Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 सितंबर, 2020 | 30 Sep 2020
शेखर कपूर
सुविख्यात फिल्म निर्माता शेखर कपूर को पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) सोसाइटी का अध्यक्ष और संस्थान के गवर्निंग काउंसिल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। आधिकारिक सूचना के अनुसार, 74 वर्षीय फिल्म निर्माता शेखर कपूर का कार्यकाल 3 मार्च, 2023 तक रहेगा। 6 दिसंबर, 1945 को पाकिस्तान के लाहौर में जन्मे फिल्म निर्माता शेखर कपूर को मुख्य तौर पर एलिज़ाबेथ (1998), बैंडिट क्वीन (1994) और द फोर फेदर्स (2002) जैसी फिल्मों के लिये जाने जाता है। शेखर कपूर फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) सोसाइटी के वर्तमान अध्यक्ष बी.पी. सिंह का स्थान लेंगे, जिन्हें हाल ही में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की सामान्य सभा (General Assembly) में नियुक्त किया गया है। फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) की स्थापना वर्ष 1960 में भारत सरकार द्वारा पुणे के पूर्ववर्ती प्रभात स्टूडियो के परिसर में ‘फिल्म इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' के नाम से की गई थी, जो कि उस समय भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का एक विभाग था। वर्ष 1971 में इसका नाम बदलकर ‘फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ (FTII) कर दिया गया, जो कि अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान के तौर पर कार्य करता है, जिसका संचालन उसकी गवर्निंग काउंसिल और निदेशक द्वारा किया जाता है।
विश्व हृदय दिवस
हृदय रोगों, उनकी रोकथाम और उनके वैश्विक प्रभाव के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से विश्व भर में 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) का आयोजन किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य दिवस की स्थापना सर्वप्रथम वर्ष 1999 में वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन (WHF) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मिलकर की थी और यह दिवस सर्वप्रथम वर्ष 2000 में आयोजित किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा एकत्रित आँकड़ों के अनुसार, हृदय रोग (CVDs) के कारण प्रत्येक वर्ष लगभग 17.9 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है। इस प्रकार वैश्विक स्तर पर होने वाली कुल मौतों में 31 प्रतिशत मौतें हृदय संबंधी रोगों के कारण होती हैं। हृदय रोग (CVDs) संबंधी रोग मुख्य तौर पर तंबाकू, अस्वास्थ्यकर भोजन, शारीरिक गतिविधि के अभाव और शराब के अत्यधिक उपयोग के कारण उत्पन्न होते हैं। इस दिवस का प्राथमिक उद्देश्य हृदय रोगों के संबंध में लोगों को शिक्षित करना है, ताकि तंबाकू के उपयोग, अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक निष्क्रियता जैसे जोखिम वाले कारकों को नियंत्रित करके, हृदय रोग से होने वाली कम-से-कम 80 प्रतिशत मौतों को रोका जा सके।
सबाह अल अहमद
29 सितंबर, 2020 को कुवैत के शासक शेख सबाह अल अहमद का 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। 16 जून, 1929 को जन्मे शेख सबाह अल अहमद ने 29 जनवरी, 2006 को कुवैत के शासक या कुवैत के अमीर (Emir) का पद संभाला था, इससे पूर्व उन्हें वर्ष 2003 में उनके भाई और कुवैत के तत्कालीन अमीर, शेख जाबेर अल अहमद द्वारा कुवैत के प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया गया था। शेख सबाह अल अहमद, अल सबाह वंश के 15वें शासक और कुवैत की आज़ादी के बाद 5वें शासक थे। इसके अलावा शेख सबाह अल अहमद वर्ष 1963 से वर्ष 1991 के बीच और फिर वर्ष 1992 से वर्ष 2003 के बीच कुवैत के विदेश मंत्री भी रहे थे। अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अपने 40 वर्षों के अनुभव के साथ शेख सबाह अल अहमद ने कुवैत की विदेश नीति को स्थापित करने और उसे आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें अरब जगत के प्रमुख राजनयिकों और वैश्विक मानवतावादी के रूप में सराहा जाता है। कुवैत में संवैधानिक राजतंत्र की व्यवस्था अपनाई गई है और कुवैत का अमीर (Emir) राज्य का सम्राट तथा वहाँ का शासक होता है। कुवैत में प्रधानमंत्री की नियुक्ति भी कुवैत के अमीर (Emir) द्वारा की जाती है और फिर प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल का चयन करता है।
विश्व रेबीज़ दिवस
रेबीज़ और इसके रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 28 सितंबर को विश्व रेबीज़ दिवस (World Rabies Day) मनाया जाता है। यह दिवस फ्रांँस के प्रसिद्ध जीवविज्ञानी लुई पाश्चर (Louis Pasteur) की पुण्यतिथि के अवसर पर 28 सितंबर को मनाया जाता है, जिन्होंने पहला रेबीज़ टीका विकसित किया था और रेबीज़ के रोकथाम की नींव रखी थी। वर्ष 2020 के लिये इस दिवस की थीम- ‘एंड रेबीज़: कोलैबोरेट, वैसीनेट’ (End Rabies: Collaborate, Vaccinate) रखी गई है। रेबीज़ एक विषाणु जनित रोग है। यह वायरस अधिकांशतः रेबीज़ से ही पीड़ित जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, बंदर, आदि की लार में मौजूद होता है। आँकड़ों के अनुसार, मनुष्यों के लगभग 99 प्रतिशत मामलों में कारण कुत्ते का काटना शामिल होता है। पागल जानवर के काटने और रेबीज़ के लक्षण दिखाई देने की समयावधि चार दिनों से लेकर दो वर्ष तक या कभी-कभी उससे भी अधिक हो सकती है। इसलिये घाव से वायरस को जल्द-से-जल्द हटाना ज़रूरी होता है।