Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 08 जनवरी, 2024 | 08 Jan 2024
रोश की ब्रेकथ्रू एंटीबायोटिक
स्विस स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी रोश (Roche) ने ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया (Gram-Negative Bacteria) को लक्षित करने वाले एक अभूतपूर्व जीवाणुनाशक (Antibiotic), ज़ोसुराबलपिन (Zosurabalpin) की खोज की है।
- इसने दवा-प्रतिरोधी एसिनेटोबैक्टर उपभेदों (Strains), विशेष रूप से कार्बापेनम-प्रतिरोधी एसिनेटोबैक्टर बाउमन्नी (Carbapenem-Resistant A Baumannii- CRAB) के विरुद्ध आशाजनक गतिविधि का प्रदर्शन किया है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) द्वारा एक महत्त्वपूर्ण रोगजनक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- ज़ोसुराबलपिन (Zosurabalpin) की क्रिया बैक्टीरिया की बाहरी झिल्ली के निर्माण को बाधित करती है, विशेष रूप से लिपोपॉलीसेकेराइड के परिवहन तंत्र को लक्षित करती है, जो ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया में एक महत्त्वपूर्ण बाधा है।
- बैक्टीरिया को दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है: ग्राम-पॉज़िटिव या ग्राम-नेगेटिव, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे एक विशिष्ट रंग का दाग बनाए रखते हैं या नहीं। ग्राम-पॉज़िटिव बैक्टीरिया बैंगनी रंग का दाग बनाए रखते हैं, जबकि ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया गुलाबी या लाल दिखाई देते हैं।
- ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति में एक पतली पेप्टिडोग्लाइकन (Peptidoglycan) परत होती है, यह दो लिपिड झिल्लियों के बीच स्थित होती है, जो उन्हें एक जटिल संरचना प्रदान करती है।
- यह बाहरी झिल्ली एक बाधा के रूप में कार्य करती है, जो उन्हें एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाती है।
- ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति में एक पतली पेप्टिडोग्लाइकन (Peptidoglycan) परत होती है, यह दो लिपिड झिल्लियों के बीच स्थित होती है, जो उन्हें एक जटिल संरचना प्रदान करती है।
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व्यापार की शर्त
पिछले डेढ़ दशक में भारतीय कृषि के लिये व्यापार की शर्तों (Terms of Trade- ToT) में राष्ट्रीय आय के आँकड़ों के आधार पर महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है।
- कृषि में ToT सुधार का श्रेय वैश्विक कृषि-वस्तु मूल्य में वृद्धि और नीतिगत हस्तक्षेप, विशेष रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी को दिया जाता है।
- भारतीय कृषि के लिये ToT का तात्पर्य गैर-कृषि वस्तुओं और सेवाओं के सापेक्ष कृषि वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव से है।
- व्यापार की शर्तें कृषि कीमतों और औद्योगिक कीमतों के अनुपात को संदर्भित करती हैं, जिसे मूल्य सूचकांक के रूप में निर्धारित किया जाता है।
- व्यापार की शर्तों में वृद्धि का तात्पर्य औद्योगिक वस्तुओं के मामले में कृषि क्षेत्र के लिये बेहतर क्रय शक्ति से है।
- एक (या 100%) से ऊपर का अनुपात किसानों द्वारा खरीदी और बेची जाने वाली वस्तुओं में अंतर के संदर्भ में अनुकूल मूल्य निर्धारण शक्ति का संकेत देता है।
- एक से नीचे TOT अनुपात विनिमय की प्रतिकूल परिस्थितियों को इंगित करता है।
- क्रय कीमतों में वृद्धि से खाद्य सब्सिडी बिलों में वृद्धि हुई है, जिससे राजकोषीय घाटे और व्यापक आर्थिक प्रबंधन के मुद्दे सामने आए हैं।
मुरादाबाद का पीतल बर्तन उद्योग
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से धार्मिक मूर्तियों, विशेष रूप से भगवान राम की मूर्तियों की मांग में वृद्धि के रूप में हुई है, जिसके परिणामस्वरूप मुरादाबाद के पीतल के बर्तन उद्योग के पुनरुत्थान को प्रोत्साहन मिला है।
- मुरादाबाद की स्थापना वर्ष 1600 में मुगल सम्राट शाहजहाँ के बेटे मुराद ने की थी जिसके परिणामस्वरूप शहर को मुरादाबाद के नाम से जाना जाने लगा।
- मुरादाबाद पीतल सामग्री के लिये प्रसिद्ध है तथा इसने विश्व भर में हस्तशिल्प उद्योग में अपनी एक विशिष्ट पहचान स्थापित की है।
- पीतल के बर्तन अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, मध्य पूर्व तथा एशिया जैसे देशों में निर्यात किये जाते हैं इसलिये मुरादाबाद को “पीतल नगरी” भी कहा जाता है।
- पीतल, ताँबे तथा जस्ता की एक मिश्र धातु है जो अपनी उल्लेखनीय मज़बूती/कठोरता और व्यावहारिकता के कारण ऐतिहासिक एवं स्थायी महत्त्व रखती है।
- 1980 के दशक में पीतल, लोहा तथा एल्यूमीनियम जैसे विभिन्न धातु की सामग्रियों की शुरुआत के साथ उद्योग में विविधता आई। इस विस्तार से मुरादाबाद के कला उद्योग में इलेक्ट्रोप्लेटिंग, लैकरिंग एवं पाउडर कोटिंग जैसी नई तकनीकें आईं।
- मुरादाबाद मेटल क्राफ्ट (वर्ड मार्क) को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग का दर्जा प्राप्त है।
पैन्सपर्मिया
पैन्सपर्मिया, यह परिकल्पना कि जीवन ग्रहों के पार घूम सकता है, सदियों से चिंतन और वैज्ञानिक अनुसंधान का विषय रहा है।
- पैन्सपर्मिया, जिसे सबसे पहले ग्रीक दार्शनिक एनाक्सागोरस ने प्रस्तावित किया था, सुझाव देती है कि जीवन में ग्रहों के बीच ‘बीज (seeds)’ के रूप में यात्रा करने की क्षमता है।
- वैज्ञानिक प्रगति के अनुसार, सूक्ष्मजीव अंतरग्रहीय उड़ान की कठोर परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं और एक नए विश्व तक पहुँचने के प्रभाव से बच सकते हैं।
- 19वीं सदी के शोधकर्त्ताओं, जिनमें स्वांते अरहेनियस (Svante Arrhenius) भी शामिल हैं, ने सूर्य से विकिरण दबाव जैसे तंत्र का सुझाव दिया, जो अंतरिक्ष के माध्यम से सूक्ष्मजीवों को आगे बढ़ा सकता है।
- आधुनिक पैन्सपर्मिया सिद्धांत के तीन चरण इस प्रकार हैं: एक ग्रह से प्रस्थान, अंतरग्रहीय अंतरिक्ष में पारगमन और दूसरे ग्रह पर उतरना।
- पैन्सपर्मिया स्वयं जीवन की उत्पत्ति की व्याख्या नहीं करता है और इसकी वैधता साबित करने में कठिनाई के कारण इसे एक फ्रिंज़ सिद्धांत माना जाता है।