RBI ने ARC के लिये संशोधित 'मास्टर अनुदेश' जारी किया | 23 Jan 2025
स्रोत: लाइव मिंट
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 'मास्टर अनुदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियाँ-ARC) निर्देश, 2024' को संशोधित किया है।
- ARC के लिये संशोधित मानदंडों का उद्देश्य परिचालन को सुव्यवस्थित करना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना, ऋणदाताओं के हितों की रक्षा करना और निपटान प्रक्रियाओं में उचित परिश्रम पर ज़ोर देना है।
ARC पर RBI के संशोधित मास्टर अनुदेश के मुख्य बिंदु क्या हैं?
- बोर्ड-अनुमोदित नीति: प्रत्येक परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (ARC) को उधारकर्त्ताओं के बकाये के निपटान के लिये बोर्ड-अनुमोदित नीति स्थापित करनी चाहिये, जिसमें विभिन्न प्रमुख तत्त्व शामिल होंगे जैसे:
- एकमुश्त निपटान की पात्रता हेतु अंतिम तिथि।
- निपटान राशि तय करते समय विभिन्न श्रेणियों के लिये अनुमेय त्याग।
- प्रतिभूति के प्राप्ति योग्य मूल्य के मूल्यांकन की पद्धति।
- निपटान प्रक्रिया: पुनर्प्राप्ति के सभी विकल्पों का पता लगाने के बाद ही निपटान पर विचार किया जाना चाहिये।
- अधिमानतः, निपटान राशि का भुगतान एकमुश्त (एकमुश्त भुगतान) किया जाना चाहिये।
- गैर-एकमुश्त भुगतान योजनाओं को व्यवसाय मॉडल, उधारकर्त्ता नकदी प्रवाह और अनुमानित आय के साथ संरेखित होना चाहिये।
- स्वतंत्र सलाहकार समिति (IAC): तकनीकी, वित्तीय या कानूनी विशेषज्ञों वाली एक IAC को निपटान प्रस्तावों की समीक्षा करनी चाहिये तथा ARC की बोर्ड समिति को सलाह देनी चाहिये।
ARC क्या हैं?
- ARC: ARC एक विशेष प्रकार का वित्तीय संस्थान है जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों से गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA) खरीदता है तथा ऋण या संबंधित प्रतिभूतियों की वसूली का प्रयास करता है।
- ARC की पृष्ठभूमि: ARC की अवधारणा नरसिम्हम समिति-II (1998) द्वारा पेश की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (SARFAESI अधिनियम, 2002) के तहत ARC की स्थापना हुई।
- ARC का पंजीकरण और विनियमन: ARC कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पंजीकृत है तथा इसे SARFAESI अधिनियम, 2002 की धारा 3 के तहत RBI के साथ भी पंजीकृत होना चाहिये।
- यह SARFAESI अधिनियम, 2002 के तहत कार्य करता है तथा RBI द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करता है।
- ARC की कार्यप्रणाली:
- परिसंपत्ति पुनर्निर्माण: इसमें वसूली के लिये बैंक या वित्तीय संस्थान के ऋण, अग्रिम, बॉण्ड, गारंटी या अन्य ऋण सुविधाओं के अधिकार प्राप्त करना शामिल है, जिसे 'वित्तीय सहायता' के रूप में जाना जाता है।
- प्रतिभूतिकरण: इसमें योग्य खरीदारों (QB) को प्रतिभूति रसीदें जारी करके वित्तीय परिसंपत्तियों का अधिग्रहण करना शामिल है।
- QB में बीमा कंपनियाँ, बैंक, राज्य वित्तीय निगम, SARFAESI के तहत ARC और सेबी-पंजीकृत परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियाँ शामिल हैं।
- प्रतिभूति रसीद: ARC ऋणदाताओं को प्रतिभूति रसीदें जारी करते हैं, जो ऋण वसूली पर मोचनीय (Redeemable) होती हैं, प्रबंधन शुल्क लेते हैं, तथा वसूली लाभ को विक्रय करने वाले वित्तीय संस्थानों के साथ साझा करते हैं।
गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA)
- NPA: NPA वह ऋण है जिसे NPA के रूप में तब वर्गीकृत किया जाता है जब ऋण भुगतान 90 दिन के अधिक अवधि के लिये अतिदेय हो गया हो।
- कृषि के लिये, यदि दो फसल मौसमों तक मूलधन या ब्याज का भुगतान नहीं किया जाता है तो ऋण को NPA के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- प्रकार: बैंक गैर-निष्पादन की अवधि और वसूली की संभावनाओं के आधार पर NPA को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं ।
- अवमानक परिसंपत्तियाँ: 12 माह या उससे कम अवधि की NPA।
- संदिग्ध परिसंपत्तियाँ: 12 माह से अधिक अवधि की NPA।
- हानि परिसंपत्तियां: ऐसी अप्राप्य परिसंपत्तियाँ जिनकी वसूली की संभावना बहुत कम या असंभव है, तथा जिन्हें पूर्ण रूप से बट्टे खाते में डालने की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा हाल ही में समाचारों में आए ‘दबावयुक्त परिसम्पत्तियों के धारणीय संरचन पद्धति (स्कीम फॉर सस्टेनेबल स्ट्रक्चरिंग ऑफ स्ट्रेचड एसेट्स/S4A)’ का सर्वोत्कृष्ट वर्णन करता है? (2017) (a) यह सरकार द्वारा निरूपित विकासपरक योजनाओं की पारिस्थितिक कीमतों पर विचार करने की पद्धति है। उत्तर: (b) |