प्रारंभिक परीक्षा
RBI द्वारा NBFC एवं MFI ऋण पर जोखिम भार में कमी करना
- 28 Feb 2025
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ऋण प्रवाह को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था के खुदरा क्षेत्र को ऋण देने में वृद्धि करने के लिये NBFC और सूक्ष्म वित्त संस्थानों को दिये जाने वाले बैंक ऋणों के जोखिम भार को कम कर दिया है।
ऋणों पर जोखिम भार क्या है और इसका NBFC और बैंकों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- परिचय: जोखिम भार एक प्रतिशत कारक है जो बैंक की परिसंपत्तियों, जिसमें ऋण भी शामिल हैं, को सौंपा जाता है, ताकि संभावित घाटे को कवर करने के लिये आवश्यक पूंजी की मात्रा निर्धारित की जा सके।
- उच्च जोखिम भार से पूंजी की आवश्यकता बढ़ जाती है, जिससे ऋण महंगा हो जाता है, जबकि कम जोखिम भार से पूंजी की आवश्यकता कम हो जाती है, जिससे अधिक ऋण देना संभव हो जाता है।
- मानदंड: जोखिम भार क्रेडिट रेटिंग, परिसंपत्ति प्रकार और विनियमों पर निर्भर करता है। उच्च रेटिंग वाले उधारकर्त्ताओं को निम्न जोखिम भार मिलता है, जबकि निम्न रेटिंग वाले उधारकर्त्ताओं को उच्च जोखिम भार का सामना करना पड़ता है।
- कम जोखिम भार का प्रभाव:
- NBFC को बैंक ऋण देने को प्रोत्साहित करना: बैंकों को ऋण के लिये कम पूंजी रखने की आवश्यकता है, जिससे NBFC को ऋण देने की उनकी क्षमता बढ़ जाएगी।
- ऋण वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव: तरलता में वृद्धि से आवास, उपभोक्ता वित्त एवं MSMEs क्षेत्र में NBFC ऋण को बढ़ावा मिलता है। ऋण तक बेहतर पहुँच से खुदरा क्षेत्र को लाभ होता है।
- वित्तीय स्थिरता में वृद्धि: ऋण वृद्धि को बढ़ावा देने से रोज़गार, आय स्तर एवं वित्तीय लचीलेपन में वृद्धि होती है।
पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR)
- परिचय: CAR, बैंक की उपलब्ध पूंजी का एक माप है जिसे बैंक के जोखिम-भारित क्रेडिट एक्सपोज़र के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- घटक:
- टियर-1 पूंजी: मुख्य पूंजी (इक्विटी, शेयर पूंजी,रिटेंड अर्निंग) का उपयोग बैंक के परिचालन जारी रहने तक घाटे को वहन करने के लिये किया जाता है।
- टियर-2 पूंजी: द्वितीयक पूंजी (अनऑडिटिड रिज़र्व, अधीनस्थ ऋण) का उपयोग बैंक के बंद होने के समय किया जाता है।
- विनियामक आवश्यकता: इसे बेसल समझौते द्वारा निर्धारित किया जाता है और केंद्रीय बैंकों (जैसे, भारत में RBI) द्वारा लागू किया जाता है।
- बेसल III मानदंडों के अनुसार, बैंकों को वैश्विक स्तर पर न्यूनतम 8% का CAR बनाए रखना आवश्यक होता है जबकि RBI ने भारतीय बैंकों के लिये इसे 9% अनिवार्य किया है।
- महत्त्व: उच्च CAR यह दर्शाता है कि बैंक वित्तीय रूप से स्थिर होने के साथ वित्तीय संकटों से निपटने में सक्षम है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सQ. माइक्रोफाइनेंस कम आय वर्ग के लोगों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना है। इसमें उपभोक्ता और स्वरोज़गार करने वाले दोनों शामिल हैं। माइक्रोफाइनेंस के तहत दी जाने वाली सेवा/सेवाएँ हैं (2011)
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