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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 मई, 2023

  • 10 May 2023
  • 11 min read

रवींद्रनाथ टैगोर, महाराणा प्रताप और गोपाल कृष्ण गोखले 

प्रधानमंत्री ने 9 मई को रवींद्रनाथ टैगोर, महाराणा प्रताप और गोपाल कृष्ण गोखले को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है, एक असाधारण साहित्यकार और बहुज्ञ थे, जिन्हें बंगाली साहित्य एवं संगीत में योगदान के लिये जाना जाता है। बंगाली कैलेंडर के अनुसार, 'रवींद्रनाथ टैगोर जयंती' बंगाली माह बैशाख के 25वें दिन मनाई जाती है और यह 9 मई, 2023 को मनाई गई। टैगोर द्वारा 2000 से अधिक गीतों की रचना की गई, जिसे "रवींद्र संगीत" कहा जाता है तथा गीतांजलि जैसी उनकी प्रसिद्ध रचनाओं ने एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है। वर्ष 1913 में साहित्य में पहले गैर-यूरोपीय नोबेल पुरस्कार विजेता के रूप में वे कलात्मक उत्कृष्टता के प्रतीक बन गए। टैगोर के दर्शन और विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना पीढ़ियों को प्रेरित करती रही है। 

9 मई,1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ में जन्मे महाराणा प्रताप मेवाड़ के 13वें राजा थे। उन्हें वर्ष 1576 में मुगल सेना के विरुद्ध लड़े गए हल्दीघाटी के युद्ध में उनकी बहादुरी के लिये जाना जाता है। हालाँकि वह लड़ाई में हार गए थे परंतु उनकी बहादुरी को आज भी याद किया जाता है। महाराणा प्रताप के वफादार घोड़े चेतक को युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने के लिये याद किया जाता है। हार के बावजूद महाराणा प्रताप ने बाद में मेवाड़ के कुछ हिस्सों को पुनः प्राप्त किया और इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। 19 जनवरी, 1597 को उनका निधन हो गया, वे अपने पीछे साहस की विरासत छोड़ गए।

प्रमुख समाज सुधारक और शिक्षाविद् गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 को वर्तमान महाराष्ट्र में हुआ था। गोखले ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये सामाजिक सशक्तीकरण, शिक्षा और शांतिपूर्ण तरीकों की वकालत की। गोखले भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के उदारवादी समूह से जुड़े थे तथा उन्होंने वर्ष 1909 के मॉर्ले-मिंटो सुधारों को तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की, विभिन्न प्रकाशनों पर काम किया और महात्मा गांधी को सलाह दी, जो उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।

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सित्वे बंदरगाह 

हाल ही में भारत और म्याँमार ने संयुक्त रूप से म्याँमार के रखाइन राज्य में सित्वे बंदरगाह का लोकार्पण किया, जो राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करते हुए द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ाने में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। बंदरगाह के आरंभ होने से अधिक कनेक्टिविटी और रोज़गार के अवसरों के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास की संभावनाओं को बल मिलने की उम्मीद है। परियोजना का उद्देश्य म्याँमार में कलादान नदी के माध्यम से भारतीय बंदरगाहों के साथ मिज़ोरम के लिये एक वैकल्पिक संपर्क मार्ग प्रदान करना है। इसमें हल्दिया से सित्वे बंदरगाह तक जहाज़रानी, कलादान नदी के माध्यम से सित्वे से पलेटवा तक अंतर्देशीय जल परिवहन, पलेटवा से भारत-म्याँमार सीमा तक सड़क परिवहन और भारत में NH 54 के लिये सड़क परिवहन जैसे खंड शामिल हैं। सित्वे बंदरगाह भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित कलादान मल्टी-मोडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो भारत के पूर्वी तट को जलमार्ग और सड़कों के माध्यम से उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Bangladesh

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उर्वरक उड़नदस्ते  

केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत उर्वरक विभाग (Department of Fertilizers- DoF) ने भ्रष्टाचार से निपटने और भारत में किसानों हेतु गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये कई उपायों को लागू किया है। इन पहलों ने देश भर में उर्वरकों के डायवर्ज़न एवं कालाबाज़ारी को सफलतापूर्वक रोका है। उर्वरक उड़नदस्ते (Fertilizer Flying Squads- FFS) नामक विशेष टीमों का गठन सख्त निगरानी रखने तथा डायवर्ज़न, कालाबाज़ारी, जमाखोरी एवं घटिया उर्वरकों की आपूर्ति जैसी गतिविधियों पर नकेल कसने हेतु किया गया है। साथ ही कड़ी कार्रवाई हेतु राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में औचक निरीक्षण किये गए तथा संदिग्ध यूरिया बैग जब्त किये गए। इसके अतिरिक्त गैर-कृषि उद्देश्यों के लिये यूरिया के दुरुपयोग को रोकने हेतु नमूना परीक्षण तेज़ कर दिया गया है। पिछले एक वर्ष में यूरिया के डायवर्ज़न एवं कालाबाज़ारी के मामले में पहली बार 11 लोगों को कालाबाज़ारी रोकथाम और आपूर्ति रख-रखाव अधिनियम 1980 के तहत जेल भेजा गया है। उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के तहत कई अन्य कानूनी एवं प्रशासनिक कार्यवाहियाँ भी की जा चुकी है। इन उपायों से न केवल किसानों को लाभ हुआ है बल्कि भारतीय उर्वरकों हेतु देश भर में मांग भी पैदा हुई है। सीमा पार यूरिया की तस्करी रुकने से पड़ोसी देशों ने यूरिया आयात हेतु भारत से संपर्क किया है। उर्वरक गुणवत्ता के बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने हेतु DoF ने एकीकृत उर्वरक प्रबंधन प्रणाली (Integrated Fertilizer Management System- IFMS) जैसी नवीन प्रथाओं को भी प्रोत्साहित किया है।

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IBM और NASA ने मिलकर बनाया भू-स्थानिक मॉडल

हाल ही में नासा और IBM ने उपग्रह डेटा को बाढ़, आग और अन्य परिदृश्य में होने वाले बदलावों को उच्च-रिज़ॉल्यूशन मानचित्रों में बदलने के लिये एक नया भू-स्थानिक मॉडल पेश किया है ताकि हमारे ग्रह के इतिहास और भविष्य के संबंध में अंतर्दृष्टि प्रदान करने में मदद मिल सके। इस सहयोग का उद्देश्य इस वर्ष की दूसरी छमाही में भू-स्थानिक मंच का पूर्वावलोकन प्रदान करना है, जिसमें संभावित अनुप्रयोगों में जलवायु संबंधी जोखिमों का आकलन करना, कार्बन-ऑफसेट पहल के लिये वनों की निगरानी करना और जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु भविष्योन्मुखी जानकारी प्रदान करने वाला मॉडल विकसित करना है। यह इस बात पर ज़ोर देता है कि इस तरह के आधार मॉडल कृत्रिम बुद्धिमता को व्यवहार्य बनाने की मापनीयता, सामर्थ्य और दक्षता में वृद्धि करता है। भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में भौगोलिक मानचित्रण एवं विश्लेषण हेतु भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographic Information System- GIS), ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (Global Positioning System- GPS) और रिमोट सेंसिंग जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण वस्तुओं, घटनाओं और परिघटनाओं (पृथ्वी पर उनकी भौगोलिक स्थिति के अनुसार अनुक्रमित जियोटैग) के बारे में स्थानिक जानकारी प्रदान करते हैं। किसी स्थान का डेटा स्थिर (Static) या गतिशील (Dynamic) हो सकता है। किसी स्थान के स्थिर डेटा/स्टेटिक लोकेशन डेटा (Static Location Data) में सड़क की स्थिति, भूकंप की घटना या किसी विशेष क्षेत्र में बच्चों में कुपोषण की स्थिति के बारे में जानकारी शामिल होती है, जबकि किसी स्थान के गतिशील डेटा /डायनेमिक लोकेशन डेटा (Dynamic Location Data) में संचालित वाहन या पैदल यात्री, संक्रामक बीमारी के प्रसार आदि से संबंधित डेटा शामिल होता है। बड़ी मात्रा में डेटा में स्थानिक प्रतिरूप की पहचान के लिये इंटेलिजेंस मैप्स (Intelligent Maps) निर्मित करने हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है। यह प्रौद्योगिकी दुर्लभ संसाधनों के महत्त्व और उनकी प्राथमिकता के आधार पर निर्णय लेने में मददगार हो सकती है।

और पढ़ें… भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी

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