RBI का नियोजित लाइट वेट एंड पोर्टेबल पेमेंट सिस्टम | 01 Jun 2023
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने आपात स्थितियों के लिये लाइट वेट एंड पोर्टेबल पेमेंट सिस्टम (LPSS) शुरू करने की घोषणा की, जिसे RBI की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट में प्रस्तावित किया गया था।
- लाइटवेट सिस्टम का उद्देश्य आपात स्थितियों के दौरान दक्षता सुनिश्चित करते हुए लचीलापन, भुगतान और निपटान प्रणाली की निरंतरता प्रदान करना है।
RBI का नियोजित LPSS:
- परिचय:
- LPSS पारंपरिक तकनीकों और वायर्ड नेटवर्क से स्वतंत्र है जो मौजूदा भुगतान प्रणालियों जैसे- UPI, NEFT और RTGS को रेखांकित करता है।
- पृष्ठभूमि:
- 'उत्कर्ष 2.0' पहल के एक भाग के रूप में RBI केंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों- NEFT और RTGS के निरीक्षण के लिये एक लचीला ढाँचा तैयार करेगा।
- इसके अतिरिक्त यह नई सुविधाओं को जोड़कर और पहले से मौजूद सुविधाओं को बढ़ाकर RTGS प्रणाली को आधुनिक बनाने का प्रयास करेगा।
- पेमेंट सिस्टम रेज़िलिएंस:
- अत्यधिक और अप्रत्याशित परिस्थितियों में, आपात स्थितियों के लिये LPSS भुगतान एवं निपटान प्रणाली के लचीलेपन एवं निरंतरता का आश्वासन देता है।
- UPI, NEFT और RTGS जैसी पारंपरिक भुगतान प्रणालियाँ जटिल वायर्ड नेटवर्क एवं उन्नत IT अवसंरचना पर अपनी निर्भरता के कारण प्राकृतिक आपदाओं या युद्ध के कारण उत्पन्न होने वाले व्यवधानों के प्रति संवेदनशील हैं।
- मौजूदा प्रणालियों के व्यवधान में चलनिधि पाइपलाइन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं और आवश्यक भुगतान सेवाओं को बाधित कर सकते हैं।
- लाइटवेट सिस्टम एक पोर्टेबल और आसान सक्रिय समाधान प्रदान करता है जिसे न्यूनतम संसाधनों के साथ दूर से संचालित किया जा सकता है।
- यह महत्त्वपूर्ण लेन-देन, स्थिरता बनाए रखने तथा आवश्यक भुगतान सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये एक बैकअप विकल्प के रूप में कार्य करता है।
- कार्यप्रणाली:
- न्यूनतम कर्मचारी:
- इस प्रणाली में प्रशिक्षित कर्मचारी होंगे जो सुरक्षित और कुशलता से भुगतान निपटान के संचालन को संभालेंगे। वे सरकारी एजेंसियों, वित्तीय संस्थानों, बाज़ार प्रतिभागियों और सेवा प्रदाताओं के साथ समन्वय भी करेंगे।
- आवश्यक लेन-देन पर ध्यान:
- यह प्रणाली केवल उन लेन-देन को प्रक्रिया में लाएगी जो अर्थव्यवस्था की स्थिरता को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, जैसे सरकार और बाज़ार से संबंधित लेन-देन।
- खुदरा या व्यक्तिगत लेन-देन को स्थगित या वैकल्पिक तरीकों से संचालित किया जा सकता है। इन्हें नियंत्रित नहीं किया जाएगा।
- सरलीकृत प्रमाणीकरण और सत्यापन:
- यह प्रणाली लेन-देन की अखंडता एवं वैधता सुनिश्चित करने के लिये एक सरलीकृत तंत्र को नियोजित करेगी। यह सुलह और लेखापरीक्षा उद्देश्यों के लिये लेन-देन रिकॉर्ड भी बनाए रखेगी।
- न्यूनतम कर्मचारी:
- लाभ:
- यह आपात स्थिति के दौरान भुगतान और निपटान प्रणाली के लगभग ज़ीरो डाउनटाइम को सुनिश्चित करती है।
- थोक (Bulk) भुगतान, इंटरबैंक भुगतान और प्रतिभागी संस्थानों को नकदी के प्रावधान सहित आवश्यक भुगतान सेवाओं के निर्बाध कामकाज़ की सुविधा प्रदान करता है।
- डिजिटल भुगतान और वित्तीय बाज़ार के बुनियादी ढाँचे में जनता के विश्वास को बढ़ाता है।
- मौजूदा भुगतान प्रणालियों पर दुर्भावनापूर्ण हमलों या तोड़फोड़ के प्रयासों के खिलाफ एक निवारक के रूप में कार्य करता है।
- चुनौतियाँ:
- तत्परता एवं प्रभावशीलता के लिये हितधारकों के बीच सावधानीपूर्वक योजना और समन्वय की आवश्यकता।
- परिनियोजन से पूर्व कार्यक्षमता, सुरक्षा और विश्वसनीयता के परीक्षण एवं सत्यापन की आवश्यकता।
- कर्मचारियों के नियमित प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता।
- प्रदर्शन एवं प्रभाव की निरंतर निगरानी और मूल्यांकन की आवश्यकता
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. डिजिटल भुगतान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित में से 'यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)' को लागू करने हेतु कौन-सा सबसे संभावित उपाय है? (2017) (a) ऑनलाइन भुगतान हेतु मोबाइल वॉलेट की ज़रूरत नहीं होती है। उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |