमें वैश्विक व्यापार पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता है।
- वैश्विक व्यापार में RCEP की भूमिका:
- RCEP अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के प्रभाव को सुदृढ़ करता है।
- यह समझौता भविष्य के व्यापार सौदों और क्षेत्रीय सहयोग के लिये एक मॉडल के रूप में काम कर सकता है।
- भारत और RCEP:
- भारत RCEP का संस्थापक सदस्य राष्ट्र था। वर्ष 2019 में भारत ने RCEP वार्ता से हटने का निर्णय लिया।
- RCEP से बाहर निकलने का भारत का निर्णय उसकी घरेलू अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव की चिंताओं पर आधारित था।
- प्राथमिक चिंताओं में भारतीय बाज़ार में चीनी वस्तुओं की आमद से स्थानीय उद्योगों पर प्रभाव पड़ने की आशंकाएँ शामिल थीं।
- कृषि क्षेत्र, छोटे व्यवसायों तथा सेवाओं के आरक्षण में गतिशीलता से संबंधित मुद्दे अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारकों में योगदान दे रहे थे।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 'रीजनल काम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016) (a) जी- 20 उत्तर: (b) |