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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 जुलाई, 2021

  • 12 Jul 2021
  • 6 min read

अंटार्कटिका में सक्रिय झीलें

हाल ही में अमेरिकी स्पेस एजेंसी द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि अंटार्कटिका की जल प्रणाली में 130 से अधिक सक्रिय झीलें हैं और इसका विकास भविष्य में बर्फ की चादर की गतिशीलता के लिये एक बड़ी अनिश्चितता बन सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंटार्कटिक बर्फ, जो ऊपर से शांत एवं स्थिर दिखाई देती है, धीरे-धीरे अपनी नींव से कमज़ोर होती जा रही है और ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन के कारण नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही है। बर्फ के पिघलने से उसके नीचे कई झीलें बन गई हैं, जिससे जलमार्ग की एक प्रणाली विकसित हुई है जो अंततः समुद्र तक पहुँचती है। अंटार्कटिक जल प्रणाली की खोज सर्वप्रथम वर्ष 2007 में स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के ग्लेशियोलॉजिस्ट हेलेन फ्रिकर द्वारा की गई थी। अब वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे से जुड़ी सक्रिय झीलों के पूरे नेटवर्क का पता लगाया है, जो समय के साथ और सक्रिय होती जा रही हैं। अंटार्कटिक की सतह में सक्रिय झीलों का निर्माण विभिन्न कारकों जैसे- ऊपरी बर्फ का भारी वज़न, बर्फ की चादर की सतह एवं चट्टानों के बीच घर्षण और पृथ्वी से आने वाली गर्मी आदि का परिणाम होता है। विदित हो कि हाल ही में अंटार्कटिका में एक विशाल बर्फ से ढकी झील कुछ ही दिनों में गायब हो गई थी, जिससे वैज्ञानिकों के बीच ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चिंता और अधिक बढ़ गई थी। शोधकर्त्ताओं का मत है कि शेल्फ के नीचे बनी सक्रिय झीलें इस बड़े बदलाव का प्रमुख कारण हैं। इस घटना के कारण अनुमानित 21 अरब से 26 अरब क्यूबिक फीट पानी समुद्र में पहुँच गया था। 

मलाला दिवस

संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 12 जुलाई को महिलाओं और बच्चों के अधिकारों का सम्मान करने के लिये वैश्विक स्तर पर ‘मलाला दिवस’ का आयोजन किया जाता है। 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान में जन्मी मलाला यूसुफज़ई एक सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं, जो महिला शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में अनवरत संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने पाकिस्तान में बालिका शिक्षा पर प्रतिबंध का सार्वजनिक और ज़ोरदार विरोध किया तथा बालिकाओं को शिक्षित करने की आवश्यकता की वकालत की। मलाला को अंतर्राष्ट्रीय ख्यति तब प्राप्त हुई जब मात्र 15 वर्ष की आयु में कट्टरपंथियों द्वारा उनकी हत्या का प्रयास किया गया। गौरतलब है कि 10 अक्तूबर, 2014 को मलाला युसुफजई को ‘बच्चों और महिलाओं की शिक्षा के लिये संघर्ष करने हेतु भारतीय बाल अधिकार कार्यकर्त्ता कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त तौर पर नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस तरह वह सबसे छोटी उम्र की नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता हैं। इसके अलावा वर्ष 2012 में उन्हें पाकिस्तान सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने युवा लड़कियों को स्कूल जाने में मदद करने के लिये एक गैर-लाभकारी संगठन ‘मलाला फंड’ की भी स्थापना की है। मलाला को कनाडा की मानद नागरिकता से भी नवाज़ा जा चुका है। 

‘ग्रेवेलिया बोरो’ और ‘डेक्सिपस क्लेनी’ मकड़ियाँ

हाल ही में पश्चिमी असम के चिरांग रिज़र्व फॉरेस्ट की ‘झारबारी रेंज’ में भूमिगत मकड़ियों की दो नई प्रजातियों - ग्रेवेलिया बोरो और डेक्सिपस क्लेनी की खोज की गई है। इन दोनों मकड़ियों को बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र में खोजा गया है। पहली मकड़ी यानी ‘ग्रेवेलिया बोरो’ का नाम बोडो समुदाय के नाम पर रखा गया है और यह मिट्टी, वनस्पति तथा रेशम से बने कॉर्क जैसे जाल के साथ बिलों का निर्माण करती है। ये मकड़ियाँ रेतीली-दोमट सतह से लगभग 10-15 सेंटीमीटर नीचे भूमिगत रहती है। वहीं ‘डेक्सिपस क्लेनी’ एक ओरिएंटल जंपिंग मकड़ी है, जिन्हें पहली बार इस क्षेत्र में देखा गया है। इस मकड़ी को मूलतः  129 वर्ष पूर्व स्वीडिश पुरातत्त्वविद् टॉर्ड टैमरलान थोरेल द्वारा खोजा गया था। ‘डेक्सिपस क्लेनी’ ‘साल्टिसिडे’ परिवार की सदस्य है, जो पृथ्वी पर मकड़ियों का सबसे बड़ा परिवार है।

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