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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 अक्तूबर, 2021

  • 13 Oct 2021
  • 7 min read

विश्व गठिया रोग दिवस

गठिया रोग और इसके प्रभाव के विषय में जागरूकता फैलाने के लिये प्रतिवर्ष 12 अक्तूबर को ‘विश्व गठिया रोग दिवस’ (WLD) का आयोजन किया जाता है। गठिया रोग कोई एक अकेली बीमारी नहीं है, बल्कि जोड़ों से संबंधित सौ से अधिक रोगों के लिये एक व्यापक शब्द है। यह जोड़ों या उसके आसपास सूजन पैदा कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप दर्द, जकड़न और कभी-कभी चलने में कठिनाई होती है। ‘विश्व गठिया दिवस’ का आयोजन पहली बार वर्ष 1996 में किया गया था। वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम है- ‘डोंट डिले, कनेक्ट टुडे: टाइम2वर्क’। ‘यूरोपियन एलायंस ऑफ एसोसिएशंस फॉर रुमेटोलॉजी’ के आँकड़ों की मानें तो गठिया रोग से पीड़ित अनुमानतः सौ मिलियन लोग ऐसे हैं, जो बिना किसी निदान के इसके लक्षणों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं और अक्सर इसे अनदेखा कर दिया जाता है। गठिया रोग कई प्रकार के होते हैं, जिसमें ‘ऑस्टियोआर्थराइटिस’ (OA) और ‘रूमेटोइड गठिया’ (RA) प्रमुख हैं। दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा गठिया रोग से प्रभावित है, जो उनके जीवन की गुणवत्ता एवं समाज में भागीदारी को प्रभावित करता है। 

‘करुप्पुर कलमकारी पेंटिंग’ और ‘कल्लाकुरिची लकड़ी की नक्काशी’

हाल ही में तमिलनाडु की ‘करुप्पुर कलमकारी पेंटिंग’ और ‘कल्लाकुरिची लकड़ी की नक्काशी’ को भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्रदान किया गया है। गौरतलब है कि ‘कलमकारी पेंटिंग’ शुद्ध सूती कपड़े पर की जाती हैं, जो मुख्य रूप से मंदिरों की छतरी के कवर, बेलनाकार हैंगिंग और रथ कवर के लिये उपयोग होती है। वहीं ‘कल्लाकुरिची लकड़ी की नक्काशी’ ‘लकड़ी की नक्काशी’ का एक अनूठा रूप है, जिसमें शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक शैलियों के अलंकरण और डिज़ाइनों का उपयोग किया जाता है। दस्तावेज़ी साक्ष्यों से पता चलता है कि ‘कलमकारी पेंटिंग’ 17वीं शताब्दी की शुरुआत में ‘नायक शासकों’ के संरक्षण में विकसित हुई, जबकि एक कला के रूप में ‘कल्लाकुरिची लकड़ी की नक्काशी’ का विकास तब हुआ, जब मदुरै प्राचीन काल में विभिन्न राजशाही शासनों के तहत एक महत्त्वपूर्ण शहर था। समय के साथ लकड़ी पर नक्काशी करने वाले शिल्पकार दूसरे शहरों और स्थानों पर चले गए, जहाँ उन्होंने अपनी एक विशिष्ट शैली विकसित की। 

जर्मनी में विश्व की पहली स्वचालित ट्रेन 

जर्मनी ने हाल ही में ‘हैम्बर्ग’ शहर में दुनिया की पहली स्वचालित, चालक रहित ट्रेन का अनावरण किया है, जो कि पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में समय की अधिक पाबंद और ऊर्जा कुशल बताई जा रही है। ऐसी चार ट्रेनें शहर के उत्तरी हिस्से के एस-बान रैपिड शहरी रेल नेटवर्क में शामिल होंगी और मौजूदा रेल बुनियादी अवसंरचना का उपयोग करते हुए दिसंबर माह से संचालन शुरू करेंगी। गौरतलब है कि पेरिस जैसे अन्य शहरों में चालक रहित मेट्रो मौजूद हैं, जबकि हवाई अड्डों में भी प्रायः स्वचालित मोनोरेल ही चलती हैं, किंतु इन सभी का संचालन विशेष एकल पटरियों पर किया जाता है, जबकि ‘हैम्बर्ग’ ट्रेन अन्य नियमित ट्रेनों के साथ पटरियों को साझा करेगी। जर्मनी में ट्रेन संचालन नेटवर्क को नियंत्रित करने वाली कंपनी ने कहा कि यद्यपि ट्रेन को डिजिटल तकनीक के माध्यम से पूर्णतः स्वचालित रूप से नियंत्रित किया जाएगा, लेकिन एक ड्राइवर यात्रा की निगरानी के लिये वहाँ मौजूद रहेगा। 

अकासा एयरलाइन

स्टॉक मार्केट निवेशक राकेश झुनझुनवाला द्वारा समर्थित ‘अकासा एयरलाइन’ को नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ (NOC) प्रदान किया गया है। यह एयरलाइन, जो कि कम लागत वाहक के रूप में अपनी सेवाएँ देने की योजना बना रही है, अगले वर्ष तक संचालन शुरू कर सकती है। यह एयरलाइन आगामी चार वर्षों में लगभग 70 विमानों के संचालन की योजना बना रही है। कंपनी द्वारा अपने संचालन में ‘अल्ट्रा लो कॉस्ट कैरियर्स’ (ULCC) मॉडल का उपयोग किया जाएगा। इस मॉडल के तहत ‘अकासा एयरलाइन’ ‘इंडिगो’ और ‘स्पाइसजेट’ जैसी विशिष्ट बजट एयरलाइनों की तुलना में परिचालन लागत को भी कम रखने पर ध्यान केंद्रित करेगी। वर्ष 2019 में ‘जेट एयरवेज़’ के बंद होने और ‘एयर इंडिया’ के विनिवेश के बाद से एयरलाइन उद्योग की स्थिति काफी कमज़ोर बनी हुई है, ऐसे में ‘अकासा एयरलाइन’ की उपस्थिति भारतीय एयरलाइन उद्योग को मज़बूती प्रदान कर सकती है।

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