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ऑस्टियोआर्थराइटिस और डायबिटिक फुट अल्सर

  • 17 Sep 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये  

ऑस्टियोआर्थराइटिस, डायबिटिक फुट अल्सर  

मेन्स के लिये 

परियोजना के उद्देश्य एवं महत्ता

चर्चा में क्यों ? 

ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) और डायबिटिक फुट अल्सर (Diabetic Foot Ulcer)  जैसी नैदानिक (Clinical) ​​स्थितियों की  आवश्यकता पूर्ति करने वाले उपकरणों के सह-विकास के लिये केरल स्थित एक वैज्ञानिक संस्था और मोहाली स्थित एक निजी निर्माता कंपनी साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इससे ऑर्थोटिक उपकरणों के विकास को बढ़ावा मिल सकता है।

प्रमुख बिंदु

ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों में दर्द और जकड़न पैदा करने वाला रोग है, जो जोड़ों की हड्डियों के मध्य स्थित आर्टिकुलर कार्टिलेज़ को नुकसान पहुँचाता है।
  • आर्टिकुलर कार्टिलेज हड्डियों के मध्य मुलायम कुशन की तरह काम करता है। धीरे-धीरे कार्टिलेज नष्ट होने पर जोड़ों के मूवमेंट के समय हड्डियाँ परस्पर टकराने लगती हैं।
  • वैसे तो यह किसी भी जॉइंट को नुकसान पहुँचा सकता है, लेकिन घुटने के जॉइंट से संबंधित रोगी सबसे अधिक पाए जाते हैं।

डायबिटिक फुट अल्सर

  • मधुमेह रोग से ग्रसित व्यक्ति में पैर का अल्सर हो जाता है जिसके  कारण त्वचा के ऊतक  नष्ट हो जाते हैं और उसके नीचे की परतें दिखाई देने लगती हैं। यह पैरों की हड्डियों को प्रभावित करता है। 
  • मोटापे और विटामिन-डी की कमी, दोनों समस्याओं के एक साथ होने पर डायबिटिक फुट अल्सर होने का खतरा और भी बढ़ जाता है।
  • भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज़ एंड टेक्नोलॉजी (Sree Chitra Tirunal Institute for Medical Sciences and Technology-SCTIMST), त्रिवेंद्रम, केरल ने ऑर्थोटिक्स एवं पुनर्वास संबंधी अनुसंधान एवं विकास (R&D) इकाई स्थापित करने के लिये टाइनोर ऑर्थोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड (Tynor Arthritis Private Limited- Tynor), मोहाली के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • टाइनोर उच्च गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ते ऑर्थोपेडिक उपकरणों का निर्माण एवं निर्यात करता है। अब यह SCTIMST के साथ मिलकर ऑर्थोटिक्स एवं पुनर्वास के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों को बढ़ावा देगा। टाइनोर ने डायबिटिक फुट अल्सर एवं ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीज़ों में दो ऑफ-लोडिंग उपकरणों के अनुसंधान एवं विकास  के लिये SCTIMST का वित्त पोषण किया है। एक वर्ष के लिये तैयार की गई इस परियोजना के अंतर्गत टाइनोर 27 लाख रूपए का योगदान करेगा।

परियोजना के उद्देश्य एवं महत्ता

  • इस संस्थान-उद्योग सहयोग का मुख्य उद्देश्य ऑस्टियोआर्थराइटिस और डायबिटिक फुट अल्सर जैसी नैदानिक ​​स्थितियों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये ऑर्थोज़ का एक क्लस्टर विकसित करना है। 
  • एशिया–प्रशांत क्षेत्र में वृद्धों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। जनसंख्या का यह भाग मधुमेह के प्रति अधिक सुभेद्य हैं। इस कारण डायबिटिक फुट अल्सर के वैश्विक चिकित्सीय बाज़ार में अत्यधिक वृद्धि होने का अनुमान है। वर्ष 2019-2025 अवधि के दौरान 6.6% की यौगिक वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate-CAGR) के साथ डायबिटिक फुट अल्सर और प्रेशर अल्सर के वैश्विक बाज़ार के वर्ष 2025 तक 5,265 मिलियन डॉलर तक पहुँच जाने का अनुमान है, जो काफी चिंताजानक है।

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस, घुटने की आर्थोपेडिक सर्जरी और एथलेटिक्स में खेल संबंधी चोटों की बढ़ती संख्या के कारण ‘नी ब्रेसिज़’ (Knee Braces) के वैश्विक बाज़ार में काफी वृद्धि हुई है। नी ब्रेसिज़ के वैश्विक बाजार का आकार वर्ष 2018 में 1.5 बिलियन डॉलर अनुमानित था। वर्तमान में इसकी CAGR 4.3% होने की उम्मीद है। ऑस्टियोआर्थराइटिस के बढ़ते बोझ, लक्षित जनसंख्या में वृद्धि, लागत प्रभावी तकनीक और आसानी से पहने जा सकने वाले ब्रेसिज़ की उपलब्धता संबंधित बाज़ार के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं।

  • SCTIMST ने पिछले 30 या उससे अधिक वर्षों में जैव-चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर अनुसंधान एवं विकास का कार्य कर इस क्षेत्र में खुद को अग्रणी के तौर पर स्थापित किया है। 
  • टाइनोर ने ऑर्थोपेडिक उपकरणों और फुटकेयर उत्पादों के क्षेत्र में भारत का पहला अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है। इस केंद्र को टोरनाडो (Tynor Ortho Research and Appliance Development Organisation-TORNADO) नाम दिया गया है। इसका उद्देश्य एक टोरनाडो जैसी तीव्र गति से प्रौद्योगिकी एवं नवाचार आधारित हलचल पैदा करना है। 

निष्कर्ष: इस संस्थान-उद्योग सहयोग से स्वदेशी उपकरणों के विकास करने और एक ऑर्थोटिक्स एवं पुनर्वास संबंधी अनुसंधान एवं विकास इकाई स्थापित करने से भारत सरकार के उच्च प्राथमिकता वाले 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।  

स्रोत: पीआईबी 

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