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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 फरवरी, 2023

  • 11 Feb 2023
  • 5 min read

पहला सुंदरबन बर्ड फेस्टिवल 

हाल ही में पहले सुंदरबन बर्ड फेस्टिवल के दौरान 145 अलग-अलग पक्षी प्रजातियों को देखा गया। इस पहले उत्सव का आयोजन पश्चिम बंगाल वन विभाग के सुंदरबन टाइगर रिज़र्व (STR) डिवीज़न द्वारा किया गया था, जिसमें कई टीमों ने सुंदरबन बायोस्फीयर रिज़र्व के अंदर विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया। बर्ड फेस्टिवल सुंदरबन की पक्षी प्रजातियों की विविधता पर आधारभूत डेटा प्रदान करता है। वर्ष 2021 में ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI)  के अनुसार, भारत में खोजी गई सभी एवियन प्रजातियों में से एक-तिहाई (पक्षियों की प्रजातियाँ) यानी 428 पक्षी प्रजातियाँ सुंदरबन में पाई गईं।

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बौने ग्रह पर रहस्यमयी वलय

एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि बौना ग्रह, प्लूटो असामान्य वलय वाला है जो ग्रह के आकार का लगभग आधा है। क्वाओर (Quaoar) के वलय (मूल अमेरिकी पौराणिक कथाओं में सृजन के एक देवता के नाम पर) सात ग्रहों की त्रिज्या (किसी ग्रह के केंद्र और उसकी सतह के बीच की दूरी) से अधिक दूरी पर स्थित हैं, जो अन्य ग्रहों, जिनमें वलय हैं, से बहुत दूर है। ग्रहों के वलय में बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े और अन्य पदार्थ होते हैं जो एक बड़ी वस्तु की परिक्रमा करते हैं। केवल शनि, बृहस्पति, यूरेनस तथा वरुण (नेप्च्यून), जिसमें दो अन्य छोटे ग्रह चारिकलो और ह्यूमिया शामिल हैं, को वलय के रूप में जाना जाता है।

पालम परियोजना 

तमिलनाडु के करूर ज़िले में पालम परियोजना अथवा सिटी लाइवलीहुड सेंटर शिक्षित बेरोज़गार युवाओं को नौकरियाँ प्रदान करने में काफी सफल रहा है। अधिकांश सरकारी रोज़गार के विपरीत यह ज़्यादातर निजी नौकरियों पर केंद्रित है। पश्चिमी तमिलनाडु में तिरुपुर के वस्त्र केंद्र के पास स्थित करूर ज़िला अपने उद्योगों के लिये जाना जाता है, लेकिन यह अपने घरेलू वस्त्र उत्पादों के लिये अधिक लोकप्रिय है। यह परियोजना वर्ष 2022 में शुरू हुई थी। पालम परियोजना का उद्देश्य रोज़गार की तलाश करने वालों और नियोक्ताओं के बीच एक सेतु का काम करना था। अनिवार्य रूप से पालम परियोजना का उद्देश्य एक अद्वितीय विचार के साथ आने के बजाय कई ज्ञात और अज्ञात सरकारी कार्यक्रमों एवं अवसरों का उपयोग करना था।

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तरकश (TARKASH) अभ्यास 

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और संयुक्त राष्ट्र स्पेशल ऑपरेशंस फोर्स (SOF) द्वारा तरकश अभ्यास वर्तमान में चेन्नई में आयोजित किया रहा है। रासायनिक और जैविक युद्ध को विश्व के लिये खतरे के रूप में पहचाने जाने के साथ, आयोजित भारत-अमेरिका संयुक्त अभ्यास में पहली बार रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल एवं नाभिकीय (Chemical, Biological, Radiological and Nuclear- CBRN) हमलों के प्रति प्रतिक्रिया शामिल है। इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य आतंकवादियों को तेज़ी से बेअसर करना, बंधकों को सुरक्षित छुड़ाना और आतंकवादियों द्वारा ले जाए जा रहे रासायनिक हथियारों को निष्क्रिय करना था। CBRN हथियार, जिन्हें सामूहिक विनाश के हथियारों (Weapons of Mass Destruction- WMD) के रूप में भी वर्गीकृत किया गया है, का उपयोग बीते समय में विभिन्न देशों और आतंकवादी समूहों द्वारा किया गया है। CBRN का सबसे हालिया उपयोग वर्ष 2017 में सीरिया में सरीन गैस हमले के रूप में देखा गया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आतंकवादियों और उनके समर्थकों सहित गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं की WMD अथवा CBRN तक पहुँच प्राप्त करने तथा उनका उपयोग करने की संभावना अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिये एक गंभीर खतरा है।

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