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मोटापे के मापदंडों का पुनर्मूल्यांकन

  • 17 Jan 2025
  • 2 min read

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

मोटापे के निदान के क्रम में बॉडी मास इंडेक्स (BMI) पर लंबे समय से चली आ रही निर्भरता पर इसकी सीमाओं के कारण सवाल उठ रहे हैं।  

  • BMI द्वारा एथलीटों जैसे मस्कुलर व्यक्तियों में मोटापे को अधिक करके आँका जा सकता है तथा अत्यधिक वसा लेकिन कम मांसपेशी द्रव्यमान वाले व्यक्तियों में मोटापे को कम आँका जा सकता है।
  • लैंसेट ने कमर का आयाम, कमर-कूल्हे का अनुपात और कमर-लंबाई अनुपात जैसे वैकल्पिक मापदंडों का उपयोग करने की सिफारिश की है, जिससे लिंग, आयु और नृजातीयता के अंतर पर विचार हो सके।
    • मोटापे को प्री-क्लीनिकल (कोई अंग विकार नहीं) एवं क्लीनिकल (अंग विकार और क्रियाशीलता हानि के साथ) के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिये।
  • BMI का उपयोग यह आकलन करने के लिये किया जाता है कि किसी व्यक्ति के शरीर का वजन किसी निश्चित लंबाई हेतु उचित है या नहीं। इसकी गणना व्यक्ति के वजन और लंबाई का उपयोग करके की जाती है।
  • भारत में मोटापा: द लैंसेट के अनुसार, भारत की 70% शहरी आबादी मोटापे या अधिक वजन की श्रेणी में शामिल है ।
    • भारत, मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों की सर्वाधिक संख्या वाले शीर्ष 10 देशों की सूची में अमेरिका तथा चीन के बाद तीसरे स्थान पर है।
    • मोटापा एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है जब शरीर में अत्यधिक वसा का संचय हो जाता है।

और पढ़ें: भारत में बढ़ते मोटापे की समस्या

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