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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 26 अप्रैल, 2023

  • 26 Apr 2023
  • 8 min read

मंगल ग्रह के कोर और संभावित आवास को लेकर अंतर्दृष्टि

एक नए अध्ययन से पता चला है कि मंगल ग्रह का कोर पहले की तुलना में छोटा और सघन है, जिसकी त्रिज्या 1,780-1,810 किलोमीटर के बीच होने का अनुमान है। अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्त्ताओं की टीम ने नासा के इनसाइट मार्स लैंडर के भूकंपीय डेटा का इस्तेमाल किया, ताकि मंगल ग्रह के अंदरूनी हिस्सों में विभिन्न सामग्रियों से गुज़रने वाली भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया जा सके। उन्हें कोर के तरल अवस्था में होने के संकेत मिले हैं जो सल्फर एवं ऑक्सीजन सहित हल्के तत्त्वों के साथ अधिकतर लोहे से बना है तथा इसके वज़न का पाँचवाँ हिस्सा है। अध्ययन में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि कोर के भौतिक गुण पृथ्वी और मंगल ग्रह के गठन के एक बेहतर मॉडल के विषय में जानकारी दे सकते हैं। ग्रहीय कोर महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि यह कभी-कभी ग्रह-व्यापी चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकते हैं, जो मंगल ग्रह का कोर नहीं करता है। पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र इसके बाहरी तरल कोर में उत्पन्न होता है और यह ग्रह को सौर हवाओं से बचाता है जिससे यह जल को पृथ्वी पर बनाए रखता है। हालाँकि मंगल ग्रह के कोर इस सुरक्षा कवच को उत्पन्न नहीं करती है जिससे ग्रह की सतह की स्थिति जीवन के लिये प्रतिकूल हो जाती है। चूँकि ऐसा माना जाता है कि अतीत में मंगल ग्रह के पास चुंबकीय क्षेत्र था और एक समय यह रहने योग्य था जिससे पता चलता है कि ग्रह के आंतरिक भाग ने इसकी वर्तमान स्थिति के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। भले ही इनसाइट मिशन को समाप्त कर दिया गया है, फिर भी शोधकर्त्ता लाल ग्रह की संरचना और गुणों को बेहतर ढंग से समझने के लिये एकत्रित डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं।
और पढ़े… लाल ग्रह दिवस, नासा का इनसाइट मार्स लैंडर

रामानुजाचार्य:

हाल ही में प्रधानमंत्री ने रामानुजाचार्य को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में वर्ष 1017 में जन्मे रामानुजाचार्य को वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक के रूप में सम्मानित किया जाता है। उन्होंने समानता तथा सामाजिक न्याय का समर्थन करते हुए पूरे भारत की यात्रा की। उन्होंने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया एवं उनके उपदेशों ने अनेक भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया। रामानुजाचार्य वेदांत के विशिष्टाद्वैतवाद की उप-शाखा के मुख्य प्रस्तावक के रूप में प्रसिद्ध हैं। विशिष्टाद्वैत वेदांत दर्शन की एक अद्वैतवादी परंपरा है। उन्होंने नवरत्नों के नाम से प्रसिद्ध नौ शास्त्रों की रचना की और वैदिक शास्त्रों पर कई भाष्यों की रचना की। रामानुज के सबसे महत्त्वपूर्ण लेखन में ‘वेदांत सूत्र’ पर उनकी टिप्पणी (श्री भाष्य या ‘सच्ची टिप्पणी’) तथा भगवद्-गीता पर उनकी टिप्पणी (गीताभास्य या ‘गीता पर टिप्पणी’) शामिल है। उन्होंने शिक्षा को उन लोगों तक पहुँचाया जो इससे वंचित थे। उनका सबसे बड़ा योगदान ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ यानी ‘सारा ब्रह्मांड एक परिवार है’, की अवधारणा का प्रचार करना था। रामानुजाचार्य ने सामाज के हाशिये पर स्थित लोगों को गले लगाया और उनकी इस स्थिति के कारणों की निंदा की तथा शाही अदालतों (Royal Courts) से उनके साथ समान व्यवहार करने को कहा। रामानुजाचार्य ने सामाजिक, सांस्कृतिक, लैंगिक, शैक्षिक और आर्थिक भेदभाव से लाखों लोगों को इस मूलभूत विश्वास के साथ मुक्त किया कि राष्ट्रीयता, लिंग, जाति, पंथ से पहले हर मनुष्य समान है। सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के उनके कार्य के कारण हैदराबाद में रामानुजाचार्य की 213 फीट ऊँची मूर्ति को “स्टेच्यू ऑफ इक्वलिटी” के रूप में जाना जाता है।

और पढ़ें… दार्शनिक-संत रामानुजाचार्य

जगद्गुरु आदि शंकराचार्य

हाल ही में प्रधानमंत्री ने जगद्गुरु आदि शंकराचार्य को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य, जिनका जन्म 8वीं शताब्दी ईस्वी में केरल में हुआ था, भारतीय इतिहास के सबसे प्रतिष्ठित दार्शनिकों में से एक थे। उन्हें दर्शन के अद्वैत वेदांत सम्प्रदाय का संस्थापक माना जाता है, जो संपूर्ण अस्तित्त्व की परम एकता पर ज़ोर देता है। शंकराचार्य को हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने तथा इसकी दार्शनिक व आध्यात्मिक नींव को पुनर्स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। वह एक महान लेखक थे, जिन्होंने वेदों, उपनिषदों और अन्य महत्त्वपूर्ण ग्रंथों पर टीकाएँ लिखीं। उनके सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में ब्रह्म सूत्र (भाष्य), भजगोविंद स्तोत्र, निर्वाण शतकम एवं प्रकरण ग्रंथ शामिल हैं। शंकराचार्य एक समाज सुधारक भी थे तथा उन्होंने जाति-आधारित भेदभाव को खत्म करने व सामाजिक समानता को बढ़ावा देने हेतु काम किया।

और पढ़ें…आदि शंकराचार्य

भारत का पहला वाटर मेट्रो

प्रधानमंत्री ने हाल ही में केरल में कोच्चि वाटर मेट्रो के पहले चरण का उद्घाटन किया है, यह अपनी तरह की पहली मेट्रो प्रणाली है। यह मेट्रो रेल नेटवर्क के साथ एकीकृत एक सार्वजनिक नाव सेवा है। यह परियोजना कोच्चि मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन और एक जर्मन वित्तपोषित एजेंसी के सहयोग से प्रदान की गई वित्तीय सहायता से कार्यान्वित की जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य केरल में दस द्वीपीय समुदायों को मुख्य भूमि से जोड़ना है, इससे यात्रा समय में कमी लाने के साथ ही परिवहन को अधिक लागत प्रभावी बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कोच्चि वाटर मेट्रो एक आधुनिक नौका परिवहन परियोजना है जिसमें ग्रेटर कोच्चि में 16 मार्गों पर चलने वाली कई नावें शामिल हैं। अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों और उन्नत तकनीक से लैस इन नौकाओं की सहायता से आवागमन को सुगम और अधिक कुशल सुनिश्चित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है। कोच्चि वाटर मेट्रो में नावें बैटरी संचालित हैं और प्रत्येक रूट से होकर गुज़रने में केवल 10 से 20 मिनट का समय लेती हैं।

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