नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


सामाजिक न्याय

अवेयर (AWARe)

  • 20 Jun 2019
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने एक वैश्विक अभियान के तहत सभी देशों से अपने नए ऑनलाइन टूल अवेयर (AWARe) को अपनाने का आग्रह किया है।

  • इसका उद्देश्य सुरक्षित रूप से और अधिक प्रभावी ढंग से एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करने के लिये नीति-निर्माताओं और स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं का मार्गदर्शन करना तथा प्रतिरोध के जोखिम वाली दवाओं को सीमित करना है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्तमान में एंटीबायोटिक दवाओं के सभी वर्गों द्वारा अनुपचारित संक्रमणों के उभरने से प्रतिसूक्ष्मजीवी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance) ‘एक अदृश्य महामारी’ बन गया है।
  • नई दवाओं के विकास की अनुपस्थिति में इन कीमती (अंतिम स्तर पर देने वाली) एंटीबायोटिक दवाओं को सुरक्षित करना वर्तमान समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है ताकि गंभीर संक्रमणों का इलाज और रोकथाम सुनिश्चित किया जा सके।
  • इस उपकरण को 'AWARe' के रूप में जाना जाता है, यह एंटीबायोटिक दवाओं को तीन समूहों में वर्गीकृत करता है:

1. एक्सेस (Access) समूह- एंटीबायोटिक्स का उपयोग सबसे आम और गंभीर संक्रमणों के इलाज के लिये किया जाता है।

2. निगरानी (Watch) समूह- स्वास्थ्य प्रणाली में एंटीबायोटिक्स की हर समय उपलब्धता।

3. रिज़र्व (Reserve) समूह- संयमपूर्वक उपयोग की जाने वाली अथवा संरक्षित दवाएँ जिनका प्रयोग केवल अंतिम उपयोग के रूप में किया जाता है।

  • इस अभियान का लक्ष्य एक्सेस समूह के तहत एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग में 60 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करना है इसके अंतर्गत सस्ती, 'संकीर्ण-स्पेक्ट्रम' दवाइयों को शामिल किया गया है जो कई के बजाय एक विशिष्ट सूक्ष्मजीव को लक्षित करती हैं और वॉच और रिज़र्व समूहों से प्रतिरोध के जोखिम पर एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग में कमी लाएँ।
  • एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस वर्तमान समय के सबसे जरूरी स्वास्थ्य जोखिमों में से एक है।
  • सभी देशों की जीवन-रक्षक एंटीबायोटिक दवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने और सबसे मुश्किल उपचार संक्रमणों के लिये कुछ एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को सीमित करके दवा प्रतिरोध को कम करने हेतु संतुलन स्थापित किया जाना चाहिये।
  • ऐसी स्थिति में देशों ‘AWARe’ को अपनाना चाहिये क्योंकि यह एक मूल्यवान और व्यावहारिक उपकरण है।
  • एक ब्रिटिश समीक्षा के अनुसार, एंटीबायोटिक प्रतिरोध पहले से ही सबसे बड़े स्वास्थ्य जोखिमों में से एक है इसके कारण वर्ष 2050 तक दुनिया भर में 50 मिलियन लोगों के मरने का अनुमान लगाया गया है।
  • हाल ही में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर अंतर्राष्ट्रीय समन्वय समूह द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, कई देशों में 50 प्रतिशत से अधिक एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग अनुचित तरीके से किया जाता है, उदाहरण के लिये वायरस के इलाज हेतु बैक्टीरिया के संक्रमण या गलत एंटीबायोटिक का उपयोग किया जाता है।
  • इसके अलावा कई निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में प्रभावी और उचित एंटीबायोटिक दवाओं तक कम पहुँच बाल मृत्यु अथवा बचपन में ही बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशेष एजेंसी है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) को बढ़ावा देना है।
  • इसकी स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को हुई थी। इसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में अवस्थित है। डब्ल्यू.एच.ओ. संयुक्त राष्ट्र विकास समूह (United Nations Development Group) का सदस्य है। इसकी पूर्ववर्ती संस्था ‘स्वास्थ्य संगठन’ लीग ऑफ नेशंस की एजेंसी थी।
  • यह दुनिया में स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी मामलों में नेतृत्‍व प्रदान करने, स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान एजेंडा को आकार देने, नियम और मानक तय करने, प्रमाण आधारित नीतिगत विकल्‍प पेश करने, देशों को तकनीकी समर्थन प्रदान करने और स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी रुझानों की निगरानी और आकलन करने के लिये ज़िम्‍मेदार है।
  • यह आमतौर पर सदस्‍य देशों के साथ उनके स्वास्थ्य मंत्रालयों के ज़रिये जुड़कर काम करता है।

एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध

  • आज से लगभग 88 वर्ष पहले कई बीमारियों से लड़ने के लिये चिकित्सा जगत में कोई कारगर दवा नहीं थी। लेकिन, एंटीबायोटिक के अविष्कार ने चिकित्सा जगत को एक मैजिक बुलेट थमा दी।
  • 20वीं सदी के शुरुआत से पहले सामान्य और छोटी बीमारियों से भी छुटकारा पाने में महीनों लगते थे, लेकिन एंटीमाइक्रोबियल ड्रग्स (एंटीबायोटिक, एंटीफंगल, और एंटीवायरल दवाएँ) के इस्तेमाल से बीमारियों का त्वरित और सुविधाजनक इलाज़ होने लगा।
  • एंटीबायोटिक समेत एंटीमाइक्रोबियल ड्रग्स का अत्याधिक सेवन स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है। एंटीमाइक्रोबियल ड्रग्स के अधिक और अनियमित प्रयोग से इसका प्रभाव धीरे-धीरे कम होता जाता है।
  • विदित हो कि प्रत्यके व्यक्ति एक सीमित स्तर तक ही एंटीबायोटिक ले सकता है, इससे अधिक एंटीबायोटिक लेने से मानव शरीर एंटीबायोटिक के प्रति अक्रियाशील हो जाता है।
  • प्रायः देखा जाता है कि वायरस के कारण होने वाली बीमारियों में भी लोग जानकारी के अभाव के चलते एंटीबायोटिक दवा लेने लगते हैं।
  • किसी नए प्रकार के आक्रमण से बचाव के लिये एक अलग प्रकार का प्रतिरोध विकसित करना प्रत्येक जीव का स्वाभाविक गुण है और सूक्ष्मजीवियों के साथ भी यही हुआ है।
  • गौरतलब है कि सूक्ष्मजीवियों को प्रतिरोध विकसित करने का अवसर उपलब्ध कराया है, एंटीमाइक्रोबियल ड्रग्स के अत्यधिक उपयोग ने।

स्रोत- डाउन टू अर्थ

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow