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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 मई, 2023

  • 30 May 2023
  • 7 min read

CAG प्रमुख का WHO के बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में दूसरी बार चयन 

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG), गिरीश चंद्र मुर्मू को वर्ष 2024 से 2027 तक चार वर्ष की अवधि के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिये चुना गया है। जिनेवा में 76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में मार्च 2023 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में चयन के बाद यह उनका दूसरा प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय लेखा परीक्षा कार्य है। खाद्य और कृषि संगठन (FAO), अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEI) और अंतर-संसदीय संघ (IPU),WHO के बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में CAG का प्रमुख फिर से चुना जाना अंतर्राष्ट्रीय लेखा परीक्षा और शासन निकायों में भारत की मज़बूत उपस्थिति और प्रभाव को दर्शाता है। WHO के बाह्य लेखा परीक्षक का कार्य स्वतंत्र लेखा परीक्षा करना और संगठन के भीतर वित्तीय विवरणों, विनियमों के अनुपालन, संचालन की प्रभावशीलता तथा जोखिम प्रबंधन पर आश्वासन प्रदान करना है।

और पढ़ें… भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) 

चीन द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया पहला नागरिक

चीन ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत लॉन्ग मार्च 2F रॉकेट का उपयोग करके 3 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ शेनझोउ 16 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लॉन्च कर महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह नागरिक अंतरिक्ष यात्री को शामिल करने वाला देश का पहला मिशन है। संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के साथ जुड़ने की महत्त्वाकांक्षाओं के साथ चीन ने अपने सैन्य संचालित अंतरिक्ष कार्यक्रम में अरबों डॉलर का निवेश किया है। यह उपलब्धि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से केवल अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की पूर्व प्रथा से अलग है। बीजिंग यूनिवर्सिटी ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स के पेलोड विशेषज्ञ, नागरिक अंतरिक्ष यात्री, गुई हाइचाओ, अंतरिक्ष विज्ञान प्रयोगात्मक पेलोड के लिये ज़िम्मेदार होंगे। चीन के अंतरिक्ष सपने में वर्ष 2029 तक चंद्र आधार और चालक दल के चंद्र मिशन की योजना शामिल है, जबकि तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन वैज्ञानिक प्रयोगों तथा नई प्रौद्योगिकियों के परीक्षण की सुविधा प्रदान करेगा।

और पढ़ें… चीन का तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन 

यूनानी चिकित्सा को बढ़ावा देना 

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने पारंपरिक उपचार प्रणाली यूनानी चिकित्सा के अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिये 45.34 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं। सेंट्रल काउंसिल ऑफ रिसर्च इन यूनानी मेडिसिन (CCRUM) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन (NIUM) बंगलूरू को हैदराबाद, चेन्नई, लखनऊ, सिलचर एवं बंगलूरू में यूनानी सुविधाओं को बढ़ाने के लिये क्रमशः 35.52 करोड़ रुपए तथा 9.81 करोड़ रुपये मिले हैं। ब्रिक्स एचपीसी और आईसीटी वर्किंग ग्रुप केवल ब्रिक्स देशों के शोधकर्त्ताओं को साझीदार बनाने के लिये पारस्परिक हित के क्षेत्रों पर चर्चा करने हेतु  एक मंच प्रदान करता है। यूनानी चिकित्सा की उन्नति और जनता तक इसकी पहुँच को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्रीय प्रायोजित योजना प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत अनुदानों का वितरण किया गया है।

और पढ़ें… प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम

उच्च तापमान के बावजूद चिल्का झील में पक्षियों के प्रवासन में वृद्धि 

ओडिशा की चिल्का झील, एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की लैगून में पिछले वर्षों की तुलना में इस गर्मी में प्रवासी पक्षियों की अधिक वृद्धि देखी गई जो 39 से 41 डिग्री सेल्सियस के तापमान में एक चुनौती के रूप में है। टांगी रेंज में पक्षियों की संख्या सबसे अधिक दर्ज की गई, इसके बाद बालुगाँव, सतपदा, चिलिका और रंभा का स्थान है। विशेष रूप से ग्रे-हेडेड स्वैम्फेन या पर्पल स्वैम्फेन सबसे अधिक देखी जाने वाली प्रजातियाँ थीं, इसके बाद एशियन ओपनबिल स्टार्क, व्हिस्कर्ड टर्न, लिटिल कॉर्मोरेंट और लिटिल एग्रेट थे।

निवास स्थान में सुधार, भोजन की उपलब्धता तथा झील से झींगों के बाड़ों को हटाने जैसे कारक पक्षी प्रवासन की वृद्धि में योगदान करते हैं। पक्षी प्रत्येक सर्दियों में चिल्का का दौरा करते हैं और गर्मियों की शुरुआत से पहले अपने घर की ओर वापसी शुरू करते हैं जिसमें अधिकतर उत्तरी यूरेशिया में हिमालय क्षेत्र से, कैस्पियन क्षेत्र, साइबेरिया, कज़ाखस्तान, बैकाल झील और रूस तथा पड़ोसी देशों के दूरदराज़ के इलाके शामिल हैं। कुछ प्रवासी पक्षियों ने अत्यधिक गर्मी के बावजूद अपने मूल स्थानों पर जाने के बजाय झील में ही रहना पसंद किया। फ्लेमिंगो एवं पेलिकन सामान्यतः चिल्का में देरी से प्रवास करते हैं। हालाँकि पेलिकन मानसून की शुरुआत के साथ प्रवासन हेतु अपनी यात्रा शुरू करते हैं, साथ ही कुछ फ्लेमिंगो वर्षों तक झील में रहना पसंद करते हैं।

और पढ़ें…चिल्का झील

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