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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 अक्तूबर, 2023

  • 21 Oct 2023
  • 4 min read

रीजनल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (RRTS)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में रीजनल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (RRTS) के पहले चरण का उद्घाटन किया, जिसे नमो भारत भी कहा जाता है, यह क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिये समर्पित भारत का पहला मास रैपिड सिस्टम है।

  • RRTS 180 किमी./घंटा तक की गति से चलने में सक्षम है।
  • रेल मंत्रालय ने वर्ष 1998-1999 में इस प्रकार के परिवहन नेटवर्क के निर्माण के संबंध में एक अध्ययन किया था, वह RRTS के निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित करने वाला पहला अध्ययन था। वर्ष 2006 में कुछ NCR शहरों में दिल्ली मेट्रो लाइनों के विस्तार के साथ इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया गया था।

RRTS राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के भीतर मौजूदा परिवहन केंद्रों पर मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के अतिरिक्त विभिन्न तरीकों से परिवहन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव करने पर केंद्रित है।

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महसा अमीनी यूरोपीय संघ के शीर्ष मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित

वर्ष 2022 में ईरान में पुलिस हिरासत में मरने वाली 22 वर्षीय कुर्द-ईरानी महिला महसा अमीनी को यूरोपीय संघ के शीर्ष मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिसने ईरान की रूढ़िवादी इस्लामी धर्मतंत्र के खिलाफ समग्र विश्व में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था।

  • कथित तौर पर ईरान के हेडस्कार्फ के अनिवार्य कानून की अवज्ञा करने के आरोप में गिरफ्तार किये जाने के बाद अमीनी की मृत्यु हो गई। इसके चलते महिलाओं के नेतृत्व में एक आंदोलन शुरू हुआ तथा विश्व "वुमेन, लाइफ, लिबर्टी" (Women, Life, Liberty) के नारों से गूँज उठा।
    • इस वर्ष (2023) इस पुरस्कार के दावेदारों में विल्मा नुनेज डी एस्कोर्सिया और रोमन कैथोलिक बिशप रोलैंडो अल्वारेज़ शामिल थे जिन्होंने निकारागुआ में मानवाधिकारों की रक्षा के लिये संघर्ष किया था। इनके अलावा पोलैंड, अल सल्वाडोर और संयुक्त राज्य अमेरिका की तीन महिलाएँ भी शामिल थीं जो ‘‘निशुल्क, सुरक्षित और कानूनी गर्भपात’’ के लिये लड़ाई का नेतृत्व कर रही हैं।
  • यूरोपीय संघ पुरस्कार, जिसका नाम सोवियत डिसीडेंट आंद्रेई सखारोव के नाम पर रखा गया था, वर्ष 1988 में मानवाधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा करने वाले व्यक्तियों अथवा समूहों को सम्मानित करने के लिये स्थापित किया गया था। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता सखारोव का निधन वर्ष 1989 में हुआ।
  • विगत वर्ष का पुरस्कार यूक्रेन के लोगों तथा उनके प्रतिनिधियों को जारी युद्ध के दौरान उनकी बहादुरी एवं रूस के आक्रमण के प्रतिरोध के लिये दिया गया था।

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