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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 जुलाई, 2021

  • 28 Jul 2021
  • 8 min read

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

27 जुलाई, 2021 को देश भर में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की छठी पुण्‍यतिथि मनाई गई। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्तूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने वर्ष 2002 से वर्ष 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वे न केवल एक सुविख्यात एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे, बल्कि महान शिक्षक भी थे, जिन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ काम किया था। डॉ. कलाम वर्ष 1962 में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ से जुड़े और वहाँ उन्हें प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (SLV- lll) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं, वे ‘आम जनमानस के राष्ट्रपति’ के तौर पर प्रसिद्ध हैं। डॉ. कलाम ने अपने ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के दर्शन से भारत समेत दुनिया भर के लाखों युवाओं को प्रेरित किया है। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने डॉ. कलाम के जन्म दिवस को चिह्नित करते हुए वर्ष 2010 में 15 अक्तूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में नामित किया था। डॉ. कलाम की उपलब्धियों को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्हें भारत एवं विदेशों के 48 विश्वविद्यालयों और संस्थानों द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। उन्होंने वर्ष 1992 से वर्ष 1999 तक प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी कार्य किया। डॉ. कलाम को वर्ष 1981 में पद्म भूषण, वर्ष 1990 में पद्म विभूषण और वर्ष 1997 में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। 

“इससे पहले कि सपने सच हों, आपको सपने देखने होंगे।”

बाईपायराज़ोल आर्गेनिक क्रिस्टल

हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसा मैटेरियल विकसित किया है, जो बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के क्षतिग्रस्त इलेक्ट्रॉनिक घटकों की स्वयं ही मरम्मत करने में सक्षम है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-खड़गपुर के शोधकर्त्ताओं ने ‘भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, कोलकाता’ के शोधकर्त्ताओं के साथ मिलकर ऐसे ‘पीज़ोइलेक्ट्रिक मॉलिक्यूलर क्रिस्टल’ विकसित किये हैं, जो अपनी स्वयं की यांत्रिक क्षति की मरम्मत करने में सक्षम हैं। ‘बाईपायराज़ोल आर्गेनिक क्रिस्टल’ नामक यह पीज़ोइलेक्ट्रिक मॉलिक्यूलर क्रिस्टल यांत्रिक फ्रैक्चर के बाद बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के पुनर्संयोजित हो जाते हैं और क्रिस्टलोग्राफिक परिशुद्धता के साथ मिलीसेकंड में स्वायत्त रूप से स्वयं ही मरम्मत करने में सक्षम हैं। इस विशिष्ट गुण के कारण किसी भी टूटे हुए घटक के टुकड़ों में विद्युत आवेश होता है और क्षतिग्रस्त हिस्से स्वायत्त मरम्मत के लिये एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं तथा पुनः जुड़ जाते हैं। दैनिक आधार पर उपयोग किये जाने वाले उपकरण प्रायः यांत्रिक क्षति के कारण टूट जाते हैं, जिससे उपकरणों की जीवन अवधि कम हो जाती है एवं उनके रखरखाव की लागत बढ़ जाती है। इसके अलावा अंतरिक्षयानों के क्षतिग्रस्त इलेक्ट्रॉनिक घटकों की मरम्मत और बहाली के लिये मानव हस्तक्षेप संभव नहीं है। ऐसी स्थितियों में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह मैटेरियल काफी महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।

‘पुरी’: ड्रिंक फ्रॉम टैप सुविधा वाला पहला शहर

ओडिशा राज्य का ‘पुरी’ शहर देश में ‘ड्रिंक फ्रॉम टैप’ सुविधा प्रदान करने वाला पहला शहर बन गया है। इसका अर्थ है कि शहर में अब सभी के लिये सुरक्षित पेयजल उपलब्ध है, नल के माध्यम से उपलब्ध इस जल का प्रयोग खाना पकाने और पीने के लिये किया जा सकता है। हाल ही में ओडिशा के मुख्यमंत्री ने  'सुजल' या ड्रिंक-फ्रॉम-टैप मिशन का उद्घाटन किया है, इसके साथ ही ‘पुरी’ देश का पहला ऐसा शहर बन गया है, जिसके पास 24 घंटे गुणवत्तापूर्ण जल उपलब्ध कराने की क्षमता है। ‘सुजल’ योजना के तहत कोई भी व्यक्ति प्रत्यक्ष तौर पर नल से पानी पी सकता है और इसके लिये किसी भी प्रकार के भंडारण या फिल्टर की आवश्यकता नहीं होगी। इस कदम से ‘पुरी’ शहर के लगभग 2.5 लाख निवासियों को लाभ होगा। साथ ही इससे प्रतिवर्ष ‘पुरी’ आने वाले दो करोड़ पर्यटकों को भी फायदा होगा और उन्हें अपने साथ प्लास्टिक की बोतल नहीं लानी होगी तथा शहर के पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो

हाल ही में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी नासिर कमल को ‘नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो’ (BCAS) का महानिदेशक नियुक्त किया गया है। नासिर कमल 1986 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी हैं। ‘नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो’ भारत में नागरिक उड्डयन सुरक्षा के लिये नियामक प्राधिकरण है, जिसे जनवरी 1978 में पांडे समिति की सिफारिश पर ‘नागर विमानन महानिदेशालय’ (DGCA) में एक सेल के रूप में स्थापित किया गया था। 1 अप्रैल, 1987 को ‘नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो’ का पुनर्गठन किया गया और इसे नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र विभाग के रूप में स्थापित किया गया। ‘नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो’ का प्राथमिक कार्य भारत में अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू हवाई अड्डों पर नागरिक उड़ानों की सुरक्षा के संबंध में मानकों तथा उपायों का निर्धारण करना है। यह आकस्मिक योजनाओं की प्रभावशीलता और विभिन्न एजेंसियों की परिचालन क्षमताओं का परीक्षण करने के लिये अभ्यास का भी आयोजन करता है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसके अलावा इसके चार अन्य क्षेत्रीय कार्यालय चार शहरों- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में स्थित हैं।

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