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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 अक्तूबर, 2021

  • 22 Oct 2021
  • 7 min read

पुलिस स्मृति दिवस

भारत में प्रत्येक वर्ष 21 अक्तूबर को ‘पुलिस स्मृति दिवस’ उन पुलिसकर्मियों को याद करने और उनका सम्मान करने के लिये मनाया जाता है, जिन्होंने अपने दायित्त्वों का निर्वाह करते हुए अपना जीवन दांव पर लगा दिया। साथ ही यह दिवस आम जनमानस को पुलिसकर्मियों के समक्ष मौजूद चुनौतियों को जानने और उनके साहस तथा कठिन परिश्रम का सम्मान करने का भी अवसर प्रदान करता है। ध्यातव्य है कि यह दिवस वर्ष 1959 में हुई एक घटना की स्मृति में मनाया जाता है, जब लद्दाख में चीन की सेना द्वारा किये गए हमले में 10 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई थी। तभी से प्रत्येक वर्ष 21 अक्तूबर को शहीद पुलिसकर्मियों के सम्मान में पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2018 में पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में भारत के पहले राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का उद्घाटन किया था। दिल्ली स्थित इस राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में सभी केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों के 34,844 पुलिसकर्मियों को याद किया गया है, जिन्होंने वर्ष 1947 के बाद से अब तक ड्यूटी पर रहते हुए अपनी जान गंवाई है। वर्ष 2016 के आँकड़ों की मानें तो देश में स्वीकृत पुलिस बल अनुपात प्रति लाख व्यक्तियों पर 181 पुलिसकर्मी था, जबकि वास्तविक संख्या मात्र 137 थी। ज्ञात हो कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रति लाख व्यक्तियों पर 222 पुलिस के अनुशंसित मानक की तुलना में यह बहुत कम है।

विश्व आयोडीन अल्पता दिवस

प्रत्येक वर्ष 21 अक्तूबर को दुनिया भर में ‘विश्व आयोडीन अल्पता दिवस’ का आयोजन किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (WHO) 1980 के दशक से राष्ट्रीय नमक आयोडीनीकरण’ कार्यक्रम के माध्यम से आयोडीन की कमी के प्रभावों को रेखांकित करने हेतु काम कर रहा है। यूनिसेफ ने ‘इंटरनेशनल काउंसिल फॉर कंट्रोल ऑफ आयोडीन डिफिशिएंसी डिसऑर्डर’ (ICCIDC) के साथ मिलकर कई अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों की रणनीति बनाई है और यह 66 प्रतिशत घरों में आयोडीन युक्त नमक उपलब्ध कराने में सक्षम रहा है। आयोडीन एक खनिज पदार्थ है जो आमतौर पर समुद्री भोजन, डेयरी उत्पादों, अनाज और अंडे में पाया जाता है। दुनिया भर में आयोडीन की कमी एक गंभीर समस्या है। वैश्विक स्तर पर 2 बिलियन लोग आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के खतरे में हैं। आयोडीन की कमी को रोकने में मदद करने के लिये इसे घरेलू नमक में मिलाया जाता है। भारत में वर्ष 1992 में मानव उपभोग के लिये आयोडीन युक्त नमक को अनिवार्य किया गया था। इस अनिवार्यता को वर्ष 2000 में शिथिल कर दिया गया, परंतु वर्ष 2005 में इसे फिर से लागू कर दिया गया।

माउंट ‘एसो’ ज्वालामुखी

हाल ही में जापान की माउंट ‘एसो’ ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ है। जापान के मौसम विज्ञान के विभाग के मुताबिक, ‘ज्वालामुखी’ का पाइरोक्लास्टिक प्रवाह लगभग 2 किलोमीटर के भीतर के क्षेत्रों में फैल सकता है। माउंट ‘एसो’ का निकटतम आबादी वाला शहर ‘एसो’ है, जिसकी आबादी लगभग 26,500 है। माउंट ‘एसो’ में इससे पूर्व वर्ष 2019 में एक छोटा सा विस्फोट हुआ था, जबकि बीते लगभग 90 वर्षों में जापान की सबसे भीषण ज्वालामुखी आपदा सितंबर 2014 में माउंट ‘ओंटेक’ में देखने को मिली थी, जिसमें कुल 63 लोगों की मृत्यु हुई थी। ज्वालामुखी विस्फोट के साथ-साथ, जापान में भूकंप भी एक सामान्य घटना है। यह ज्ञातव्य है कि जापान पृथ्वी पर सबसे अधिक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है। दुनिया के 6 या उससे अधिक तीव्रता के भूकंपों का लगभग 20 प्रतिशत जापान में दर्ज किये जाते हैं। 

‘G344.7-0.1’ तारकीय विस्फोट अवशेष

हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने दूरबीनों के माध्यम से हज़ारों वर्ष पूर्व हुए एक तारकीय विस्फोट के अवशेषों को रिकॉर्ड किया है। नासा के ‘चंद्रा एक्स-रे वेधशाला के अनुसार, यह तारकीय अवशेष- जिसे औपचारिक रूप से ‘G344.7-0.1’ नाम दिया गया है, पृथ्वी से लगभग 19,600 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और तकरीबन 3,000 से 6,000 वर्ष पुराना है। नासा द्वारा रिकॉर्ड किये गए ‘G344.7-0.1’ के दृश्य से ज्ञात होता है कि ‘तारकीय मलबा’ प्रारंभिक तारकीय विस्फोट के बाद बाहर की ओर विस्तृत हुआ, हालाँकि इस तारकीय मलबे के आसपास गैस का एक भंडार मौजूद है। यह गैस भंडार मलबे की गति को धीमा कर देता है, जिससे एक ‘रिवर्स शॉक वेव’ का निर्माण होता है। ‘चंद्रा एक्स-रे डेटा’ से पता चला है कि सुपरनोवा अवशेष के कोर में आयरन मौजूद है।

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