विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 31 अगस्त, 2021
- 31 Aug 2021
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बुद्धदेब गुहा
‘मधुकरी’ जैसी कई उल्लेखनीय रचनाओं के रचयिता प्रख्यात बांग्ला लेखक ‘बुद्धदेब गुहा’ का हाल ही में 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। प्रधानमंत्री ने बुद्धदेब गुहा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। 29 जून, 1936 को कलकत्ता में जन्मे बुद्धदेब गुहा ने अपना बचपन मुख्यतः पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के रंगपुर और बारीसाल ज़िलों में बिताया था। उनके बचपन के अनुभवों और यात्राओं ने उन पर गहरी छाप छोड़ी, जो बाद में उनकी रचनाओं में परिलक्षित हुई। उनके उपन्यासों और लघु कथाओं की आलोचकों द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई है और उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें वर्ष 1976 में आनंद पुरस्कार, शिरोमन पुरस्कार और शरत पुरस्कार आदि शामिल हैं। 'मधुकरी' के अलावा उनकी महत्त्वपूर्ण कृतियों में 'कोयलर कच्छे' (कोयल नदी के पास) और 'सोबिनॉय निबेदों' (विनम्र भेंट) भी शामिल हैं। बुद्धदेब गुहा की तमाम रचनाएँ पूर्वी भारत की प्रकृति और जंगलों के साथ उनकी निकटता को दर्शाती हैं। उनकी दो कृतियों- 'बाबा होवा' (बीइंग ए फादर) और 'स्वामी होवा' (बीइंग ए हसबैंड) पर एक पुरस्कार विजेता बंगाली फिल्म 'डिक्शनरी' भी बनाई गई थी। इसके अलावा बुद्धदेब गुहा एक सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक और कुशल चित्रकार भी थे।
परमाणु परीक्षण के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस
परमाणु हथियारों के परीक्षण के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता लाना और ऐसे परीक्षणों के विरुद्ध आमजन की भावना को मज़बूत करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 29 अगस्त को ‘परमाणु परीक्षण के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ (International Day against Nuclear Tests) का आयोजन किया जाता है। ‘परमाणु परीक्षण के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ की स्थापना 2 दिसंबर, 2009 को ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ द्वारा अपने 64वें सत्र के दौरान की गई थी। वर्ष 1991 में कज़ाखस्तान में यूएसएसआर-नियंत्रित ‘सेमिपालाटिंस्क परमाणु परीक्षण’ स्थल के बंद होने की 18वीं वर्षगाँठ के अवसर पर कज़ाखस्तान ने इस दिवस के आयोजन का प्रस्ताव दिया था। ज्ञात हो कि पहला परमाणु परीक्षण (जिसे ‘ट्रिनिटी’ कहा जाता है) संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना द्वारा न्यू मैक्सिको के एक रेगिस्तान में 16 जुलाई, 1945 को किया गया था। इसके बाद अमेरिका ने अगस्त 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में पहली बार इसका प्रयोग किया। इस हमले के कारण अनुमानतः 2,00,000 लोगों की मृत्यु हुई और जीवित बचे हुए लोग विकिरण-प्रेरित कैंसर से ग्रसित हो गए। इस विनाशकारी घटना के बावजूद वर्ष 1945 से वर्ष 1996 के बीच कुल 2000 परमाणु परीक्षण किये गए। इसके अलावा वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा ‘26 सितंबर’ को ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु हथियार पूर्ण उन्मूलन दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था।
फिट इंडिया मोबाइल एप
हाल ही में केंद्रीय खेल मंत्री ने ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के अवसर पर ‘फिट इंडिया मोबाइल एप’ का शुभारंभ किया है। फिट इंडिया एप एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर अंग्रेज़ी एवं हिंदी में निःशुल्क उपलब्ध है। ‘फिट इंडिया मोबाइल एप’ प्रत्येक भारतीय को मोबाइल के माध्यम से फिटनेस स्तर की जाँच करने की सुविधा प्रदान करता है। इस एप में फिटनेस स्कोर, एनिमेटेड वीडियो, गतिविधि ट्रैकर्स और व्यक्तिगत विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा करने संबंधी अनूठी विशेषताएँ हैं। साथ ही एप्लीकेशन की ‘एक्टिविटी ट्रैकर’ सुविधा दैनिक गतिविधि पर नज़र रखने में मदद करती है। वास्तविक समय पर स्टेप ट्रैकर व्यक्तियों को उनके दैनिक कार्यों की जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है और उन्हें उच्च लक्ष्य निर्धारित करने के लिये प्रोत्साहित करता है। यह एप व्यक्तियों को दैनिक स्तर पर जल की मात्रा, कैलोरी मात्रा और नींद के घंटों की भी निगरानी रखने में मदद करता है। ध्यातव्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 अगस्त, 2019 को ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के अवसर पर ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य फिटनेस को प्रत्येक भारतीय के जीवन का अभिन्न अंग बनाना था।
अवनि लेखरा
भारतीय पैरालिंपियन और राइफल शूटर ‘अवनि लेखरा’ ने हाल ही में पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया है और वे स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। अवनि लेखरा ने वर्ष 2016 के रियो खेलों के स्वर्ण पदक विजेता चीन के क्यूपिंग झांग को पीछे छोड़ दिया है। जयपुर की 19 वर्षीय अवनि लेखरा, जिन्हें वर्ष 2012 में एक कार दुर्घटना के दौरान रीढ़ की हड्डी में चोट का सामना करना पड़ा था, ने कुल 249.6 अंक अर्जित किये, जो कि स्वयं में एक पैरालंपिक विश्व रिकॉर्ड है। इसके अलावा वह तैराक मुरलीकांत पेटकर (1972), भाला फेंकने वाले देवेंद्र झाझरिया (2004 और 2016) और हाई जम्पर मरियप्पन थंगावेलु (2016) के बाद पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली चौथी भारतीय एथलीट भी हैं। यह अवनि लखेरा का पहला बड़ा अंतर्राष्ट्रीय पदक भी है। वर्ष 2019 में पिछली विश्व चैंपियनशिप में वह चौथे स्थान पर रही थीं।