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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 दिसंबर, 2020

  • 12 Dec 2020
  • 6 min read

यूनिसेफ दिवस

बाल विकास और बाल अधिकारों के संरक्षण की दिशा में यूनिसेफ (UNICEF) के अतुलनीय योगदान को रेखांकित करने हेतु प्रतिवर्ष 11 दिसंबर को यूनिसेफ दिवस का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र की इस स्थायी संस्था ने अपनी स्थापना के 74 वर्ष पूरे कर लिये हैं। यूनिसेफ का गठन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 11 दिसंबर, 1946 को ‘संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष’ (UNICEF) के रूप में किया गया था। इसकी स्थापना मुख्य तौर पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बच्चों और माताओं के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और सामान्य कल्याण में सुधार आदि के उद्देश्य से की गई थी। वर्ष 1953 में यह संयुक्त राष्ट्र का एक स्थायी हिस्सा बन गया और ‘अंतर्राष्ट्रीय’ एवं ‘आपातकालीन’ शब्दों को हटाकर इस संगठन का नाम ‘संयुक्त राष्ट्र बाल कोष’ कर दिया गया, हालाँकि इसके मूल संक्षिप्त नाम ‘यूनिसेफ’ (UNICEF) को बरकरार रखा गया। वर्तमान में यूनिसेफ विश्व के 190 से अधिक देशों में कार्य करता है, जिसका उद्देश्य बच्चों के जीवन को बचाना, उनके अधिकारों का संरक्षण और क्षमता निर्णय में उनकी मदद करना है। यूनिसेफ को वर्ष 1965 में नोबेल शांति पुरस्कार, वर्ष 1989 में इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार और वर्ष 2006 में प्रिंस ऑफ अस्तुरियस अवॉर्ड मिला था। 

पर्सन ऑफ द इयर

अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम मैगज़ीन ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को संयुक्त रूप से वर्ष 2020 का ‘पर्सन ऑफ द इयर’ मनोनीत किया है। टाइम मैगज़ीन द्वारा किसी प्रभावशाली व्यक्ति अथवा संस्था को मनोनीत करने की शुरुआत वर्ष 1927 में की गई थी और शुरुआत में इसे ‘मैन ऑफ द इयर’ के रूप में जाना जाता था, हालाँकि बाद में इसका नाम बदलकर ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ कर दिया गया। यह सम्मान ऐसे किसी व्यक्ति, समूह, आंदोलन या विचार को दिया जाता है, जिसने किसी एक वर्ष में विशेष रूप से सबसे अधिक प्रभाव डाला हो, हालाँकि यह आवश्यक नहीं है कि यह प्रभाव सकात्मक ही हो। उदाहरण के लिये वर्ष 1938 में नाज़ी पार्टी के नेता एडॉल्फ हिटलर को भी ‘पर्सन ऑफ द इयर’ के रूप में नामित किया गया था। वर्ष 2019 में युवा ‘जलवायु परिवर्तन कार्यकर्त्ता’ ग्रेटा थनबर्ग को ‘पर्सन ऑफ द इयर’ के रूप नामित किया गया था, जो कि यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की विजेता बनी थीं।

ओलंपिक में शामिल हुआ ब्रेकडांस

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने ब्रेकडांस (Breakdance) को आधिकारिक तौर पर ओलंपिक खेल में शामिल कर लिया है। एक ओलंपिक खेल के तौर पर ‘ब्रेकडांस’ अथवा ‘ब्रेकिंग’ (ब्रेकडांसिंग का प्रतिस्पर्द्धात्मक स्वरूप) की आधिकारिक शुरुआत पेरिस में वर्ष 2024 में होने वाले ओलंपिक खेलों के दौरान की जाएगी। ब्रेकडांस को एक खेल के तौर पर ओलंपिक में शामिल करने के निर्णय का प्राथमिक उद्देश्य प्रायोजकों और प्रसारकों के लिये ओलंपिक खेलों की प्रासंगिकता को बनाए रखना है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के इस निर्णय से अधिक-से-अधिक युवाओं को ओलंपिक खेलों के प्रति आकर्षित किया जा सकेगा ताकि युवाओं के बीच ओलंपिक खेलों की लोकप्रियता को बरकरार रखा जा सकेगा। हिप-हॉप संस्कृति के एक प्रमुख प्रारूप के रूप में ब्रेकडांसिंग की शुरुआत 1970 के दशक में अमेरिका में हुई थी। 

1000 खेलो इंडिया केंद्रों की स्थापना 

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में घोषणा की है कि सेवानिवृत्त खिलाड़ियों को रोज़गार प्रदान देने के लिये सरकार देश भर में 1000 खेलो इंडिया केंद्रों की स्थापना करेगी। इन खेलो इंडिया केंद्रों से भारत में खेल संस्कृति को नया आयाम प्रदान करने में भी मदद मिलेगी। इस संबंध में घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘हमें यह सुनिश्चित करना चाहिये कि भारत में खेल एक बड़े उद्योग का रूप ले सके, क्योंकि यह भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी बड़ा योगदानकर्त्ता बन सकता है। खेल हमारे समग्र विकास के लिये सबसे महात्त्वपूर्ण कारकों में से एक है, इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा ‘खेलो इंडिया’ कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इसका उद्देश्य भारत में सभी प्रकार के खेलों के लिये अवसंरचना का विकास करना और भारत में खेल संस्कृति को एक नया रूप प्रदान करना है।

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